लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने हिमालयन भालू को लिया गोद, एडाप्‍ट करने की बताई यह खास वजह…

लखनऊ. बच्चों की वन्य जीवों से दोस्ती करवाने के लिए चिडिय़ाघर में बुधवार को प्रख्यात लोक गायिका मालिनी अवस्थी मौजूद रहीं। बच्चों के बीच उनके चेहरे पर भी बच्चों सी मुस्कान सजी रही। उन्होंने अपने बचपन के दिन और वन्यजीवों से जुड़ीं रोचक घटनाओं की चर्चा की, जिसे बच्चों ने बड़े ही उत्साह से सुना। चिडिय़ाघर के शताब्दी समारोह में बुधवार को मुख्य अतिथि मालिनी अवस्थी ने हिमालयन काले भालू मंगल को एक वर्ष के लिए 60 हजार रुपये का चेक देकर अंगीकृत किया। उन्होंने भालू बाड़े पर जाकर फोटो भी खि‍ंचवाए। साथ ही उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि अधिक से अधिक वन्यजीवों को अपनाएं। उन्होंने बच्चों को यह भी कहा कि एक दिन खाने का खर्च देकर भी वन्यजीवों को अंगीकृत किया जा सकता है।
मालिनी अवस्थी ने बच्चों को यह भी बताया कि उन्हें भालू क्यों पसंद है। उन्होंने बताया कि उनका बचपन का नाम शालू था और पिताजी उन्हें शालू-भालू कहकर पुकारते थे। उन्होंने आज से 30 वर्ष पूर्व प्राणि उद्यान से जुड़ाव को भी विस्तार से बताया कि जब उनके जीजाजी प्राणि उद्यान लखनऊ के निदेशक थे, तब वह अकसर यहां आती रहती थीं। बच्चों के अनुरोध पर उन्होंने गीत भी सुनाए। उन्होंने पीलीभीत टाइगर रिजर्व से आए चार शावकों के बाड़े के पास भी कुछ समय बिताया।प्राणि उद्यान निदेशक आरके सि‍ंह ने कहा कि बैंक और बड़े संस्थानों आदि से अनुरोध है कि वे वन्य जीवों को अपनाने के लिए आगे आएं। निदेशक ने बताया कि शताब्दी वर्ष समारोह के तहत एक शताब्दी स्तंभ भी तैयार किया गया है। इस स्तंभ की ऊंचाई 14 फीट, चौड़ाई नौ फीट और मोटाई तीन से चार फीट है। 19 लाख रुपये की लागत से इसे तैयार किया गया है। इस अवसर पर वन्यजीव एवं पर्यावरण पर आधारित निबंध प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। इसमें 21 स्कूलों के 200 से अधिक बच्चों ने हिस्सा लिया।
अंगीकरण के लिए : प्राणि उद्यान में वन्यजीवों के खान-पान का व्यय देकर अंगीकृत किए जाने की योजना चलती है। अंगीकरण करने वाले व्यक्ति एवं संस्था का संबंधित वन्यजीव के बाड़े पर नाम व अंगीकृत अवधि को दर्शाते हुए बोर्ड लगाया जाता है। साथ ही अंगीकर्ता को उस अवधि के लिए प्राणि उद्यान में भ्रमण के लिए नि:शुल्क प्रवेश पत्र दिया जाता है। अंगीकर्ता को 80 जी के अंतर्गत इन्कम टैक्स में छूट भी प्राप्त होती है। प्रशस्ति पत्र भी जारी किया जाता है।



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