राम वन गमन मार्ग के विशिष्ट पर्यटन स्थल में खरौद की उपेक्षा, धार्मिक नगरी खरौद में है शबरी मंदिर, भगवान लक्ष्मण ने विराजित किया लक्ष्मणेश्वर मंदिर को, छग की काशी के नाम से विख्यात है खरौद, 6वीं व 8वीं शताब्दी के हैं खरौद में मंदिर, राम वन गमन के खरौद में है ऐतिहासिक प्रमाण

जांजगीर-चाम्पा. धार्मिक नगरी खरौद की राम वन गमन के विशिष्ट स्थल के चयन में उपेक्षा को लेकर लोगों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. खरौद के लोग, राजधानी रायपुर जाकर सीएम भूपेश बघेल से मुलाकात कर धार्मिक नगरी खरौद को राम वन गमन के विशिष्ट स्थल में शामिल करने मांग करेंगे.



खरौद को छग की काशी के नाम से जाना जाता है और खरौद में शबरी मंदिर है. साथ ही, राम वन गमन के कई ऐतिहासिक प्रमाण है. खरौद स्थित लक्ष्मणेश्वर मंदिर को भगवान लक्ष्मण द्वारा विराजित करने की माम्यता है और यहां 6 वीं व 8 वीं शताब्दी के मंदिर है, जो जिले की सबसे पुराने मंदिर हैं. राम वन गमन के लिए शबरी मंदिर ही प्रत्यक्ष प्रमाण है. खरौद में संवराईन तालाब है, वहीं संवरा जाति के लोग निवासरत हैं.
आपको बता दें, छग सरकार ने रामवन गमन के लिए 8 विशिष्ट स्थल का चयन किया है, जहां को विकसित किया जाएगा. इन 8 स्थलों में खरौद का नाम नहीं है, जबकि राम वन गमन के अनेक ऐतिहासिक प्रमाण है, फिर भी धार्मिक नगरी व छग की काशी खरौद की उपेक्षा की गई है. खरौद की पुरातन पहचान है, लेकिन राम वन गमन में उपेक्षा होने से खरौद के स्थानीय लोग निराश हैं और खरौद को विशिष्ट स्थल में शामिल करने की मांग कर रहे हैं.
खरौद के लक्ष्मणेश्वर मंदिर के स्वयम्भू लक्षलिंग के दर्शन की बड़ी मान्यता है और इस मंदिर को भगवान लक्ष्मण द्वारा विराजित किया गया है. तमाम ऐतिहासिक प्रमाण के बाद भी खरौद की उपेक्षा, लोगों को समझ नहीं आ रहा है. यही वजह है कि स्थानीय लोगों ने रायपुर जाकर सीएम भूपेश बघेल से भेंटकर खरौद को राम वन गमन के विशिष्ट स्थल में शामिल करने की मांग करने की बात कही है.
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