छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका एक बार फिर नक्सली हमले से दहल गया है। इस बार नक्सलियों के आईईडी ब्लास्ट करने से 10 जवान शहीद हो गए हैं। हर बार नक्सलियों के बैकफुट पर होने की बात कही जाती है। जब भी ऐसे दावे सामने आए हैं, नक्सलियों ने अपनी मौजूदगी धमाकों के साथ दर्ज कराई है। ज्यादातर नक्सलियों ने बड़े हमले फरवरी से मई के बीच में ही किए हैं। साल के इन चार महीनों में नक्सली TCOC यानि टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपैन चलाते हैं। इस दौरान अगर पिछले 10 सालों की बात करें तो 250 से ज्यादा जवान शहीद हो चुके हैं।
नक्सलियों के बड़े कैडर करते हैं संचालन
दरअसल, नक्सली हर साल TCOC चलाते हैं। इस दौरान वह बड़ी वारदातों को अंजाम देते रहे हैं। नक्सली इस समय अटैकिंग मोड पर होते हैं, जब वह हिंसक घटनाएं करते हैं और जवानों के साथ उनका खूनी संघर्ष होता है। इसका मकसद साफ है, आम लोगों के साथ ही हर जगह दहशत फैलाकर अपनी मौजूदगी दर्ज कराना। खास बात यह है कि TCOC का संचालन नक्सलियों की बड़े विंग्स और कैडर के जरिए होता है। PLGA यानि नक्सलियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी अपने निचले प्लाटून लड़ाकों को अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध कराती है और हमला करने की ट्रेनिंग देती है।
बस्तर में नक्सलियों की चल रही TCOC
बस्तर में नक्सलियों ने इस समय TCOC (टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन) चला रखी है। इस दौरान नक्सली अक्सर बड़े हमले करते हैं। इसके चलते फोर्स पहले से ही अलर्ट मोड पर है। इसी के तहत जवानों की भी सर्चिंग लगातार जारी है। पिछले सप्ताह बीजापुर कांग्रेस विधायक विक्रम मंडावी के काफिले पर नक्सलियों ने हमला किया था। वह साप्ताहिक बाजार में नुक्कड़ सभा कर लौट रहे थे। इसके तीन दिन बाद नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर TCOC चलाए जाने की बात कही थी। हालांकि विधायक को निशाना बनाने की बात से इनकार किया था।
दंतेवाड़ा में दो दिन बंद रहा था ट्रेनों का भी परिचालन
नक्सलियों की इस TCOC कैंपेन को देखते हुए रेलवे ने भी एहतियातन दो ट्रेनों को दो दिन के निरस्त कर दिया था। इसके तहत किरंदुल-विशाखापट्टनम पैसेंजर और नाइट एक्सप्रेस दोनों यात्री ट्रेनें 25 और 26 अप्रैल को दंतेवाड़ा से आगे किरंदुल नहीं गईं। हालांकि, किरंदुल से लौह अयस्क लेकर विशाखापट्टनम तक मालगाड़ियों की आवाजाही बरकरार रखी गई। TCOC के दौरान नक्सली अक्सर ट्रेनों को भी निशाना बनाते रहे हैं। इस दौरान रेलवे ट्रैक उखाड़े जाने से मालगाड़ियां और पैसेंजर ट्रेनें डिरेल भी हो चुकी हैं। हालांकि ज्यादातर वारदात रात के अंधेरे में ही की गई हैं।
TCOC : नए लड़ाकों की भर्ती और हमले की ट्रेनिंग
TCOC (टैक्टिकल काउंटर ऑफ ऑफेंसिव कैंपेन) के जरिए नक्सली अपने संगठन में नए लड़कों को जोड़ते हैं। उनका ब्रेन वॉश किया जाता है और फिर फरवरी से संगठन की गतिविधियों के बारे में बताने और अन्य ट्रेनिंग शुरू होती है। बताया जाता है कि इस समय नए भर्ती किए गए लोगों को नक्सली हथियार चलाने, एंबुश लगाने, शहीद जवानों के हथियार लूटने सहित अन्य ट्रेनिंग देते हैं। साथ ही नए लड़कों को हमला करने का तरीका सिखाते हैं। इसके तहत अक्सर ब़ड़ी घटनाएं और जवानों को निशाना बनाया जाता है। बाकी के आठ महीने के लिए रेकी और वसूली के काम का प्रशिक्षण देते हैं।
दो साल पहले हमले में 22 जवान हुए थे शहीद
नक्सली फरवरी से मई तक TCOC चलाते हैं। इस महीने को चुनने का एक बड़ा कारण गर्मी भी है। नक्सल ऑपरेशन के दौरान जवान काफी थक जाते हैं। ऐसे में नक्सली एंबुश लगाकर उन्हें फंसाते हैं और इसका फायदा उठाते हैं। आंकड़ों की बात करें तो अधिकतर मुठभेड़ इसी समय हुई है और फोर्स को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा है। साल 2021 में अप्रैल माह में ही नक्सलियों ने सबसे बड़ा हमला बीजापुर के तर्रेम क्षेत्र के टेकलगुड़ा में किया था। उस समय नक्सलियों ने BGL (बैरल ग्रेनेड लॉन्चर) से हमला किया था। इसमें 22 जवान शहीद हुए थे और 35 से ज्यादा घायल हुए थे।
TCOC के दौरान हुई प्रमुख घटनाएं
3 अप्रैल 2021: बीजापुर जिले में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हुए।
23 मार्च 2021: नारायणपुर के कोहकामेटा आईईडी ब्लास्ट में पांच जवान शहीद।
21 मार्च 2020 : सुकमा के मीनपा हमले में 17 जवान शहीद हुए।
25 अप्रैल 2017: सुकमा के बुर्कापाल बेस कैंप पर हमले में CRPF के 32 जवान शहीद हुए
6 मई 2017: सुकमा के कसालपाड़ हमले में 14 जवानों की शहादत हुई
मार्च 2017: सुकमा के भेज्जी हमले में CRPF के 11 जवान शहीद हुए थे।
12 अप्रैल 2015: दरभा में पांच जवान शहीद हुए। एंबुलेंस ड्राइवर और स्वास्थ्य कर्मी की मौत हुई।
11 मार्च 2014 : टाहकावाड़ा नक्सली हमले में 15 जवानों की शहादत हुई।
25 मई 2013: झीरम घाटी हत्याकांड में 30 से अधिक कांग्रेसी नेता और जवान शहीद हो गए थे
6 अप्रैल 2010 : ताड़मेटला हमले में CRPF के 76 जवानों की शहादत हुई थी।