उत्तराखंड राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) ने ऋषि गंगा के जल स्तर में अचानक वृद्धि के मामले में ग्रामीणों और आपदा प्रबंधन अधिकारियों को सचेत करने के लिए चमोली जिले के रैणी गांव में सायरन आधारित प्रारंभिक चेतावनी जल-स्तर सेंसर प्रणाली स्थापित की है.
एसडीआरएफ ने यह कदम 7 फरवरी को चमोली जिले के ऋषि गंगा और तपोवन क्षेत्र में आई जल प्रलय के बाद उठाया गया है.
इस जल प्रलय में ऋषि गंगा जल-विद्युत परियोजना पूरी तरह से तबाह हो गई. वहीं तपोवन क्षेत्र में एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना को क्षतिग्रस्त कर दिया. इस घटना में अब तक 62 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 142 लोग अभी भी लापता हैं. लापता लोगों के लिए रैनी गांव और तपोवन क्षेत्र में खोज अभियान जारी है.
एसडीआरएफ कमांडेंट नवनीत भुल्लर ने कहा कि एक जल-स्तर सेंसर स्थापित किया गया है जो नदी के जल स्तर 3.5 मीटर से ऊपर उठने पर अलार्म बजाएगा. भुल्लर ने कहा कि अलार्म 5-किलोमीटर के दायरे तक सुनाई देगा, और बिजली न होने पर 1 किमी तक सुनाई देगा.
जल स्तर बढ़ने की स्थिति में राज्य और जिला नियंत्रण कक्ष और वरिष्ठ अधिकारियों को सचेत करने के लिए गांव में एसडीआरएफ कर्मियों की एक टीम भी तैनात की गई है.