‘डिजिटल अरेस्ट’ 10 केस और 10 सबक, सावधान! उलझ ना जाना, चौंकने ही नहीं सतर्क रहने का भी जमाना…विस्तार से पढ़िए

देश में डिजिटल अरेस्ट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लोग साइबर ठगों के जाल में फंसकर अपनी जमा-पूंजी लुटा बैठते हैं। साइबर फ्रॉड के शिकार होने वालों में छात्रों से लेकर बुजुर्ग, होम मेकर्स से लेकर काम कामकाजी महिलाएं, किसान से लेकर आईटी सेक्टर में काम करने वाले और बड़े-बड़े पदों पर आसीन पेशेवर भी शामिल हैं। स्‍कैमर साइबर फ्रॉड करने के लिए ऐसे जाल-बिछाते हैं कि पढ़े-लिखे और जागरूक लोग भी उनके चंगुल में फंसकर लाखों करोड़ो गंवा देते हैं।



गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम कर रहे भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के मुताबिक, साइबर ठग इस साल सितंबर तक 11,333 करोड़ से ज्यादा रुपये की ठगी कर चुके हैं।

हालांकि, साइबर फ्रॉड के जरिये ठगी का असली आंकड़ा इससे कहीं बहुत अधिक है। किस कदर लोग साइबर ठगों के जाल में फंस रहे हैं, इसके लिए हम आपको देश के ऐसे 10 डिजिटल अरेस्ट मामले बताते हैं, जो आपके लिए सबक भी हो सकते हैं। यहां पढ़ें…

केस नंबर-1
77 साल की महिला एक माह वीडियो कॉल पर रखा; 3.8 करोड़ ठगे
मुंबई में रहने वाली एक 77 वर्षीय महिला के एक पास करीब एक माह पहले अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर कॉल आई। उधर से बोल रहे शख्स (साइबर ठग) ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ED) का अधिकारी बताया। कॉल पर कहा- ‘आपने जो पार्सल ताइवान भेजा है, उसमें एमडीएमए ड्रग्स, पांच पासपोर्ट, कपड़े और एक बैंक का कार्ड मिला है।’ महिला ने किसी भी पार्सल के भेजने से साफ इनकार कर दिया। इस पर ठग ने कहा कि पार्सल भेजने के लिए उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल हुआ है। मैं मुंबई पुलिस के सीनियर अधिकारी से आपकी बात करवाता हूं।

फर्जी ईडी अधिकारी ने फर्जी मुंबई पुलिस के सीनियर अधिकारी को कॉल ट्रांसफर की, जिसने महिला को बताया कि एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में उसका आधार कार्ड भी शामिल है। जांच चल रही है। इसके आपसे वीडियो कॉल पर ही पूछताछ की जाएगी। आप स्काइप पर हमारी टीम से जुड़ जाइए।

जब महिला ने मोबाइल पर स्काइप यूज न करने की जानकारी दी तो फर्जी पुलिस अधिकारी ने कॉल पर बात करते हुए महिला से स्‍काइप एप डाउनलोड करवाया। फर्जी पुलिस अधिकारी ने कॉल डिस्कनेक्ट करने से पहले महिला से हिदायत दी कि देश की सिक्योरिटी को लेकर इंटरनल जांच चल रही है, इसके बारे में अभी किसी को न बताएं।

फिर एक अन्‍य ठग ने खुद आईपीएस अफसर बताकर महिला से उसके बैंक अकाउंट की जानकारी ली। फिर उसे एक अकाउंट नंबर दिया, जिस पर पैसा ट्रांसफर करने को कहा। साथ ही कहा कि अगर कोई गड़बड़ी नहीं पाई जाती है तो पैसे वापस कर दिए जाएंगे। ठगों ने डिजिटल अरेस्ट की शिकार महिला का भरोसा जीतने के लिए ट्रांसफर किए गए 15 लाख वापस भी कर दिए।

बाद ठगों ने पीड़िता से पति संग ज्वाइंट अकाउंट का पूरा पैसा ट्रांसफर करने को कहा। इस पर महिला ने स्कैमर्स की ओर से दिए गए छह अलग बैंक खातों में कई बार में 3.8 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। ठग महिला से ट्रांसफर किए गए पैसे लौटाने के लिए टैक्स देने के नाम पर और पैसे मांगने के लिए दबाव बनाने लगे। तब महिला को शक हुआ।

फिर पीड़ित महिला ने विदेश में रह रही अपनी बेटी को कॉल कर पूरी घटना बताई। एक महीने तक वीडियो कॉल पर पूछताछ का भी जिक्र किया। बेटी ने मां को बताया कि उनके साथ साइबर फ्रॉड हुआ है। वे तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं।

