जांजगीर-चाम्पा. बहेराडीह में स्थापित देश के पहले किसान स्कूल में वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू की 50 वीं जन्म जयंती के अवसर पर 30 दिवसीय निःशुल्क मशरूम पैरा पुटु उत्पादन का प्रशिक्षण, पौध रोपण और विलुप्त चीजों को छत्तीसगढ़ समेत पंजाब और उड़ीसा राज्य के किसानों ने भेंट किया है. यहां पर संग्रहालय में अब तक सैकड़ो किसान, विलुप्त चीजों को भेंट कर चुके हैं, जिसमें नागर, तुतारी, कोर्रा, बेलन, बैलगाडी समेत स्टोव, कंडिल, किसान टार्च, कजरौटी, काठा पैली, खुमरी, चौगी, ढेरा आदि कई विलुप्त चीजें शामिल हैं.
वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह के संचालक दीनदयाल यादव ने बताया कि उनकी टीम में कई ऐसे प्रगतिशील किसान शामिल हैं, जो ग्रामीण स्व रोजगार प्रशिक्षण संस्थान से जुड़कर और प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर किसानों को क़ृषि क्षेत्र में ट्रेनिंग देने का काम करते हैं. इस दरमियान किसान अपने राज्य में विलुप्त हो रहीं चीजों को किसान स्कूल के संग्रहालय को भेंट करते हैं. छत्तीसगढ़ समेत पडोसी राज्य उड़ीसा और पंजाब के किसान संग्रहालय में कई विलुप्त चीजें भेंट किया है.
बहेराडीह में स्थापित है देश का अनोखा संग्रहालय
किसानों के द्वारा किसानों के लिये बनाए गए किसान स्कूल परिसर में एक संग्रहालय बनाया गया है, जहां पर वर्षो पुरानी विलुप्त चीजों को भारत के सभी राज्यों के किसानों के सहयोग से सहेजकर रखा जा रहा है, जिसमें छत्तीसगढ़ के अलावा कई राज्यों के किसानों का सहयोग मिल रहा है.
किसान स्कूल ने शुरू किया पुरखा का सुरता अभियान
भारत की विलुप्त चीजों को सहेजने के उद्देश्य से वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह की टीम के द्वारा 23 दिसंबर 2021 को राष्ट्रीय किसान दिवस के अवसर पर पुरखा का सुरता अभियान का शुभारम्भ किया गया. इस अभियान की सराहना करते हुए लोग वर्षो पुरानी विलुप्त चीजों को सहेजकर किसान स्कूल परिसर पर स्थापित संग्रहालय में भेंट करने में सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं. उन्होंने बताया कि वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू की 50 वीं जन्म जयंती के अवसर पर उड़ीसा राज्य स्थित ब्रजराज नगर के कूट पिट लमटी बहार में रहने वाली महिला कृषक श्रीमती देविता यादव ने खाट अर्थात चारपाई के लिए इस्तेमाल में आने वाली कांसी घास से निर्मित रस्सी, पुराने ज़माने का सीडी कैसेट और पुरानी कांस धातु का प्लेट भेंट किया. ठीक इसी प्रकार सक्ती जिले के रेड़ा गांव की राधिका कंवर ने पटुआ के रेशे से रस्सी बनाने में उपयोग में आने वाले ढेरा भेंट किया. रेड़ा गांव के ही महिला किसान और सक्रिय महिला अमृत बाई साहू ने वर्षों पुरानी लकड़ी से निर्मित चालगोटी, परसापाली गांव की मीना बाई यादव ने सैकड़ो वर्षो पुरानी रामायण रखने में उपयोग में लाए जाने वाले लकड़ी से निर्मित ब्यास, रेड़ा गांव की गणेशी बाई यादव ने पुराने ज़माने की लोहे से निर्मित हसिया, रेड़ा की ममता कंवर ने बास्केट, कविता महंत ने कौड़ी और भारती कंवर ने सालों पुरानी भोजन पकाने के लिए उपयोग में लाये जाने वाली मिट्टी के बर्तन कुडेरा, तेलाई भेंट किया है. किसान स्कूल के संचालक ने बताया कि अब तक पुरानी चीजों को सहेजने में सिवनी चाम्पा की महिला किसान रुखमणी पाण्डेय का सबसे बड़ा योगदान रहा है