नई दिल्ली. आपने कई मॉडिफाइड गाड़ियों को सड़को पर चलते हुए देखा होगा, जहां आपने नोटिस किया होगा कि मॉडिफिकेशन के नाम पर लोग टॉयर की साइज बढ़वा ले रहे हैं। फैंसी हार्न लगवा ले रहे हैं। हैचबैक को एसयूवी में कनवर्ट करवा ले रहे हैं। बाइक का ऑरिजिनल साइलेंसर हटवाकर नया लगवा ले रहे हैं। इस तरह के मॉडिफिकेशंस भारत में गौर कानूनी है। नियमों का उल्लंघन करने वालों को भारी भरकम चालान का सामना भी करना पड़ सकता है। हालांकि कुछ मॉडिफिकेशन नॉर्मली आप करवा सकते हैं, जिसके बारे में भी इस खबर के माध्यम से आपको बताएंगे।
जानिए मॉडीफिकेशन को लेकर क्या है नियम?
बाइक या कार मॉडीफाई कराने से पहले सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले के बारे में जरूर जान लें। सुप्रीम कोर्ट की पीठ के एक फैसले में कहा गया है कि वाहन में कोई भी संशोधन नहीं किया जाना चाहिए जो उस के निर्माता द्वारा कागजातों में अनुशंसित मूल विनिर्देशों से अलग हो। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 52 में कहा गया है कि स्वामी को ऐसे किसी संशोधन की मंजूरी नहीं है जो रजिस्ट्रेशन कागजात में उल्लिखित वाहन की मूल जानकारी या स्वरूप को बदल दे।
इन पार्ट्स के मॉडिफिकेशन पर लगा बैन
गाड़ियों में कई ऐसे पार्ट्स हैं, जिसमें संसोधन करने की कानून इजाजत नहीं देती है, इसमें उसकी मूल संरचना, इंजन, निकास, बड़े पहिये, तेज हॉर्न, चौड़े टायर और साइलेंसर आदि शामिल हैं, जिनका बदला जाना अनुचित माना गया है। यदि किसी भी नियम का उल्लंघन होता है तो वाहन मालिक को प्रति बदलाव पांच हजार रुपये का जुर्माना अथवा छह माह कैद की सजा हो सकती है।
केवल इतना ही करवा सकते हैं मॉडिफाई
हालांकि कुछ बदलाव कराए जा सकते हैं लेकिन उसके लिए मानक के अनुसार आरटीओ की अनुमति अनिवार्य है। अगर किसी को ईंधन (जैसे सीएनजी किट स्थापित करना) संचालन का परिवर्तन रना है तो उसे केंद्रीय नियमों के तहत छूटों का पालन करना होगा। ईंधन विकल्पों के अलावा भी कुछ बदलाव संभव है लेकिन वो निर्माता द्वारा मूल विनिर्देशों के स्वरूप को बदलने वाले न हों। इसमें रंग बदलना, रेन विज़र्स, बंपर कॉर्नर प्रोटेक्टर आदि जरूरी बदलाव, टायरों का आकार बदलना और निर्माता और इंजन स्वैपिंग के निर्धारित सीमा में वाहन के ऊपरी संस्करण व निचले पहिए शामिल है, इसके लिए आरटीओ से अनुमति जरूरी है।
बिना अनुमति माॅडीफाई वाहन का उपयोग निजी स्थान जैसे रेसिंग ट्रैक या फार्म हाउस में किया जा सकता है लेकन सार्वजनिक रूप से सड़कों पर ले जाने पर पुलिस जब्त करके चालान कर सकती है। इस तरह के वाहनों पर नजर रखने के लिए पुलिस ने चेक-प्वाइंट बनाए हैं।