सीधीः मध्य प्रदेश के सीधी में हुए पेशाब कांड पर जारी सियासत के बीच पीड़ित दशमत रावत ने अजीब मांग कर दी है। दशमत ने कहा है कि इस कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला को अब रिहा कर देना चाहिए। उसकी इस मांग ने प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार को पसोपेश में डाल दिया है। विपक्षी कांग्रेस पार्टी पहले ही आरोपी का बीजेपी से जुड़ाव बताकर सरकार पर निशाना साध रही है। दशमत की मांग मानकर प्रवेश शुक्ला को रिहा करने से कांग्रेस को हमला करने का एक और मौका मिल सकता है।
दशमत रावत ने शनिवार को कहा कि जो हुआ, सो हुआ। प्रवेश शुक्ला मेरे ही गांव का है। उसने अपन गलती महसूस की है। मेरी सरकार से मांग है कि उसे अब रिहा कर देना चाहिए। माना जा रहा है कि समाजिक दवाब के कारण दशमत ने आरोपी प्रवेश शुक्ला को रिहा करने की मांग की है।
प्रवेश शुक्ला के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत कार्रवाई की गई है। प्रशासन ने उसके घर पर बुलडोजर चलाया है। वह फिलहाल जेल में है।
शिवराज सरकार के साथ समस्या यह है कि चुनावी साल में कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है। पार्टी इसे बीजेपी के आदिवासी-विरोधी रवैये के रूप में प्रचारित कर रही है। आरोपी के बीजेपी से कथित जुड़ाव के चलते सरकार पहले से ही बैकफुट पर है। उसके खिलाफ कार्रवाई में थोड़ा ढीलापन भी कांग्रेस के आरोपों को मजबूती दे सकता है।
बीजेपी की चिंता का कारण यह है कि एमपी में सत्ता की चाबी आदिवासियों के हाथों में ही होती है। आदिवासी समुदाय जिसके पक्ष में वोट करता है, सत्ता उसे ही मिलती है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को आदिवासियों के गुस्से का खामियाजा भुगतना पड़ा था। बीते तीन साल से पार्टी आदिवासियों को अपने पाले में करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। अब जबकि चुनाव करीब चार महीने दूर हैं, वह कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। दशमत की मांग इसलिए शिवराज सरकार के लिए गले की हड्डी साबित हो सकता है।