बिहान के क्रेडरों की विभिन्न मांगों को लेकर किसान स्कूल के संचालक ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजा पत्र, राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पहुंचाने का काम कर रही बिहान की महिलाओ को तय मानदेय ऊंट में मुंह में जीरा के सामान

जांजगीर-चाम्पा. केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में कार्यरत बिहान की क्रेडर पीआरपी, एफएलसीआरपी, सक्रिय महिला, बैंक मित्र, बैंक सखी, सक्रिय महिला,आरबीके,क़ृषि सखी, पशु सखी को वर्तमान समय में प्रतिमाह दी जाने मानदेय राशि ऊंट में मुँह में जीरा के सामान साबित हो रहा है। जबकि वे केंद्र और राज्य के अधिकतर योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने में और विधिवत निर्धारित प्रपत्र में जानकारी शासन और प्रशासन को नियमित रूप से भेजनें और संकुल, ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर के बैठक में शामिल होते हैं।



शासन द्वारा निर्धारित मानदेय आने जाने और प्रपत्र भरने व अन्य दस्तावेज में ही खर्च हो जाती है, मगर उन्हें अलग से न तो यात्रा भत्ता मिलती है और न ही अन्य प्रकार की स्टेशनरी खर्च। ऐसे में परेशान बिहान की क्रेडरों ने ब्लॉक,तहसील,जिला और राज्य स्तर पर नियमितीकरण, मानदेय बृद्धि, नियक्ति पत्र देने और प्रतिमाह मानदेय भुगतान आदि चार सूत्रीय मांगो को लेकर न सिर्फ कलेक्टरों को ज्ञापन सौपा गया, बल्कि अनिश्चितकालीन हड़ताल भी किया। जनप्रतिनिधियों ने भी उनके मांगो को जायज करार देते हुए अपना समर्थन भी दिया गया। हड़ताल से शासन की काम बुरी तरह से प्रभावित होने से नाराज जिला पंचायत से हड़ताल खत्म कर काम पर तत्काल लौटने की नोटिश थमाया गया। मगर बिहान के क्रेडरों की मांगो पर अभी तक कोई भी विचार नहीं किया गया। और अंततः हड़ताल को खत्म करके काम पर वापस होना पड़ा।

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बिहान में काम करने वाले सभी महिलाओ के चार सूत्रीय मांगो को जायज करार और आवाज को बुलंद करते हुए भारत का पहला किसान स्कूल वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह के संचालक और समाजसेवी दीनदयाल यादव ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रजिस्टर्ड पत्र डाक के माध्यम से भेजा है।

पत्र में बताया गया है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम का संचालन केंद्रीय पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार से सभी राज्यों में हो रहा है, जिसमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है। इस समय दर्जनभर गाँव का जिम्मेदारी निभाने वाली पीआरपी को प्रतिमाह 13 हजार 2 सौ रूपये भुगतान किया जाता है। जो कि बहुत कम है। वे अलग जिले के निवासी हैं। जो यहाँ पर किराये की घर पर रह रहे हैं। बिजली, पानी सभी किराये पर और फिल्ड दौरा भी अपने खर्च पर किया जाता है। इसी तरह उनके नीचे काम करने वाले एफएलसीआरपी भी आधा दर्जन गांव की जिम्मेदारी है। जिन्हें मात्र 5 हजार रूपये प्रतिमाह भुगतान किया जाता है। और जो गाँव में दस या उससे ऊपर स्व सहायता समूह के साथ काम करती हैं। उन्हें 15 सौ रूपये प्रतिमाह दी जाती है। ठीक इसी तरह बैंक मित्र को 25 सौ रूपये, आरबीके को 22 सौ रूपये, क़ृषि सखी को 15 सौ रूपये, पशु सखी को भी 15 सौ रूपये और लेखापाल को महज 5 सौ रूपये प्रतिमाह मानदेय भुगतान किया जाता है।

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किसान स्कूल के संचालक ने केंद्र सरकार से मांग किया है कि उन्हें काम के आधार पर सम्मानपपूर्वक मानदेय राशि, यात्रा भत्ता, स्टेशनरी खर्च, नियक्ति पत्र और नियमितीकरण किया जाय। चूंकि शासन ने उन्हें बाकायदा ट्रेनिंग कराकर काम करा रहीं है। और वे ईमानदारी पूर्वक काम कर रही है।

मुख्यमंत्री को भी राज्य मद से दिया जाना चाहिए मानदेय
हाल ही में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आँगनबाड़ी कार्यकर्ता और मितानिनो को राज्य मद से मानदेय राशि देने की घोषणा किया है। इसी तरह राज्य सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट नरवा, गरुआ, घूरवा और बाड़ी योजना को जमीनी स्तर अर्थात धरातल पर सफल बनाने का काम किया है। आँगनबाड़ी और मितानिनो की भांति बिहान क्रेडरों को राज्य मद से मानदेय बृद्धि कर महिलाओ का मान बढ़ाने की मांग को लेकर किसान स्कूल के संचालक व समाजसेवी दीनदयाल यादव ने पत्र लिखा है। चूंकि वे लम्बे समय से न सिर्फ स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वछता, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रहीं हैं। बल्कि ग्रामीण विकास समेत जल, जंगल, जमीन को बचाने जैविक क़ृषि को बढ़ावा देने, पशुधन को बढ़ावा, किचन गार्डन, पोषण वाटिका, ग्रामीण बेरोजगार महिलाओ का समूह बनाकर बैंक से जोड़ना और स्व रोजगार स्थापित करना, ग्रामसभा में महत्वपूर्ण भागीदारी, नशा उन्मूलन, शासन की योजनाओं को जरुरतमंद लोगों तक पहुंचना आदि काम करती आ रही हैं।

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