मछली पालन आय का बेहतर स्रोत है. यह युवाओं की आमदनी को बढ़ा सकता है. मछली पालन कर कई ऐसे किसान हैं. जो मालामाल हुए हैं. आज हम गया जिले के एक ऐसे ही मछली पालक की कहानी बताने जा रहे हैं. जिन्होंने लगभग 30 कट्ठा के तालाब में मछली पालन कर सालाना 6-7 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं. गया जिले के नियाज़ीपुर गांव के रहने वाले संतोष कुमार जो पेशे से किसान है.. संतोष कुमार ने 2022 में मछली पालन की शुरुआत की थी. आज इनकी पहचान जिले में एक सफल मछली पालन के रूप में हो रही है.
गया शहर से 3 किलोमीटर दूर नियाजीपुर गांव में ही तालाब खुदवा कर मछली पालन की शुरुआत की और इन्होंने तालाब में लगभग 22 हजार जासर प्रजाति का मछली का पालन कर रहे हैं. इसके अलावे रेहु और कतला मछली का भी पालन किया जा रहा है. पिछले वर्ष उन्होंने डेढ़ बीघा के तालाब से लगभग 18 लाख रुपये की मछली बेची थी. जिसमें इन्हें 6-7 लाख रुपए की आमदनी हुई थी. इस बार इन्हें उम्मीद है कि लगभग 15 से 16 टन जासर मछली का उत्पादन होगा.
100-120 रुपया किलो बेची थी मछली बेचने के लिए संतोष को कहीं जाने की जरूरत नहीं होती. इनके तालाब से ही मछली व्यवसायी मछली को खरीद कर ले जाते हैं. पिछले बार इन्होंने 100 रुपया से लेकर 120 प्रति किलो मछली बेची थी. लोकल 18 से बात करते हुए संतोष कुमार बताते हैं कि खेती किसानी से जुड़े होने के कारण घर में खाने के लिए एक छोटे से तालाब में मछली पालन की शुरुआत की थी लेकिन दोस्तों के कहने पर इसे बड़े पैमाने पर शुरू की और आज इससे अच्छी आमदनी हो रही है.
तालाब में जासर, रेहु और कतला मछली का करते हैं पालनतालाब में जासर, रेहु और कतला मछली का पालन कर रहे हैं जिसकी डिमांड गया के लोकल मार्केट में खूब है. पिछले साल लगभग 18 लाख की मछली बेची थी. जिसमें 10 से 12 लाख रुपए खर्च हुआ था. मछली पालन में सबसे ज्यादा खर्च मछली का दाना तथा विभिन्न दवाइयों में होती है. उन्होंने बताया कि जासर मछलियों को सिर्फ दाना खिलाया जाता है. उनके वेस्ट मटेरियल को रेहु और कतला मछली खाते हैं. तालाब से लगभग 2 से 3 लाख रुपए की रेहू और कतला मछली की भी बिक्री हो जाती है. इन्होंने जिले के अन्य किसानों को सलाह देते हुए कहा है कि जिनके पास भी जमीन हो वह मछली पालन जरूर करें, इससे उनकी आमदनी बढ़ जाएगी.