करौली. राजस्थान के करौली से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मांच गांव में एक अनोखी परंपरा रंग पंचमी के अवसर पर देखने को मिलती है. इसे रघुकड़ी परंपरा के तौर पर जाना जाता है,जो कि 150 साल पुरानी है. इस दौरान मांच गांव की बहन-बेटियां परिवार और गांव की खुशहाली के लिए सिर पर रंग बिरंगी कलश धारण कर मांगलिक गीतों के साथ भव्य शोभायात्रा निकालती हैं. रघुकड़ी परंपरा के तहत निकलने वाली शोभायात्रा में महिलाएं मांगलिक गीत गाती हैं, तो वहीं गांव का युवा वर्ग सुरक्षा को लेकर हाथों में लाठी, गडासी और तलवार धारण किए हुए नजर आते हैं.
गांव के बड़े बुजुर्गों के मुताबिक, यह परंपरा 150 वर्षों से चली आ रही है. उन्होंने बताया कि 150 वर्ष पहले गांव का एक युवक लालसोट के पास स्थित गांव में रंग पंचमी के त्यौहार को मनाने अपने रिश्तेदारों के यहां गया था. जहां गांव के युवक ने अपने शौर्य, शक्ति और पराक्रम के बल पर रघुकड़ी प्रधान कलश को जीत लाया था. उन्होंने बताया कि उस समय से ही मांच गांव में रंग पंचमी के त्यौहार पर गांव की बहन- बेटियां सर्व समाज के लोगों के बीच आपसी प्यार और भाईचारे की एकता के साथ रंग गुलाल में सरोवर होकर रंग पंचमी को रघुकड़ी परंपरा के तहत मनाते हैं.