पीड़िता ने तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद उन छह बैंक अकाउंट को फ्रीज किया गया, जिनमें महिला से पैसे ट्रांसफर कराए गए थे। 27 नवंबर को यह मामला सामने आया। मुंबई क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच में जुटी है।

केस नंबर-2
ऑनलाइन अकाउंट में प्रॉफिट दिखाकर टैक्स के नाम पर 11 करोड़ ठगे
डिजिटल अरेस्ट कर ठगी का दूसरा मामला भी मुंबई का ही है। साइबर स्‍कैमर ने मुंबई निवासी 75 वर्षीय रिटायर्ड शिप कैप्टन को शेयर मार्केट में हाई रिटर्न दिलाने का झांसा देकर अपने जाल में फंसा लिया। फिर अगस्त 2024 से लेकर नवंबर 2024 के बीच 11.16 करोड़ रुपये की ठगी कर ली।

मुंबई पुलिस ने 27 जनवरी को इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि साइबर ठगों ने बुजुर्ग को मोटा मुनाफा दिलाने का यकीन दिलाया। इसके लिए उन्होंने कई पॉलिसी और दस्‍तावेज भी दिखाए। शुरू-शुरू में बुजुर्ग को अपने ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट अकाउंट में मुनाफा भी नजर आया।

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जब पीड़ित जुर्ग ने रकम निकालनी चाही तो कहा गया कि 20 प्रतिशत सर्विस टैक्स देने के बाद ही निकाल पाएंगे। इसके बाद पीड़ित ने 22 बार में ठगों के खातों में 11 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। पीड़ित बुजुर्ग जब उसके बाद भी ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट अकाउंट से पैसे नहीं निकाल पाए, तब उनको फ्रॉड का अहसास हुआ।

इसके बाद बुजुर्ग ने साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। जांच में पता चला कि स्कैमर्स ने पैसे निकालने के लिए कई बैंक खातों का यूज किया था। पुलिस ने छानबीन करने के बाद साइबर धोखाधड़ी मामले में हिस्ट्रीशीटर कैफ इब्राहिम मंसूरी को गिरफ्तार किया है। आरोपी के पास से 12 अलग-अलग बैंक अकाउंट के 33 डेबिट कार्ड और 12 चेक बुक मिले हैं।केस

नंबर-3
डॉक्टर को 7 दिन तक रखा डिजिटल अरेस्ट ठगे 2.81 करोड़

यूपी की राजधानी लखनऊ में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रुचिका टंडन को इसी साल अगस्‍त में सात दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा और 2.81 करोड़ रुपये की ठगी कर ली।

महिला डॉक्‍टर ने पुलिस को बताया, ”5 अगस्त की सुबह उनके पास एक कॉल आई। बात करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) बताया। कहा कि मुंबई पुलिस में आपके मोबाइल नंबर से लोगों को परेशान करने वाले मैसेज भेजने की शिकायत मिली है। इसलिए पुलिस के निर्देश पर आपका मोबाइल नंबर बंद कर दिया जाएगा।”

डॉक्‍टर ने आगे बताया, ”इसके बाद उन्होंने एक शख्स को आईपीएस अधिकारी बताकर मेरी बात करवाई, जिसने बताया कि सात करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग के केस में मेरा भी एक बैंक अकाउंट शामिल है। उसे मुझे तुरंत अरेस्ट करने का आदेश मिला है। वो दूसरे शहर में है, इसलिए मुझे डिजिटल अरेस्ट किया गया है। फिर CBI अधिकारी से बात कराई। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि अभी इस बारे में किसी को न बताऊं; यह सीक्रेट इन्वेस्टिगेशन है।’

केस नंबर-4
वर्धमान ग्रुप के चेयरपर्सन से 7 करोड़ की ठगी; नकली अदालत में फर्जी जज भी

वर्धमान ग्रुप के चेयरपर्सन व पद्मश्री एसपी ओसवाल को भी साइबर ठगों ने चूना लगाया। एसपी ओसवाल के पास एक कॉल आई। उन्‍होने कॉल रिसीव की तो उधर से कहा गया, ” मैं सीबीआई से बोल रहा हूं। एक पुराने मामले में आपके नाम का अरेस्ट वारंट है। आपको डिजिटली कस्टडी में लिया जा रहा है। स्काइप पर कनेक्ट कीजिए। आपसे पूछताछ होगी। प्लीज कोऑपरेट कीजिए।

