इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स जैसे कई अवार्ड्स में दर्ज करा चुकी हैं नाम
कौन कहता है दुनिया में परचम लहराने के लिए उम्र अधिक होना ही एक पैमान है? हौंसले बुलंद हों तो छोटी सी उम्र में भी बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है। केजी-2 की छात्रा महालक्ष्मी आनंद इसकी जीती-जागती उदाहरण हैं। महज पांच साल की आयु में महालक्ष्मी के नाम नौ से अधिक रिकॉर्ड हैं। अबू धाबी में अपने माता-पिता के साथ रहने वाली कोल्लम की मूल निवासी महालक्ष्मी आनंद सीखने और याद करने की रुचि के कारण अब दुनियाभर में नाम कमा रही हैं। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, ब्रिटिश वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और कलाम्स वर्ल्ड रिकॉर्ड्स फॉर एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी ग्रेस्पिंग पॉवर जीनियर किड जैसे रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुकीं महालक्ष्मी आनंद लाखों बच्चो के लिए प्रेरणा बन रही हैं।
जिस उम्र में आमतौर पर बच्चे चीजों को सीखने की शुरुआत करते हैं, महालक्ष्मी उस आयु में दुनिया में अपना नाम कर रही हैं। महालक्ष्मी, तीन श्रेणियों में विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं। पहला- एक मिनट में सबसे ज्यादाआविष्कार और उनके आविष्कारकों के नाम याद करना, दूसरा- 54 सेकंड में सबसे अधिक भरतनाट्यम मुद्राओं और अभिव्यक्तियों का प्रदर्शन और तीसरा- 26 सेकंड में भारत के राज्य और उसकी राजधानी को अल्फाबेटिकल ऑर्डर में बोलने का रिकॉर्ड।
महालक्ष्मी के पिता आनंद पेशे से इंजीनियर और माता नीना हाउसवाइफ हैं। महालक्ष्मी के माता-पीत कहते हैं, ‘मजह डेढ़ साल की उम्र में ही महालक्ष्मी को हमने विज्ञान और आविष्कारों के बारे में सिखाना शुरू कर दिया था। हम उसे जो भी सिखाते वह तेजी से याद कर लेती, हमें तभी से यह समझ आ गया था कि इसमें कुछ तो खास है। इंटरनेट ने उसकी और भी मदद की, वह चीजों को और गहराई से समझने लगी। उसकी रुचि को देखते हुए हमने भी सपोर्ट किया। आज मजह पांच साल की उम्र में महालक्ष्मी तमाम बच्चों के लिए प्रेरणा बन रही हैं।