क्या है छत्तीसगढ़ की घोटुल प्रथा? जिसमें 7 दिन साथ रहते हैं लड़का-लड़की, जानिए क्या है प्रथा?

भारत देश को अपनी बेहतरीन संस्कृति के लिए जाना जाता है. यहां हर राज्य में अलग अलग रंग देखने को मिलते हैं. देश में कई तरह की जनजातियां रहती हैं. इनके तौर तरीके दूसरों से एक दम अलग होते हैं. यहां शादी को लेकर भी तरह तरह की परंपराएं हैं. ऐसे ही छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों के माड़िया जाति में परंपरा घोटुल को मनाया जाता है. घोटु मिट्टी-लकड़ी आदि से बनी एक बड़ी-सी कुटिया को कहते हैं. आइए इस प्रथा के बारे में और जानते हैं.



 

 

 

क्या है घोटुल प्रथा-
यह प्रथा मुख्यतः बस्तर के मुरिया और माड़िया जनजाति के आदिवासियों में प्रचलित है. घोटुल उस स्थान को कहा जाता है, जहां आदिवासी उत्सव मनाते हैं. घोटुल को गांव के किनारे बनाया जाता है. ये मिट्टी की झोपड़ी होती है. इसमें आदिवासी समुदाय की युवक-युवतियां को, बुजुर्ग व्यक्ति की देख-रेख में, आपस में मिलने-जुलने, जानने-समझने का अवसर दिया जाता है. घोटुल में भाग लेने वाली युवतियों को मोतियारी एवं लड़कों को छेलिक तथा उनके प्रमुख को बेलोसा एवं सरदार कहा जाता है.

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जीवन-साथी का करते हैं चुनाव-
यदि सरल भाषा में कहा जाए तो घोटुल एक प्रकार का बैचलर्स डोरमिटरी होता है. यहां आदिवासी लड़के-लड़कियां रात में बसेरा करते हैं. हालांकि अलग-अलग इलाकों की घोटुल परम्पराएं अलग अलग हैं. कई इलाकों में लड़के-लड़कियां घोटुल में ही सोते हैं तो कुछ में दिनभर साथ रहने के बाद वो अपने अपने घरों में सोने जाते हैं.

 

 

 

वरिष्ठ करते हैं मार्गदर्शन-
घोटुल में उस जाति से जुड़ी आस्थाएं, नाच-संगीत, कला और कहानियां भी बताई जाती हैं. घोटुल में समुदाय से जुड़े वरिष्ठ मौजूद होते हैं. इस उत्सव में मुरिया समुदाय के वरिष्ठ जनों की उपस्थिति केवल युवाओं के मार्गदर्शन और उत्सव के लिए उन्हें प्रेरित करने के लिए होती है.

 

 

 

जमकर होता है नाच-गाना-
शाम को लड़के-लड़कियां यहां धीरे-धीरे एकट्ठे होने लगते हैं और वे ग्रुप में गाते हुए ही घोटुल तक पहुंचते हैं. इस दौरान विवाहित पुरुष ढोल बजाते हैं और युवा डांस और नृत्य करते हैं. एक दो गीतों के बाद ये समूहों में बातचीत करते एवं गांव की समस्याओं पर चर्चा करते दिखाई पड़ते हैं. यहीं वो पल होता है जब वो एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं. घोटुल परंपरा के एक प्रॉम नाइट की तरह माना जा सकता है, जो आधुनिक युग का एक नया ट्रेंड है.

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बदलना पड़ता है नाम-
कहा जाता है कि घोटुल में शामिल होने के बाद लड़की और लड़के को अपने नाम में बदलाव करना पड़ता है. लड़की की सहमति के बाद लड़के की ओर से इसकी घोषणा उसके बालों में एक फूल लगाकर की जाती है.

 

 

 

जीवनसाथी चुनने के लिए मिलते हैं 7 दिन-
जो लड़के लड़की घोटुल में हिस्सा लेते हैं उनकी उम्र निर्धारित होती है. इसमें लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निश्चित की गई है. शुरू शुरू में लड़का लड़की एक दूसरे के साथ सहज महसूस नहीं करते हैं, जिसके चलते उन्हें 7 दिनों का समय दिया जाता है. प्रत्येक युवक और युवती को अपना साथी चुनने के लिए 7 दिन दिन दिए जाते हैं.

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