प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे। वर्चुअल होने वाली इस बैठक में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।मध्य एशिया के देशों और भारत के बीच अपने तरह की यह पहली बैठक होगी, जिसमें आपसी संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने एवं उसमें मजबूती लाने के लिए नई संभावनाओं की तलाश की जाएगी।
मध्य एशिया के पांच देशों के नेता होंगे शरीक
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस बैठक में कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्केमिनिस्तान एवं उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शामिल होंगे। इस पहले भारत-मध्य एशिया सम्मेलन इस बात को दर्शाएगा कि नई दिल्ली इन देशों के साथ अपने संबंधों को बढ़ाने एवं उसे बेहतर करने की दिशा में गंभीर है। साल 2015 में पीएम मोदी इन सभी पांच देशों की यात्रा कर चुके हैं। इसके बाद के वर्षों में भारत इन देशों के नेताओं के साथ उच्च स्तर पर द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय बैठकें कर चुका है।
इन देशों के विदेश मंत्रियों की हो चुकी है बैठक
मंत्रालय के मुताबिक, भारत-मध्य एशिया डॉयलॉग के तहत इन देशों के विदेश मंत्रियों की तीसरी बैठक 18 दिसंबर से 20 दिसंबर तक दिल्ली में हुई और इस बैठक में भारत-मध्य एशिया के संबंधों को और मजबूत बनाने पर जोर दिया गया। इससे पहले 10 नवंबर को अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा करने के लिए मध्य एशिया के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिवों की बैठक हुई थी।
गणतंत्र दिवस समारोह के एक दिन बाद बैठक
यह सम्मेलन गणतंत्र दिवस समारोह के एक दिन बाद हो रहा है,जिसमें मुख्य अतिथि के तौर किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष या शासन प्रमुख को शामिल नहीं किया गया। पांच मध्य एशियाई देशों के नेताओं के मुख्य अतिथि होने की संभावना थी, लेकिन देश में कोविड-19 के मामले बढ़ने के चलते गणतंत्र दिवस समारोहों को बगैर मुख्य अतिथि के मनाया गया। विदेश मंत्रालय का कहना है कि प्रथम भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन भारत के ‘विस्तारित पड़ोस’का हिस्सा है।