जांजगीर-चाम्पा. ग्राम सिवनी चाम्पा में छत्तीसगढ़ी संस्कृति के प्रतीक भोजली पर्व बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया। दो साल कोरोना काल से बाधित इस लोकपर्व में लोग आपस मे भोजली भेंट करके अपनी अपनी सद्भावना व्यक्त की। सत्य और अहिंसा के प्रतीक गांधी जी के स्मारक गांधी चौक से ढोल धमाके के साथ गाँव के प्रमुख मार्ग से होते हुए करवार तालाब में भोजली की विसर्जन यात्रा सम्पन्न हुई।
बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चियां, युवा साथी और वर्तमान एवम पूर्व जनप्रतिनिधियों ने बहुत ही उत्साह के साथ इस लोकपर्व में सहभागिता निभाई। आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के अमृत महोत्सव को सजीव स्वरूप देने के लिए विसर्जन यात्रा में लोगो ने स्वप्रेरणा से तिरंगा लहराते हुए भारत माता की जय, छत्तीसगढ़ महतारी की जय और भोजली देवी की जय की गूंज के लोकपर्व के साथ साथ देश भक्ति की भावना को भी अभिव्यक्त किया। भोजली पर्व जैसे छत्तीसगढ़ी संस्कृति को सरंक्षित रखने और लोगो को प्रोत्साहित करने के लिए ग्राम पंचायत सिवनी द्वारा पुरस्कारों की व्यवस्था की गई जिससे लोगो मे उत्साह बढ़ गया।
भोजली की विसर्जन यात्रा में शामिल जिला पंचायत सदस्य उमा राजेन्द्र राठौर ने बताया कि भोजली हमारी कृषक संस्कृति का प्रतीक है, हम सबका दायित्व है कि इसे हम संजोकर रखे और अपनी आने वाली पीढ़ी को इससे परिचय भी कराते चले। जनपद उपाध्यक्ष और कौशल विकास प्राधिकरण की सदस्य नम्रता राघवेन्द्र नामदेव ने भोजली पर्व पर अपनी बात रखते कहा कि भोजली हमारी छतीसगढ़ी संस्कृति में मित्रता का प्रतीक है, भोजली भेंट कर लोग अपनी शत्रुता को मित्रता में बदल देते है। भोजली के चार पौध से बरसो की रंजिस पल भर में मैत्री भाव मे बदल जाती है। इस दिन लोग भोजली भेंट कर गिया बदते है, जो अटूट माना जाता है।
इस अवसर पर ग्राम सरपँच लखेकुमारी चंद्रकुमार राठोर, उपसरपंच चंद्रदेव साहू, पंच गण गज्जू बरेठ, कमलेश बरेठ, मनहरण राठौर, गौरी नामदेव, कल्याणी धीवर सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासी और जनप्रतिनिधि शामिल थे.