हर घर में सब्जियों में सबसे अधिक आलू का सेवन किया जाता है. फ्रिज में कोई हरी सब्जी ना भी हो तो लोग फटाफट आलू की सब्जी, भरता, भुजिया, पराठा आदि बना लेते हैं.
आलू में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को ढेरों लाभ पहुंचाते हैं. कई बार आपने गौर किया होगा कि आलू में कुछ स्प्राउट्स जैसे निकल आते हैं. कुछ लोग इसे छीलकर हटा देते हैं, कुछ ऐसा आलू खाने से बचते हैं तो कुछ को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि क्या स्प्राउटेड आलू को खाना सेहत के लिए हेल्दी है? दरअसल, आलू में शूट्स या आइज उगने लगते हैं. ऐसा तब होता है, जब आलू कई दिनों तक पड़ा रहे. जानते हैं स्प्राउटेड आलू खाने के फायदे-नुकसान?
अंकुरित आलू खाना चाहिए या नहीं?
टीओआई में छपी एक खबर के अनुसार, आलू प्रकाश, गर्मी और नमी के संपर्क में आने पर अंकुरित होते हैं. ये प्रक्रिया आलू के ग्रोथ साइकल का नेचुरल पार्ट है. जब आलू को ऐसी कंडीशन में स्टोर किया जाता है, जिसमें स्प्राउटिंग प्रॉसेस बढ़ सकती है जैसे किचन, डायरेक्ट लाइट पड़ने वाली जगह आदि के कारण आलू पर निकले बड्स धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं. हालांकि, स्प्राउटिंग की ये प्रक्रिया कोई नुकसानदायक नहीं होती है. बस इसके कारण आलू में पोषक तत्वों में कुछ बदलाव हो जाते हैं. इससे विटामिन सी और कार्बोहाइड्रेट में थोड़ी कमी आ सकती है, क्योंकि यह नए अंकुरों के विकास में सहायता के लिए अपने स्टोर किए हुए पोषक तत्वों का उपयोग करता है. हालांकि, कई बार स्प्राउटेड आलू में कुछ टॉक्सिक कम्पाउंड का निर्माण भी हो सकता है.
हालांकि, आलू के अंकुरित होने पर भी आपको इससे कई तरह के पोषक तत्व प्राप्त हो सकते हैं जैसे पोटैशियम, फाइबर, विटामिन सी, बी6. हालांकि, इसमें अधिक मात्रा में सोलेनिन (नेचुरल टॉक्सिन) होता है जो उल्टी, मतली, पेट दर्द, डायरिया और अन्य कुछ सेहत संबंधित समस्याएं उत्पन्न कर सकता है, यदि आप अधिक मात्रा में इस तरह के आलू का सेवन करते हैं. साथ ही सिरदर्द, चक्कर आना, कंफ्यूजन जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं. बेहतर है कि आप आलू के अंकुरित और हरे वाले भाग को काटकर हटा दें. आप अपने सेहत का ख्याल रखते हुए स्प्राउटेड आलू को न भी खाएं तो सही होगा.
अंकुरित आलू में पोषक तत्व और नुकसान
कैसे करें स्प्राउटेड आलू का सेवन
-यदि आलू पर कोई अंकुर या हर रंग का हिस्सा अधिक है तो उसे पूरी तरह से काट कर हटा दें.
-छिलका छील कर ही यूज करें. इससे नुकसानदायक Glycoalkaloids का लेवल कम हो जाता है. ये कम्पाउंड छिलके के नीचे स्किन में अधिक होता है.
– यदि आलू मुलायम और कोई दुर्गंध है तो बेहतर है कि आप इसे ना ही खाएं. ये सभी इस बात की तरह इशारा कर रहे हैं कि आलू खराब हो चुका है.
आलू आप जितनी अच्छी तरह से पका लें, उतना ही Glycoalkaloids कंटेंट कम हो सकता है. आलू को उच्च तापमान पर उबालने, बेक करने या फ्राई करने से टॉक्सिन लेवल काफी हद तक कम हो सकता है.