Guru Pushya Yoga 2021: 25 फरवरी को शुभ योग, सभी कार्यों में सिद्धि दिलाने वाला ‘गुरुपुष्य’ योग

‘गुरुपुष्य’ योग 25 फरवरी, गुरुवार को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट तक विद्यमान रहेगा।
नक्षत्र ज्योतिष में सभी नक्षत्रों में से पुष्य को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
पाणिग्रहण संस्कार के अतिरिक्त सभी कार्यों के लिए श्रेष्ठ परमशुभ मुहूर्त ‘गुरुपुष्य’ योग 25 फरवरी, गुरुवार को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट तक विद्यमान रहेगा। नक्षत्र ज्योतिष में सभी नक्षत्रों में से पुष्य को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पुष्य सभी अरिष्टों का नाशक तथा सर्वदिग्गामी है। विवाह को छोड़कर अन्य कोई भी अन्य कार्य आरंभ करना हो तो पुष्य नक्षत्र और इनमें श्रेष्ठ मुहूर्तों को ध्यान में रखकर किया जा सकता है। यद्यपि अभिजीत मुहूर्त को नारायण के ‘चक्रसुदर्शन’ के समान शक्तिशाली बताया गया है फिर भी पुष्य नक्षत्र और इस दिन बनने वाले शुभ मुहूर्त का प्रभाव अन्य मुहूर्तो की तुलना में सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
पुष्य नक्षत्र का सर्वाधिक महत्व बृहस्पतिवार अथवा रविवार को होता है। बृहस्पतिवार को गुरुपुष्य और रविवार को रविपुष्य योग बनता है, जो मुहूर्त ज्योतिष के श्रेष्ठतम मुहूर्तों में से एक है। इस नक्षत्र को तिष्य कहा गया है जिसका अर्थ होता है श्रेष्ठ एवं मंगलकारी। बृहस्पति भी इसी नक्षत्र में पैदा हुए थे तैत्रीय ब्राह्मण में कहा गया है कि, बृहस्पतिं प्रथमं जायमानः तिष्यं नक्षत्रं अभिसं बभूव। नारदपुराण के अनुसार इस नक्षत्र में जन्मा जातक महान कर्म करने वाला, बलवान, कृपालु, धार्मिक, धनी, विविध कलाओं का ज्ञाता, दयालु और सत्यवादी होता है।
 
आरंभ काल से ही इस नक्षत्र में किये गये सभी कर्म शुभ फलदाई कहे गये हैं किन्तु माँ पार्वती विवाह के समय शिव से मिले श्राप के परिणामस्वरुप पाणिग्रहण संस्कार के लिए इस नक्षत्र को वर्जित माना गया है। गुरुपुष्य योग में धर्म, कर्म, मंत्रजाप, अनुष्ठान, मंत्र दीक्षा अनुबंध, व्यापार आदि आरंभ करने के लिए अतिशुभ माना गया है सृष्टि के अन्य शुभ कार्य भी इस नक्षत्र में आरंभ किये जा सकते हैं क्योंकि लक्षदोषं गुरुर्हन्ति की भांति हो ये अपनी उपस्थिति में लाखों दोषों का शमन कर देता है। इस प्रकार रविपुष्य योग में भी उपरोक्त सभी कर्म किये जा सकते हैं। नारी जगत के लिए ये नक्षत्र और भी विशेष प्रभावशाली माना
गया है।
इनमें जन्मी कन्याएं अपने कुल-खानदान का यश चारों दिशाओं में फैलाती हैं और कई महिलाओं को तो महान तपश्विनी की संज्ञा मिली है जैसा की कहा भी गया है कि, देवधर्म धनैर्युक्तः पुत्रयुक्तो विचक्षणः। पुष्ये च जायते लोकः शांतात्मा शुभगः सुखी। अर्थात- जिस कन्या का जन्म पुष्य नक्षत्र में हुआ हो वह शौभाग्य शालिनी, धर्म में रूचि रखने वाली, धन-धान्य एवं पुत्रों से युक्त सौन्दर्य शालिनी तथा पतिव्रता होती है। वैसे तो यह नक्षत्र हर सत्ताईसवें दिन आता है किन्तु हर बार गुरुवार या रविवार ही हो ये तो संभव नही हैं इसलिए इस नक्षत्र के दिन गुरु एवं सूर्य की होरा में कार्य आरंभ करके गुरु पुष्य और रविपुष्य जैसा परिणाम प्राप्त किया जा सकता हैं
 
 



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