सुनील दत्त शूट कर रहे थे रोमांटिक सीन, सेट पर पहुंच गईं नरगिस, देख भन्ना गए एक्टर, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान!

नई दिल्ली. हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता सुनील दत्त (Sunil Dutt) का असली नाम बलराज दत्त है. उन्होंने अपने करियर में एक्टिंग के अलावा डायरेक्शन में भी हाथ आजमाया. नरगिस (Nargis) संग उनकी लव लाइफ भी काफी चर्चा में रही थी. लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि नरगिस बिना बताए उनके सेट पर पहुंच गईं और उन्हें देख एक्टर भन्ना गए थे. जानें क्यों?



 

 

 

सुनील दत्त शुरुआत से ही एक्टिंग में करियर बनाने के बारे में सोचते रहे लेकिन अपने संघर्ष के दिनों में उन्होंने बतौर रेडियो प्रजेंटर के तौर पर काम किया. लेकिन किस्मत में तो एक्टर बनना लिखा था. हालांकि पहली ही फिल्म में जब उन्हें काम करने का मौका मिला तो उन्होंने अपनी मां कहने पर ये ऑफर ठुकरा दिया था. क्योंकि वह चाहती थीं कि पहले वह अपनी पढ़ाई पूरी कर लें फिर एक्टिंग करें.

 

 

 

 

सुनील दत्त ने करियर की शुरुआत में ही साबित कर दिया था कि उनमें एक्टिंग टैलेंट की कमी नहीं हैं. उन्होंने अपने करियर में कई ऐसी फिल्में की जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त तहलका मचा दिया था. उनकी कुछ फिल्मों ने तो इतिहास ही रच दिया था. इनमें मदर इंडिया जैसी फिल्में भी हैं. लेकिन उनके काम करने का अंदाज पूरी तरह अलग था. खुद आशा पारेख ने भी आर जे अनमोल के शो ‘बातों बातों में’ सुनील दत्त के काम करने के अनोखे अंदाज का खुलासा किया था.

 

 

 

 

साल 1969 में आई फिल्म ‘चिराग’ और इसके गानों को भी लोगों ने काफी पसंद किया था. इस फिल्म में सुनील दत्त और आशा पारेख लीड रोल में नजर आए थे. फिल्म की शूटिंग कश्मीर में भी हुई थी. आशा पारेख ने बाताया कि,’एक दिन वहीं सेट अचानक नरगिस दत्त आ गईं थीं और जैसे ही सुनील साहब ने उन्हें देखा वो बोले अरे ये यहां कैसे आ गईं. इसके बाद उन्हें सेट से दूर जाकर बैठने को कहा. क्योंकि वह सेट पर किसी के सामने भी शूट नहीं करते थे.’

 

 

 

 

अपनी बात आगे रखते हुए आशा पारेख ने बताया, ‘ सुनील दत्त साहब के काम करने का अंदाज काफी अलग था. वह जब भी सेट पर रोमांटिक सीन शूट करते थे. वह किसी को भी सेट पर नहीं रहने देते थे. एक बार तो मेरी मां को ही बाहर कहीं दूर बैठने को कहा था. क्योंकि वह रोमांटिक सीन शूट करने के लिए किसी को सेट पर नहीं रहने देते थे. उन्होंने नरगिस को भी अलग बैठा दिया था. उनके काम करने का अंदाज ही अलग था.

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