बिना ड्राइविंग लाइसेंस की गाड़ी चलाने पर आपको अच्छा खासा फाइन चुकाना पड़ जाता है. इसीलिए 18 साल के बाद ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना बेहद जरूरी हो जाता है. भारत में एक नहीं बल्कि चार तरह के ड्राइविंग लाइसेंस होते हैं.
इनमें लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस शामिल होता है. इसके बाद परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस शामिल होता है. उसके बाद कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस और फिर उसके बाद इंटरनेशनल ड्राइविंग परमिट जारी किया जाता है. अलग जरूरत के हिसाब से अलग लाइसेंस मिलत है.
हाल ही में भारत में ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नियमों में बदलाव कर दिया है. अब आप परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस यानी लाइट मोटर व्हीकल लाइसेंस धारक हैं तो भी आप कमर्शियल वाहन चला सकेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अब कार के अलावा छोटा हाथी सहित इस श्रेणी में आने वाले हल्के कमर्शियल वाहनों को एलएमवी लाइसेंस के साथ चलाया जा सकता है.
बता दें इससे पहले कमर्शियल वाहन चलाने के लिए लोगों को कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस लेना पड़ता था. जो अलग से बनवाना पड़ता था उसके अलग से फीस देनी पड़ती थी. लेकिन अब हल्के कमर्शियल वाहन नॉर्मल ड्राइविंग लाइसेंस पर भी चलाये जा सकेंगे.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन ड्राइवर को फायदा पहुंचेगा जो लाइट मोटर व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस पर ड्राइविंग करते हैं. पहले एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस धारक ड्राइवर अगर एक्सीडेंट का शिकार हो जाते थे. तो बीमा कंपनी कानूनी तकनीकियों का इस्तेमाल करके उन्हें क्लेम नहीं देती थीं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.