Success Story: 10 साल की उम्र में शादी, घरेलू हिंसा का झेला दर्द, कभी ₹2 कमाने वाली कल्पना आज संभाल रही करोड़ों की कंपनी. पढ़िए सफलता की कहानी..

नई दिल्ली: कहते हैं कि हौसले बुलंद हों तो बंजर जमीन को भी गुलजार किया जा सकता है । जिंदगी में ऐसे कई मौके आते हैं जब लगता है कि सब खत्म हो गया। लेकिन, जो लोग उस वक्त खुद को संभाल लेते हैं, वह कहानियां बनकर दूसरों को प्रेरित करते हैं। ऐसी ही कहानी है महाराष्ट्र के ‘विदर्भ’ में पैदा हुईं कल्पना सरोज की। एक वक्त ऐसा भी था जब कल्पना अपनी जिंदगी को खत्म करना चाहती थी। लेकिन, उस एक पल ने ही उनकी जिंदगी को बदल दिया। जिसने बचपन से लेकर जवानी तक सिर्फ दु:ख और तकलीफें झेलीं। आज वह करोड़ों की कंपनी की मालकिन हैं। कल्पना आज 900 करोड़ की कंपनी संभाल रही हैं। आज कहानी ‘कमानी ट्यूब्स’ की चेयरपर्सन कल्पना सरोज की।



 

 

 

कल्पना सरोज के संघर्ष की कहानी

 

कल्पना का जन्म महाराष्ट्र के ‘विदर्भ’ में हुआ था। परिवार बेहद गरीब था। दो वक्त की रोटी के लिए कल्पना को बचपन से ही काम करना पड़ा। कल्पना गोबर के उपले बनाकर बेचा करती थीं। उससे जो थोड़े बहुत पैसे मिल जाते थे, उसकी मदद से किसी तरह से घर चल पाता था। केवल 10 साल की थी कि उनकी शादी उम्र में उनसे 10 साल बड़े आदमी से कर दी गई। शादी के बाद कल्पना विदर्भ से मुंबई की झोंपड़पट्टी में आ पहुंची। मुंबई आते ही उनकी पढ़ाई भी छूट गई। ससुराल उनके लिए नर्क से कम नहीं था। उन्हें ससुराल में घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ा। ससुराल वालों और पति की मार खाते-खाते उनके शरीर पर जख्म पड़ चुके थे।

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जिंदगी जीने की ताकत भी खत्म हो चुकी थी

 

एक दिन किसी तरह से वो ससुराल छोड़कर वापस अपने घर लौट आई। लेकिन, वहां मुसीबतें पहले से ही उनका इंतजार कर रही थीं। ससुराल छोड़ने की सजा कल्पना और उनके परिवार को दे दी गई। पंचायत ने कल्पना के परिवार का हुक्का-पानी बंद कर दिया। तमाम मुश्किलें झेल रही कल्पना जीने की हिम्मत खो चुकी थी। उन्होंने खुदकुशी करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने उन्हें बचा लिया। वह एक पल था, जिसने कल्पना की जिंदगी को बदल दिया। उसी पल से उन्होंने सिर्फ अपने लिए जीने का फैसला किया।

 

 

 

 

वापस मुबंई लौटी, 2 रुपये की कमाई

16 साल की उम्र में कल्पना फिर से मुबंई लौटीं। किसी जान पहचान वाले ने उनकी नौकरी एक गारमेंट कंपनी में लगवा दी। वहां उन्हें रोज 2 रुपये की मजदूरी मिलती थी । वहां काम करते हुए उन्होंने काम को समझने की कोशिश की। वो समझ गई कि गारमेंट सेक्टर में बहुत काम है। उन्होंने अपना काम शुरू करने का फैसला किया। सरकारी स्कीम की मदद से थोड़े पैसे लोन पर मिल गए। एक सिलाई मशीन खरीद ली और वो अब खुद से लोगों के कपड़े सिलने लगी। कमाई 2 रुपये से बढ़कर 10 रुपये पर पहुंच गई। कल्पना ने 17-18 घंटे काम काम किया। जो कमाती उसमें से कुछ खुद के गुजारे के लिए रखती, बाकी घर भेज देती थी।

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कैसे हुई कमानी ट्यूब्स की शुरुआत

कल्पना ने अपनी सेविंग से बचे कुछ पैसों से एक फर्नीचर स्टोर की शुरुआत। फिर एक ब्यूटी पार्लर भी खोला। इसी दौरान उन्हें पता चला कि 17 साल से बंद पड़ी कमानी ट्यूब्स को सुप्रीम कोर्ट ने उसके कामगारों से शुरू करने के लिए कह रही है। कल्पना ने उन कामगारों से साथ मिलकर कंपनी को फिर से शुरू किया। हालांकि कई चुनौतियां सामने आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज कमानी ट्यूब्स करोड़ों का टर्नओवर कर रही है।

 

 

 

आज कई कंपनियों की मालकिन

कल्पना को न तो कंपनी चलाने का अनुभव था, न मैनेजमेंट संभालने का। पढ़ाई या डिग्री भी उनके पास नहीं थी। अगर कुछ था तो सीखने की ललक। इसी ललक ने उसे कहीं रूकने नहीं दिया। एक कंपनी सफल हुआ तो दूसरी कंपनी के बारे में सोचने लगी। कमानी ट‌्यूब का का काम चल निकला तो दूसरी कंपनी को खड़ा करने पर काम होने लगा। तभी तो आज उनके पास कई कंपनी हो गए। इस समय कल्पना कमानी ट्यूब्स, कमानी स्टील्स, केएस क्रिएशंस, कल्पना बिल्डर एंड डैवलपर्स, कल्पना एसोसिएट्स जैसी दर्जनों कंपनियों की कमान संभाल रही हैं।

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