स्टार ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा की कप्तानी में चेन्नई सुपरकिंग्स को लगातार दूसरी हार मिली है। आईपीएल इतिहास में यह पहला मौका है जब चेन्नई की टीम किसी सीजन के शुरुआती दो मैचों में हारी है। कोलकाता के खिलाफ पहले मैच में न तो बल्लेबाज चले थे और न ही गेंदबाज। इस बार टीम के प्रदर्शन में कुछ सुधार हुआ। बल्लेबाजों ने पहाड़ स्कोर बनाया, लेकिन गेंदबाज उसे बचा नहीं पाए।
अब सवाल उठता है कि लगातार दूसरे मैच में चेन्नई को हार क्यों मिली? क्या रवींद्र जडेजा की कप्तानी में समस्या है? क्या हमेशा मजबूत रहने वाली गेंदबाजी इस बार टीम की कमजोरी बन गई है?
दोनों टीमों का स्कोर:
चेन्नई सुपरकिंग्स: 210/7 (20)
लखनऊ सुपर जाएंट्स: 211/4 (19.3)
मैच के टर्निंग पॉइंट
1. लखनऊ की पारी के छठे ओवर की दूसरी गेंद पर ड्वेन ब्रावो की गेंद पर मोईन अली ने क्विंटन डीकॉक का कैच छोड़ दिया। डीकॉक उस समय 30 रन बनाकर खेल रहे थे। उन्होंने 61 रन बनाए और टीम के लिए मजबूत नींव रखी।
2. आठवें ओवर में केएल राहुल को जीवनदान मिला। मोईन अली की गेंद पर तुषार देशपांडे ने उनका कैच टपकाया। उस समय राहुल 36 रन बनाकर खेल रहे थे। हालांकि, वे अपने स्कोर में सिर्फ चार रन जोड़ सके, लेकिन टीम को 80 से 99 के स्कोर तक पहुंचाया। उन्होंने अगले दो ओवरों में 19 रनों की साझेदारी कर पंजाब को मजबूत शुरुआत दी।
3. 14वें ओवर में इविन लुईस को जीवनदान मिला। तुषार पांडे की गेंद पर लुईस ने शॉट खेला। गेंद थर्ड मैन की ओर गई। शॉर्ट थर्ड पर खड़े अंबाती रायुडू उसे नहीं लपक सके और लुईस को चौका मिल गया। लुईस उस समय पांच गेंद पर 10 रन बनाकर खेल रहे। उन्होंने बाद में 23 गेंद पर नाबाद 55 रन ठोक दिए और लखनऊ को मैच जीता दिया।
4. शिवम दुबे का 19वां ओवर मैच का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट रहा। 18वें ओवर तक किसी तरह चेन्नई ने दबाव बनाए रखा, लेकिन 19वां ओवर भारी पड़ गया। मैच के अहम समय में कप्तान जडेजा ने शिवम दुबे को गेंद सौंपी। वे दबाव को नहीं झेल पाए। लखनऊ को तब जीत के लिए दो ओवर में 34 रन बनाने थे। आयुष बदोनी और इविन लुईस ने इस ओवर में 25 रन दे दिए। यहां से मैच लखनऊ की झोली में चला गया।
कैसा रहा दोनों कप्तानों का प्रदर्शन?
केएल राहुल को आईपीएल का सबसे अनलकी कप्तान कहा जाता है। जीते हुए मैच में उनकी टीम हार जाती है, लेकिन इस बार भाग्य ने उनका साथ दिया। राहुल फिल्डिंग लगाते समय और गेंदबाजों को रोटेट करने के समय दबाव में दिखते हैं। ब्रेक के दौरान गौतम गंभीर ने उन्हें अलग से समझाया था।
यही हाल रवींद्र जडेजा का भी है। वे पहली बार कप्तानी कर रहे हैं। उन्होंने गेंदबाजों का सही से इस्तेमाल नहीं किया। आखिरी दो ओवरों के लिए उनके पास मुख्य गेंदबाजों के ओवर ही नहीं बचे। वहीं पर चेन्नई की टीम जीतते-जीतते हार गई। राहुल से ज्यादा जडेजा की कप्तानी में सुधार की आवश्यकता है।
चेन्नई के लिए मैच में क्या-क्या हुआ?
सकारात्मक पक्ष: चेन्नई के बल्लेबाजों ने पहले मैच की निराशा को पीछे छोड़ दिया। उन्होंने छोटे से ब्रेबोर्न स्टेडियम में जमकर रन बनाए। रॉबिन उथप्पा ने अर्धशतक बनाया। शिवम दुबे, मोईन अली, अंबाती रायुडू, रवींद्र जडेजा और महेंद्र सिंह धोनी ने तेजी से रन बनाए। गेंदबाजी में ड्वेन ब्रावो हमेशा की तरह एक बार फिर प्रभावशाली रहे। वहीं, पहला मैच खेलने वाले ड्वेन प्रिटोरियस ने सबको प्रभावित किया। उन्होंने चार ओवर में 31 रन देकर दो विकेट लिए।
नकारात्मक पक्ष: बल्लेबाजी में टीम को ऋतुराज गायकवाड़ ने निराश किया। वे पहले मैच में कोलकाता के खिलाफ शून्य पर आउट हो गए थे। लखनऊ के खिलाफ सिर्फ एक ही रन बना सके। गायकवाड़ से टीम को बल्लेबाजी में सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। वहीं, गेंदबाजी में ब्रावो और प्रिटोरियस को छोड़कर सभी ने निराश किया। टीम को दीपक चाहर की कमी साफ तौर पर महसूस हो रही है। वे होते तो शुरुआती ओवरों में विकेट जरूर निकाल लेते। पावरप्ले में चाहर आईपीएल के खतरनाक गेंदबाजों में एक हैं।
लखनऊ के लिए मैच में क्या-क्या हुआ?
सकारात्मक पक्ष: चेन्नई की तरह लखनऊ के बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया। कप्तान केएल राहुल, डीकॉक, लुईस, दीपक हुड्डा और आयुष बदोनी ने निराश नहीं किया। राहुल, डीकॉक और लुईस ने बड़ी पारी खेली तो हुड्डा और बदोनी ने आखिरी ओवरों में तेजी से रन बनाए। गेंदबाजी में एक बार फिर से सिर्फ रवि बिश्नोई चल सके। उन्होंने चार ओवर में 24 रन देकर दो विकेट हासिल किए। बिश्नोई ने पहले मैच में भी अच्छी गेंदबाजी की थी।
नकारात्मक पक्ष: टीम की फील्डिंग और गेंदबाजी को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। हालांकि, कैच एक ही छोड़ा, लेकिन कई रन गलती के कारण विपक्षी टीम के बने। गेंदबाजी में चार खिलाड़ियों ने 10 से ज्यादा की इकॉनमी से रन दिए। आवेश खान ने भी नौ से ज्यादा की इकॉनमी से रन रन लुटाए। टीम की यही समस्या पहले मैच में भी थी। इस पर काम करने की जरूरत है।