एसपी ओसवाल के मामले में स्काइप पर वीडियो कॉल के दौरान ठगों ने कमरे का माहौल हू-ब-हू पुलिस स्टेशन और सीबीआई दफ्तर जैसा बनाकर रखा था। जब एसपी ओसवाल वीडियो कॉल पर थे तो उनको पीछे से वॉकी-टॉकी पर आ रहे संदेश भी सुनाई दे रहे थे।

आमतौर पर कंट्रोल रूम का नजारा ऐसा होता है। यह देखकर एसपी ओसवाल को यकीन हुआ कि मामला सही है। अंडर नेशनल सीक्रेट एक्ट होने का हवाला देकर किसी को इस बारे में बताने से मना किया था।

इसके बाद स्कैमर्स ने सुप्रीम कोर्ट का फर्जी एडवोकेट से परिचय कराया। उधमी को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (अब रिटायर्ड) बेंच आपके मामले की सुनवाई कर रही है। हद तो तब हो गई, जब वीडियो कॉल पर नकली जज ने आदेश भी सुना दिया कि इनकी प्रॉपर्टी ट्रांसफर करवा ली जाए। अगर ऐसा न करें तो इनको गिरफ्तार कर लिया जाए।

डिजिटली अरेस्ट, कोर्ट में सुनवाई और आदेश.. ये सब इतनी सफाई से हुआ कि एकदम सच नजर आ रहा था। ओसवाल को भेजे गए कोर्ट ऑर्डर की कॉपी भी बिलकुल असली नजर आ रही थी, जिसके चलते वे झांसे में आ गए और सात करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा दिए।

हालांकि, आरोपियों में एक ने लालच से अपने बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करवाए, जिसके चलते गिरोह का पर्दाफाश हो पाया। इसके बाद पुलिस ने 5 करोड़ 25 लाख रुपये की रिकवरी कर ली। यह घटना सितंबर के आखिरी हफ्ते की है।

केस नंबर-5
बेटा-बेटी समेत जाओगे जेल, डरा-धमकाकर इंजीनियर से ठगे 10.30 करोड़

देश की राजधानी दिल्ली के रोहिणी में रहने वाले एक 72 वर्षीय रिटायर्ड इंजीनियर को साइबर ठगों ने 8 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी कर ली। बुजुर्ग को प्रतिबंधित दवाएं देश से बाहर भेजने के नाम पर डराया-धमकाया, ऑनलाइन टॉर्चर किया।

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पूछताछ के नाम पर निजी जानकारी हासिल कर ली। फिर रिटायर्ड इंजीनियर के बेटा-बेटी को भी फंसाने के नाम पर सात अलग-अलग बैंक खातों में 10 करोड़ 30 लाख रुपये जमा करा लिए हैं। जब बेटा-बेटी से भी पैसा मांग कर देने का कहा, तब बुजुर्ग को शक हुआ और उन्होंने वीडियो कॉल बंद कर दिया।
घटना के बारे में परिवार के अन्‍य सदस्‍यों को बताया। यह मामला 29 सितंबर का है। पीड़ित ने 1 अक्टूबर को पुलिस के पास जाकर शिकायत दर्ज कराई। दिल्ली साइबर सेल मामले की जांच कर रही है।

केस नंबर-6
‘अश्‍लील वीडियो देखते हो’, ठगों ने मांगे पैसे; छात्र ने कर ली आत्महत्या

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में एक नाबालिग छात्र को भी साइबर ठगों ने अपना निशाना बनाया। ठगों ने नाबालिग छात्र को कॉल कर कहा कि तुम अश्‍लील वीडियो देखते हो, इसलिए तुमको डिजिटली अरेस्ट किया जा रहा है।

बचना चाहते हो तो पैसे तो वरना इसकी जानकारी तुम्हारे परिवार और दोस्तों को दे दी जाएगी। इंस्टाग्राम और फेसबुक पर भी शेयर करने की धमकी दी। इससे छात्र इतना डर गया कि उसने सुसाइड कर ली। सुसाइड नोट के मिलने पर इसका खुलासा हुआ।

केस नंबर-7
जेल के नाम से डर गई महिला इंजीनियर; इंस्टेंट लोन लेकर दे दिए पैसे

नोएडा सेक्टर 82 में रहने वाली एक महिला आईटी इंजीनियर को डिजिटल अरेस्‍ट कर 20 लाख रुपये की ठगी कर ली गई। दरअसल, ठगों ने महिला को कॉल कर कहा कि उसने जो पार्सल ईरान भेजा है, उसमें ड्रग्‍स समेत कई आपत्तिजनक सामान मिले हैं।

