इस जेल के कैदी…  बनाते हैं खास सामान, आत्मनिर्भरता की ‘किक’ दिखती है….यहां

मेरठ. स्पोर्ट्स सिटी के तौर पर वैश्विक पहचान रखन वाले मेरठ की जेल में बंद कैदी भी आत्मनिर्भरता की ‘किक’ मारते नजर आ रहे हैं. मेरठ का चौधरी चरण सिंह जिला कारागार प्रदेश की इकलौती जेल है जहां स्पोर्ट्स गुड्स बनाए जाते हैं. यहां का बना हुआ खेल उत्पाद आम लोगों को बिक्री के लिए बाजार पहुंचाया जाता है. आमतौर पर स्पोर्ट्स सिटी मेरठ के बने हुए खेल उत्पाद वैश्विक पटल पर अपनी धाक रखते हैं.



यहां के बने हुए बैट, बॉल, फुटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंटन रैकेट और हैमर डिस्कस जैसे खेल प्रोडक्ट्स पूरे विश्व में अपनी बादशाहत कायम रखे हुए हैं. शायद यहां की माटी का ही असर है कि अब मेरठ जिला कारागार के बंदी भी स्पोर्ट्स गुड्स बना रहे हैं.

आमतौर पर प्रदेश की ज्यादातर जेलों में बंदी तमाम चीजें सीखते हैं. लेकिन मेरठ का चौधरी चरण सिंह जिला कारागार इकलौती जेल है जहां खेल उत्पाद बनते हैं. बंदी यहां फुटबॉल, वॉलीबॉल और अन्य स्पोर्ट्स किट बनाकर आत्मनिर्भर बन रहे हैं.

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1500 फुटबॉल

जेल अधीक्षक राकेश कुमार का कहना है कि यहां हर महीने बंदी तकरीबन पंद्रह सौ फुटबॉल-वॉलीबॉल बना डालते हैं. उन्होंने बताया कि बारह बंदी फुटबॉल, वॉलीबॉल बनाते हैं. वहीं तीस बंदी स्पोर्ट्स किट बनाने का कार्य करते हैं. खेल उत्पाद बनाकर इऩ बंदियों की 4 हजार तक की कमाई हो जाती है. जेल अधीक्षक ने बताया कि बंदियों के हाथों बना ये सामान मुख्यालय के आउटलेट में लोगों के लिए बिक्री के लिए उपलब्‍ध है.

जेपीएल प्रीमियर लीग

गौरतलब है कि आईपीएल की तर्ज पर बीते दिनों मेरठ जेल में जेपीएल यानी जेल प्रीमियर लीग का आयोजन किया गया था. जेल प्रीमियर लीग में बंदी और बंदी रक्षक शामिल हुए थे. जेल अधीक्षक की मानें, तो इस तरह के आयोजन कोरोना काल में बंदियों को अवसाद से निकालने में मदद कर रहे हैं.

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खेल के साथ पठन पाठन के क्षेत्र में भी यहां के बंदी दिलचस्पी ले रहे हैं. इग्नू के क्षेत्र में 467 बंदी रजिस्टर्ड हैं. हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में सात बंदियों ने इस बार इम्तिहान दिया था.

गौरतलब है कि 1707 बंदियों की क्षमता वाली जेल में आज की तारीख में 2818 बंदी और 39 बैरकें हैं. यहां कारागार की जमीन पर गेंहू का उत्पादन होता है. आलू बोया जाता है. यहां का आलू गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर जेल में जाता है. ग्रीन वेजिटेबिल्स के लिए भी जमीन आरक्षित है.

जेल में ऑर्गेनिक खेती भी की जाती है. इस जेल में 1857 से फांसीघर भी मौजूद है. इस फांसीघर की भी रोज देखरेख की जाती है और उसे मेनटेन रखा गया है.

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