MBBS के छात्र ने हॉस्टल में लगाई फांसी, 5 घंटे पहले भाई से की थी फोन पर बात; आखिर क्या हो सकती है वजह?

हिंद मेडिकल कालेज के हास्टल में एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के छात्र ने फांसी लगाकर जान दे दी। मूलरूप से वाराणसी निवासी छात्र को पढ़ाई के बोझ और अनुपस्थिति को लेकर परेशान बताया जा रहा है। मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी फांसी लगाए जाने की पुष्टि हुई है। पोस्टमार्टम के बाद परिवारजन शव लेकर वाराणसी चले गए हैं।



वाराणसी के बड़ागांव सिधालपुर निवासी डा. अशोक कुमार यादव के छोटा पुत्र विकास प्रताप यादव हिंद मेडिकल कालेज में द्वितीय वर्ष के छात्र थे। वह मेडिकल कालेज परिसर में बने हास्टल के कमरा नंबर 26 में सहपाठी मनीष सिंह के साथ रहते थे।

बताया जाता है कि 11 अक्टूबर की रात करीब साढ़े नौ बजे मनीष सिंह भोजन करने के बाद लौटा तो विकास का शव फंदे से लटक रहा था। सूचना पर कालेज प्रशासन व पुलिस मौके पर पहुंची। शव को उतारकर परिवारजन को जानकारी दी गई। कमरे की तलाशी में कोई सुसाइड नोट नहीं पाया गया है। परिवारजन के पहुंचने के बाद डाक्टरों के पैनल ने फाेटोग्राफी के बीच पोस्टमार्टम किया।

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कालेज प्रशासन से नहीं मिलने दिया गया
मृतक के पिता अशोक कुमार यादव ने बताया कि विकास अपनी अनुपस्थिति को लेकर बहुत परेशान था। फोन पर हुई बातचीत में उसने कहा था कि कहीं उसे कालेज वाले फेल न कर दें। उसकी स्थिति को देखते हुए उन्होंने अपने बड़े पुत्र चंद्रशेखर यादव को करीब पांच दिन पहले उसके पास भेजा था।

उसने काफी समझाया और साथ चलने को भी कहा, लेकिन वह इतना डरा हुआ था कि साथ आने को तैयार नहीं हुआ। वहीं, चंद्रशेखर ने जब कालेज प्रशासन से मिलना चाहा तो उसे मिलने नहीं दिया गया। यही नहीं, जब पुत्र के साथ घटना हुई तो उन्हें सूचना दी गई थी कि विकास की तबीयत खराब है।

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दो माह पूर्व आया था घर
पिता ने बताया कि विकास करीब दो माह पहले घर आया था और उसने कहा था कि इस बार बढ़िया से पढ़ाई करेगा। यही नहीं, उसने दूसरा मोबाइल मांगा था तो उसे रुपये भेजे थे। उसने ऐसा कदम किन हालत में उठाया, समझ नहीं आ रहा। वह ऐसा करने वाला बच्चा नहीं था।

पांच बजे की थी भाई से बात
जान देने से करीब पांच घंटा पहले शुक्रवार को बड़े भाई चंद्रशेखर से फोन पर बात की थी और बताया था कि वह घूमटहल रहा है। फोन पर सारी बातें सामान्य थीं। घटना के बाद जब परिवारजन कालेज पहुंचे तो सहपाठियों ने भी ऐसा कुछ नहीं बताया कि वह इतना बड़ा कदम उठाने जा रहा हो। रात नौ बजे तक वह अपने सहपाठियों के साथ था।

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