राजू श्रीवास्तव नहीं रहे… ये वाक्य कई दिलों को तोड़ने के लिए काफी है. कई दिनों तक मौत से जंग लड़ने के बाद अब राजू हमें छोड़कर चले गए हैं. अगर आप कभी ‘गजोधर भैया, संकठा, जैसे नामों पर हंसे हैं, कभी शादियों में होने वाली मस्ती पर कॉमेडी वाले वीडियो देखें हैं, तो राजू श्रीवास्तव आपके सबसे जाने-पहचाने वाले नामों में से एक है.
राजू श्रीवास्तव सिर्फ कामेडियन नहीं रहे हैं, बल्कि हिंदी सिनेमा में सालों से ‘मध्यम वर्ग’ के कंटेंट से हमें लोट-पोट करने वाले अभिनेता रहे हैं. लेकिन राजू ने कॉमेडी और सिनेमा को जोड़ते हुए एक खास सपना देखा था. पर अब राजू नहीं रहे और उनका वो आखिरी सपना भी अधूर रह गया है…
दरअसल राजू का आखिरी सपना था कि सिनेमा में अपना नाम बनाने वाले उत्तर प्रदेश, बिहार और इन श्रेत्रों के कलाकार अभिनय के दुनिया में नाम कमाने के लिए मुंबई की ठोकरें न खाएं. बल्कि उनके लिए नोएडा में बनने वाला फिल्म सिटी ही इस सारी परेशानी का एक हल था. यही वजह थी कि वो ‘नोएडा फिल्म सिटी’ को उम्मीदों की नजर से देख रहे थे. राजू यूपी फिल्म विकास परिषद के चेयरमैन भी थे और यही वजह थी कि वह उत्तर प्रदेश में सिनेमा में एक नई जान फूंकना चाहते थे.
राजू ने एक बार कहा था, कि क्यों हम सालों तक मुंबई में जाकर क्यों भटकें जबकि कई लोग दिल्ली, यूपी, एमपी और बिहार से ही वहां जाते हैं. अगर यहां फिल्म सिटी बनती है तो कई क्षेत्रीय कहाकारों को यहां काम करने का और अपना हुनर दिखाने का मौका मिलेगा.
बता दें कि 58 वर्षीय राजू श्रीवास्तव पिछले 41 दिनों से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे. राजू श्रीवास्तव के निधन पर राजनीति और फिल्मी दुनिया की कई हस्तियां गमगीन हैं. दरअसल इन 41 दिनों में हर किसी ने राजू के वापस लौटने की दुआएं मांगी थी.