जब महिला ने पार्सल भेजने से मना किया तो कॉल करने वाले ने बताया कि आपके आधार कार्ड से अवैध गतिविधियां पिछले सात महीने से हो रही हैं। अगर जेल नहीं चाहती हो तो 20 लाख रुपये इस अकाउंट में ट्रांसफर कर दो। वरना बीसियों साल जेल में चक्की पीसती रहोगी।

महिला जेल जाने के नाम से इतनी डर गई उसके अकाउंट में पैसे नहीं तो उसने इंस्टेंट लोन ठगों के खाते में ट्रांसफर कर दिए। पैसे मिल जाने के बाद ठगों ने महिला से संपर्क खत्म कर लिया, उसके बाद महिला को अपने साथ फ्रॉड होने का अहसास हुआ। तब उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

केस नंबर-8
वकील को कॉल कर कहा- आपका बेटा हिरासत में है, रिहाई करानी है तो पैसे दो

मध्‍यप्रदेश में एक वकील के पास व्हाट्सएप पर कॉल आया। कॉल पर कहा गया कि थाने से बोल रहे हैं। तुम्हारा बेटा रेप के आरोप में हिरासत में है। अगर रिहाई चाहते हो तो 70 हजार रुपये ट्रांसफर कर दो, वरना लगाते रहना कोर्ट-कचहरी के चक्‍कर।

वकील ने स्कैमर्स के कहे मुताबिक, 70 हजार ट्रांसफर कर तुरंत रिहा करने के लिए कहा, लेकिन स्कैमर्स ने और पैसे मांगे। तब वकील को शक हुआ और वह थाने पहुंचा। इसके बाद पूरा मामला खुला। मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।

नंबर-9
ठगों के इशारे पर 48 घंटे तक दौड़ती रही महिला प्रोफेसर, गंवाए 3.07 करोड़

पटना की रहने वाली एक सेवानिवृत्त महिला प्रोफेसर को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्‍ट कर मानसिक यातनाएं दीं। महिला प्रोफसर को इस कदर डराया कि 48 घंटे तक ही ठगों के इशारे पर दौड़-भाग करती रहीं।

ठगों के निर्देशानुसार ही वीडियो कॉल पर ही सोना, खाना और बैंक जाकर फिक्स डिपॉजिट तोड़कर साइबर ठगों के बताए खाते में आरटीजीएस से पैसे भेजती रहीं। जब 48 घंटे तक पूछताछ के बाद महिला प्रोफेसर को पूछताछ से फ्री किया गया, तब उनको ठगी का अहसास हुआ। तब तक महिला 3.07 करोड़ रुपये गंवा चुकी थीं।

केस नंबर-10
महिला डॉक्टर से कहा- पोर्न देखती हो; लंबा जेल जाओगी
नोएडा के सेक्टर 77 में रहने वाली एक 40 वर्षीय महिला डॉक्टर को ठगों ने अश्लील वीडियो साझा करने की बात कहकर फंसाया। पीड़ित पूजा गोयल ने साइबर क्राइम थाने को दी शिकायत में बताया कि 13 जुलाई को उनके पास अनजान नंबर से फोन आया। कहा कि तुम पोर्न देखती हैं और शेयर करती है, यह क्राइम है।

मनी लॉन्ड्रिंग केस में भी तुम्हारा नाम है। तुम्हारा नाम गैर जमानती अरेस्ट वारंट है। इतना ही नहीं, फर्जी पुलिस अधिकारियों ने डॉक्टर से स्काइप पर पूछताछ के दौरान कहा कि तुम्हारा नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में नरेश गोयल के साथ आ रहा है। उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत केस दर्ज हुआ है।

इसे भी पढ़े -  Sakti News : मालखरौदा के जपं उपाध्यक्ष रितेश साहू ने 10 लाख के लागत से सीसी रोड निर्माण कार्य का किया भूमिपूजन, लोगों को धूल-मिट्टी और कीचड़ युक्त सड़क से मिलेगी मुक्ति, स्थानीय लोगों ने सीसी रोड निर्माण के लिए जपं उपाध्यक्ष का जताया आभार

जालसाजों ने महिला से कहा कि बचना चाहती हो तो पैसे देकर मामला सेटल कर लो। वरना लंबा जेल जाओगी। फर्जी ट्राई के कर्मचारियों और पुलिस अधिकारियों (ठगों) ने महिला चिकित्सक की बेटी का अपहरण करने और जीवन बर्बाद करने की धमकी दी।

