सावन के मीठे गीत, वर्षा से गिली मिट्टी की सौंधी महक और बेटी की ससुराल जाने वाला सिंधारा। सभी कुछ सावन की पहचान है, जिसका सभी को सालभर इंतजार रहता है। यह सब घेवर के स्वाद के बिना अधूरा है। सावन माह की शुरुआत के साथ यह मिठाई रक्षाबंधन तक बनती है। सावन में घेवर का खास महत्व है, क्योंकि बेटी की ससुराल जाने वाला सिंधारा घेवर के बिना अधूरा है। हलका सा कुरकुरा और ऊपर से मलाई और मावे की परत के साथ मेवे और केसर से सजाए गए घेवर मिठाई के स्वाद की बात ही कुछ और है।
शहर में करीब तीन सौ दुकानें
शहर में ऐसी तीन सौ के करीब मिठाई की दुकानें है। जहां घेवर बनाया जाता है। कबाड़ी बाजार और लाला के बाजार में स्थित मिठाई की दुकानों पर घेवर बनते हुए भी देखा जा सकता है। इस बार घेवर की कीमत 500 से हजार रुपये प्रतिकिलो तक है। पिछले साल की अपेक्षा घेवर की कीमत में 20 से 40 रुपये प्रतिकिलो तक की बढ़ोतरी हुई है।
चाकलेट और केसर घेवर युवाओं की पसंद
सामान्य घेवर- 340
मावा घेवर- 400
मलाई घेवर- 600
केसर घेवर- 800
चाकलेट घेवर- 560
पाइनेप्पल घेवर- 560
वनीला घेवर- 560
कीवी घेवर- 560
बरसात शुरू होने के साथ ही घेवर बनने की शुरुआत हो जाती है, रक्षाबंधन पर्व तक घेवर बनाया जाता है। तीज वाले दिन घेवर की मांग सबसे ज्यादा रहती है। इस मौसम से सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली मिठाई घेवर ही है। संदीप गुप्ता, न्यू रोहताश मिष्ठान भंडार, रेलवे रोड
लोगों की पसंद के साथ घेवर के स्वाद में भी परिवर्तन हुआ है। कुछ साल पहले तक सामान्य और मावा घेवर ही बनाया जाता था। पिछले पांच साल से चाकलेट, वनीला, कीवी और पाइनेप्पल घेवर की मांग ज्यादा है। यहां तक कि मेरठ का बना घेवर आसपास के क्षेत्रों में भी जाता है। कुशान गोयल, रामचंद्र सहाय राजेंद्र कुमार रेवड़ी वाले, बुढ़ाना गेट
वर्षा के मौसम में खाना इसे फायदेमंद
बरसात में कई प्रकार की संक्रमित बीमारियां हो सकती हैं। लोगों में वात और पित्त की शिकायत भी बढ़ जाती है। इसकी वजह से थकान और आलस भी बढ़ जाता है। घेवर घी में तला होने की वजह से शरीर का सूखापन दूर करता है। इसके अलावा घेवर में मावा और मेवों की मात्रा अधिक होने से भी वर्षा के मौसम में खाना इसे फायदेमंद है, और जो इम्यूनिटी बूस्टर का काम करता है।