आखिर क्यों जन्म से ही अंधे थे धृतराष्ट्र, क्यों उनकी जगह पांडु को बनाया गया था राजा, जानिए इसके पीछे का रहस्य..

नई दिल्ली: महाभारत में कई पात्र और उनकी कथाएं विशेष रूप से रोचक हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण पात्र हैं धृतराष्ट्र, जिनकी जन्म कथा एक अद्भुत रहस्य को उजागर करती है। धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे और इसके पीछे एक विशेष कहानी है जिसे समझना हमारे लिए ज़रूरी है।



 

 

धृतराष्ट्र का जन्म और उनकी अंधता की कथा

धृतराष्ट्र पाण्डु और विदुर के भाई थे। तीनों भाईयों के पिता थे महर्षि वेदव्यास, जिन्हें सत्यवती ने हस्तिनापुर के उत्तराधिकार को जारी रखने के लिए बुलाया था। हस्तिनापुर के राजा विचित्रवीर्य के निधन के बाद उनके कोई संतान नहीं थी, और यही कारण था कि सत्यवती ने अपने पुत्र वेदव्यास को बुलाकर उनके माध्यम से राजा के वंश को आगे बढ़ाने की योजना बनाई।

 

 

 

वेदव्यास ने विचित्रवीर्य की पत्नियों अंबिका और अंबालिका के साथ संतान उत्पन्न की प्रक्रिया को अपनाया। सबसे पहले, वे अंबिका के पास गए। परंतु, जब अंबिका ने वेदव्यास को देखा तो वे बहुत डर गईं और आंखें बंद कर लीं। वेदव्यास जी ने उन्हें चेतावनी दी थी कि इस प्रकार आंखें बंद करना ठीक नहीं है, लेकिन भय के कारण अंबिका ने अपने नेत्र बंद ही रखे। इसी कारणवश, जन्म से ही धृतराष्ट्र अंधे हो गए। यहां पर यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि वेदव्यास ने यह परिणाम पहले से ही भांप लिया था और अंबिका को चेतावनी दी थी। इस कारण, अंबिका की गोद से जो संतान उत्पन्न हुई, वह अंधा था। यही संतान आगे चलकर धृतराष्ट्र के रूप में प्रसिद्ध हुई।

इसे भी पढ़े -  Dabhara News : शराब की अवैध बिक्री के खिलाफ मोर्चा खोला गया, बेचने वालों को दी गई चेतावनी, नगर पंचायत अध्यक्ष दीपक कंवलधर साहू और उपाध्यक्ष नीलाम्बर सिंह जगत समेत अन्य लोग रहे मौजूद

 

 

 

महर्षि वेदव्यास का शाप

वेदव्यास को पहले से ही ज्ञात था कि अंबिका का डर उनके बच्चे को प्रभावित कर सकता है। लेकिन अंबिका ने अपने भय के कारण अपनी आंखें बंद कर लीं, और इस प्रकार उनका पुत्र धृतराष्ट्र जन्म से ही दृष्टिहीन हो गया। महर्षि वेदव्यास ने यह स्पष्ट कर दिया था कि जैसे-जैसे माता का मन, वैसी ही संतान होती है। अंबिका का यह डर उनकी संतान पर पड़ा और धृतराष्ट्र को जीवनभर अंधता का सामना करना पड़ा। धृतराष्ट्र के अंधे होने के बावजूद उन्हें हस्तिनापुर के राजा का ताज पहनाया गया, परंतु उनके निर्णयों में इस अंधता का असर देखने को मिला। उन्होंने अनेक निर्णयों में अपनी कमजोरी के चलते गलतियाँ कीं, विशेषकर अपने पुत्रों के प्रति मोह के कारण। कौरव और पांडवों के बीच बढ़ते तनाव को नियंत्रित करने में भी उनकी अंधता एक बाधा साबित हुई।

इसे भी पढ़े -  Malkharouda News : छपोरा गांव में निःशुल्क जांच शिविर एवं रक्तदान शिविर आयोजित, लोगों ने 35 यूनिट किया रक्तदान, जिला पंचायत सदस्य, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष, सरपंच सहित बड़ी संख्या लोग रहे मौजूद

 

 

 

पांडु को क्यों बनाया गया राजा?

धृतराष्ट्र के अंधे होने के कारण उन्हें शासन की जिम्मेदारी देने में शंका उत्पन्न हुई। कुरु वंश की परंपरा के अनुसार, राजा का शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम होना आवश्यक था, जिससे वह राष्ट्र की देखभाल कर सके और कठिन परिस्थितियों में भी निर्णय ले सके। धृतराष्ट्र के अंधत्व को देखते हुए, विदुर, भीष्म पितामह और अन्य राजकुल के सदस्यों ने यह निर्णय लिया कि उनके छोटे भाई पांडु को राजा बनाया जाए। पांडु, शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम थे, और उनमें राज्य के कार्यभार संभालने की क्षमता थी। इसके अलावा, उन्हें युद्ध कला और शास्त्र का भी ज्ञान था, जो उन्हें कुशल शासक बनाता था। इस प्रकार पांडु का राजा बनना धर्म और नीति के अनुसार सही समझा गया, क्योंकि वह राज्य के समर्पित रक्षक और कुशल नेता थे।

इसे भी पढ़े -  Malkharouda News : सद्भावना भवन में दिव्यांगजनों का शत-प्रतिशत प्रमाणीकरण तथा UDID कार्ड पंजीयन शिविर कार्यक्रम में जिला पंचायत सदस्य रमौतीन बंजारे, मालखरौदा जनपद पंचायत अध्यक्ष कवि वर्मा रहे मौजूद, बड़ी संख्या में दिव्यांगजनों ने शिविर का उठाया लाभ

error: Content is protected !!