Sakti Judgement : नाबालिग किशोरी से दुष्कर्म के आरोपी को 20 वर्ष का सश्रम कारावास, फास्ट ट्रैक कोर्ट के विशेष न्यायाधीश का फैसला

सक्ती. फास्टट्रैक कोर्ट सक्ती के विशेष न्यायाधीश यशवंत कुमार सारथी ने 16 वर्ष 7 माह की नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले में अभियुक्त के विरुद्ध आरोपित अपराध दोष सिद्ध पाए जाने पर 24 वर्षीय आरोपी को 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सज एवं अर्थदंड से दंडित करने का निर्णय पारित किया है.



विशेष लोक अभियोजक राकेश महंत ने बताया कि 16 वर्ष 7 माह की नाबालिग अभियोक्त्री को अभियुक्त गोलू उर्फ सतीश चंद्रा ने 20 जुलाई 2020 को जब पीड़िता घर में अकेली थी. उसके मम्मी पापा घर में नहीं थे, किचन में वह खाना बना रही थी तो अभियुक्त उसके घर के अंदर आकर उसे अकेली पाकर घर को अंदर से दरवाजा को बंद कर दिया.

अभियुक्त को अपने घर में देखकर नाबालिग किशोरी घबरा गई क्योंकि इससे पूर्व अभियुक्त नाबालिग किशोरी के घर में अभियुक्त कभी भी नहीं आया था। नाबालिग किशोरी बंद दरवाजा को खोलने के लिए गई तो अभियुक्त उसके हाथ को पकड़ कर खींच लिया। नाबालिग किशोरी ने अभियुक्त से पूछा कि क्या काम है, दरवाजा को खोलो मम्मी स्नान करने गई है आ रही होगी, तब अभियुक्त बोला कि मैं तेरी मम्मी को देखा हूं, वह काम करने गई हुई है.

तेरे पापा और दादी बाहर गए हुए हैं मैं जो बोल रहा हूं उसे तू कर ले नहीं तो तेरे पापा घर से रात में बाहर निकलते हैं, वह वापस घर में नहीं आएंगे, तेरे पापा के अलावा और तेरे कौन है बोलकर अभियुक्त ने नाबालिग किशोरी के साथ जबरदस्ती करने लगा और उसके मना करने के बाद भी अभियुक्त ने नाबालिग किशोरी के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाया. कुछ दिन पश्चात नाबालिग किशोरी के मम्मी पापा काम पर चले गए थे और उसकी दादी स्नान करने चली गई थी.

वह घर के आंगन में अकेली थी, तब अभियुक्त उधर से गुजर रहा था तो उसे देखकर नाबालिग किशोरी यह सोच कर कि अभियुक्त उसे अकेले पाकर फिर घर अंदर आ जाएगा, इसलिए वह घर से बाहर निकल कर अपने दोस्त के यहां जाने लगी तो अभियुक्त उसका हाथ पकड़ कर बोला कि उस दिन की घटना के लिए मुझे माफ कर दो, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं, तुम्हें बहुत खुश रखूंगा, मैं शादी करना चाहता हूं ,अपने घर वालों से भी बात कर लिया हूं, तो मेरे घर वाले भी बोले हैं ,अच्छा है शादी कर लेना. इस पर नाबालिग किशोरी ने बोली कि अभी मेरा हाथ छोड़ो मैं अपने दोस्त के यहां जा रही हूं, बाद में बात करेंगे. इसके बाद अभियुक्त चला गया. इस घटना के पश्चात अभियुक्त जब भी नाबालिग किशोरी से मिलता था तो अच्छे से बात करता था और कभी-कभी नाबालिग किशोरी के घर आकर उसे शादी करूंगा कह कर उसके साथ अभियुक्त शारीरिक संबंध बनाता था.

अभियुक्त एक दिन नाबालिग किशोरी को बोला कि मेरे मम्मी बोल रही थी कि घर में कोई बच्चा नहीं है, जल्दी से शादी कर ले घर में बच्चा आ जाएगा. अभियुक्त के शारीरिक संबंध बनाने से नाबालिग किशोरी जनवरी 2021 में गर्भवती हो गई अभियुक्त ने नाबालिग किशोरी के यूरिन टेस्ट कराया, जिसमें गर्भवती का पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर अभियुक्त ने उसे अपना ख्याल रखना बोला. नाबालिग किशोरी द्वारा अभियुक्त को शादी करने के लिए बोलने पर वह शादी करने से टालमटोल करता रहा कुछ दिन रुक जाओ उसके बाद शादी करेंगे बोलता रहा. एक दिन अभियुक्त ने नाबालिग किशोरी को स्पष्ट बोल दिया कि मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता.

इस प्रकार अभियुक्त ने नाबालिग किशोरी को बहला-फुसलाकर शादी करने का झांसा देकर दैहिक शोषण करते रहा, जिससे नाबालिग पीड़िता 6 माह की गर्भवती हो गई थी. पीड़िता द्वारा आरोपी को शादी के लिए बोलने पर तथा बताने पर कि मैं 6 माह की गर्भवती हो गई हूं, आरोपी ने शादी करने से इनकार कर दिया तब पीड़िता ने आरोपी के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. इस पर आरोपी के खिलाफ थाना जैजैपुर में अपराध पंजीबद्ध कर आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में उप जेल नंदेली शक्ति भेजा गया तथा संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियुक्त के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 376 एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 4, 6 के तहत अभियोग पत्र विशेष न्यायालय फास्ट ट्रेक कोर्ट (पोक्सो एक्ट) शक्ति में पेश किया गया.

प्रकरण में अभियोजन द्वारा सभी महत्वपूर्ण 16 साक्षी को न्यायालय में परीक्षण कराया गया। विशेष न्यायालय शक्ति ने उभय पक्षों को पर्याप्त समय अपने पक्ष रखने के लिए देने के पश्चात तथा अभियोजन एवं अभियुक्त पक्ष के अंतिम तर्क श्रवण करने तथा संपूर्ण विचारण पूर्ण होने के पश्चात न्यायालय द्वारा निर्णय पारित किया गया। अभियोजन द्वारा अभियुक्त के विरुद्ध आरोपित अपराध संदेह से परे प्रमाणित कर दिए जाने से अभियुक्त गोलू उर्फ सतीश चंद्रा पिता शिव कुमार चंद्रा उम्र 24 वर्ष थाना जैजैपुर जिला जांजगीर चांपा वर्तमान जिला सक्ती को विशेष न्यायाधीश यशवंत कुमार सारथी द्वारा सिद्ध दोष पाए जाने पर दोष सिद्ध घोषित किया गया तथा अभियुक्त को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 06 के अपराध के लिए 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं ₹ 10,000 के अर्थदंड से दंडित किया गया है.

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