इसके बाद महिला डॉक्‍टर ने डरकर 59 लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। दो दिन तक डिजिटल अरेस्ट रहने और 59 लाख रुपये ट्रांसफर करने के बाद जब ठगों ने और रकम मांगी, तब महिला डॉक्‍टर का दिमाग चला। फिर उसने साइबर पुलिस में शिकायत की। हालांकि, पैसे वापस नहीं आ सके।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट एक साइबर फ्रॉड है, जिसमें धोखाधड़ी करने वाले लोग आपको अनजान नंबर से कॉल या वॉट्सएप करते हैं। कॉल पर ठग पुलिस, सीबीआई, ट्राई कर्मचारी, नारकोटिक्स, आरबीआई और दिल्ली या मुंबई पुलिस अधिकारी बनकर आत्मविश्वास से बात करते हैं। वॉट्सएप या स्काइप पर वीडियो कॉल करने को कहते हैं, जहां फर्जी अधिकारियों का एकदम असली सा सेटअप नजर आता है।

ये फर्जी अधिकारी पीड़ित को इमोशनली और मेंटली टॉर्चर करते हैं। वे आपको बताते हैं कि आप क्रिमिनल हैं। या कहते हैं कि आपके आधार कार्ड/मोबाइल नंबर का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में हो रहा है।

सामने बैठा व्यक्ति पुलिस जैसी दिखने वाली वर्दी में होता है, ऐसे में ज्यादातर लोग डर जाते हैं और उनके जाल में फंसते चले जाते हैं। आसान भाषा में कहा जाए तो डिजिटल अरेस्ट में फर्जी सरकारी अधिकारी बनकर वीडियो कॉल के माध्यम से लोगों को डरा-धमकाकर रकम वसूली करना है।

ठग डिजिटल अरेस्ट में कैसे फंसाते हैं?
साइबर ठग अनजान मोबाइल नंबर से व्हाट्सएप पर वॉइस या वीडियो कॉल करते हैं।
आपका पार्सल में ड्रग्स मिलने और आपत्तिजनक सामान मिलने की बात कहते हैं।
अगर आप मना करेंगे तो वे आपके फोन नंबर व आधार यूज होने की बात कहेंगे।
आपके किसी अपने के किसी गंभीर मामले में गिरफ्तार होने की बात भी कह सकते हैं।
पूछताछ के नाम पर स्काइप पर जुड़ने के लिए कहेंगे। यहां डराएंगे-धमकाएंगे।
धमकी देकर वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए मजबूर करते हैं।
ठग मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स का धंधा या अन्‍य अवैध गतिविधियों के गंभीर आरोप लगाते हैं।
पीड़ित को परिवार या फिर किसी को भी इस बारे में कुछ न बताने की धमकी दी जाती है।
वीडियो कॉल करने वाले व्‍यक्ति का बैकग्राउंड पुलिस स्टेशन जैसा नजर आता है।
पीड़ित को लगता है कि पुलिस उससे ऑनलाइन पूछताछ कर रही है या मदद कर रही है।
इस तरह ठग पीड़ित की निजी जानकारी इकट्ठी कर लेते हैं।
केस को बंद करने और गिरफ्तारी से बचने के लिए मोटी रकम की मांग करते हैं।

डिजिटल अरेस्ट की पहचान कैसे करें?

डिजिटल अरेस्ट की पहचान करने और बचने के लिए सतर्कता जरूरी है। अगर आपके पास किसी अनजान नंबर से कोई फोन या वॉट्सएप कॉल आती है तो कॉल पर बात करते वक्त सावधानी बरतें।

कॉल के वक्त याद रखें…

  • पुलिस अधिकारी कभी खुद की पहचान बताने के लिए वीडियो कॉल नहीं करेंगे।
  • किसी भी राज्य की पुलिस आपको कभी कोई भी एप डाउनलोड करने को नहीं कहेगी।
  • पहचान पत्र, FIR की कॉपी और अरेस्ट वारंट ऑनलाइन नहीं भेजा जाता है।
  • पुलिस अधिकारी कभी भी वॉयस या वीडियो कॉल पर बयान दर्ज नहीं कराते हैं।
  • पुलिस कभी कॉल पर निजी जानकारी पूछने के लिए डराती-धमकाती नहीं है।
  • पुलिस कभी भी परिवार व आसपास वालों से बात करने से नहीं रोकती है।
  • देश के कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है।
    यहां क्राइम करने पर असली वाली गिरफ्तारी होती है, असली जेल होती है।

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