दिल्ली. पंडवानी गायक उषा बारले को पद्मश्री सम्मान ने नवाजा गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। 2 मई 1968 को भिलाई में जन्मी उषा बारले ने सात साल की उम्र से पंडवानी सीखना शुरू किया था। बाद में उन्होंने तीजन बाई से भी इस कला की मंचीय बारीकियां सीखीं। छत्तीसगढ़ के अलावा न्यूयार्क, लंदन, जापान में भी पंडवानी की प्रस्तुति दे चुकी हैं। गुरु घासीदास की जीवनगाथा को पहली बार पंडवानी शैली में पेश करने का श्रेय भी उषा बारले को जाता है।
उषा बारले कापालिक शैली की पंडवानी गायिका हैं। राज्य सरकार ने 2016 में इन्हें गुरु घासीदास सम्मान दिया गया था। उषा बारले छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन से भी जुड़ी रहीं। 1999 में अलग राज्य के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक प्रदर्शन के दौरान इन्हें गिरफ्तार भी किया था। उस प्रदर्शन का नेतृत्व विद्याचरण शुक्ल कर रहे थे।