सक्ती. जिले के रेड़ा गांव में ग्रामीण स्व रोजगार प्रशिक्षण संस्थान जांजगीर के द्वारा 13 दिवसीय क़ृषि उद्यमी पैरा फुटू का निःशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है और 35 महिलाएं प्रशिक्षण ले रही है. क़ृषि अवशेष को खेत में जलाने के बजाय उससे बारहमासी पैरा पुटु उगाकर अच्छी आमदनी ली जा सकती है. इसके साथ ही पैरा पुटु उगाने के बाद बचे क़ृषि अवशेष से खेती के लिये जैविक खाद बना सकते हैं. इतना ही नहीं बल्कि क़ृषि अवशेष का उपयोग मवेशियों को खिलाने के लिए सूखा चारा के रूप में करके क़ृषि क्षेत्र में अधिक आमदनी ली जा सकती है. ग्रामीण महिलाओ को इस तरह की आजीविका गतिविधियों से जोड़ने के उद्देश्य को लेकर निःशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. यह प्रशिक्षण पूर्णतः निःशुल्क है.
क़ृषि उद्यमी प्रशिक्षण कार्यक्रम में ग्रामीण महिलाओ को क़ृषि क्षेत्र आने वाले विभिन्न गतिविधियों जैसे सब्जी, फल फूल खेती, मशरूम अर्थात पैरा पुटु उत्पादन, पशुपालन, डेयरी, जैविक खाद निर्माण, मुर्गी पालन, बकरी पालन, मछली पालन, बतख पालन, मधुमक्खी पालन, एकीकृत क़ृषि प्रणाली की जानकारी मास्टर ट्रेनर दीनदयाल यादव के द्वारा संस्थान के निदेशक लक्ष्मीनारायण सिंकू के मार्गदर्शन में तथा फेकेल्टी अरुण कुमार पाण्डेय, उत्तम कुमार राठौर, योगेश कुमार यादव के सहयोग से दी जा रहीं है.
क़ृषि अवशेष को खेत में जलाने से पर्यावरण को होने वाले दुष्परिणाम और उनका सही उपयोग से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी जा रहीं हैं. मास्टर ट्रेनर दीनदयाल यादव के द्वारा बिहान की महिलाओ को प्रतिदिन सब्जी में होने वाले खर्च को बचाने के उद्देश्य से किचन गार्डन, पोषण वाटिका विकसित करके जैविक पद्धति से सब्जी, फल फूल उगाने, क़ृषि अवशेष से मशरूम, पशु चारा, जैविक खाद बनाकर आमदनी लेने के साथ ही पशुपालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन जैसे क़ृषि आजीविका गतिविधिया अपनाकर सालभर आमदनी लेकर आर्थिक स्थिति मजबूत करने की तकनीक सिखाई जा रहीं हैं.