रायपुर. स्वास्थ्य विभाग ने होम आइसोलेशन में कोविड-19 के इलाज की अनुमति, पात्रता, शर्तों, नियमों, जिला प्रशासन के उत्तरदायित्वों, मरीजों के स्वास्थ्य की निगरानी और मरीजों द्वारा बरती जाने वाली आवश्यक सावधानियों के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विभागीय अपर मुख्य सचिव श्रीमती रेणु जी. पिल्ले ने सभी कलेक्टरों को परिपत्र जारी कर इन दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा कलेक्टरों एवं जिला दंडाधिकारियों को जारी परिपत्र में कहा गया है कि कोविड-19 के संक्रमण के बिना लक्षणों एवं कम लक्षण वाले मरीजों के प्रबंधन के लिए होम आइसोलेशन की अनुमति प्रदान की जा सकती है। उन्होंने होम आइसोलेशन के प्रबंधन तथा होम आइसोलेशन के इच्छुक मरीजों की निगरानी एवं समन्वय के लिए सभी कलेक्टरों को जिला स्तर पर सप्ताह के सातों दिन चौबीसों घंटे संचालित होने वाले कॉल सेंटर एवं कण्ट्रोल रूम की स्थापना के निर्देश दिए हैं।
जिला कंट्रोल रूम द्वारा मरीज को होम आइसोलेशन की अनुमति देने के पहले उसकी पात्रता का आंकलन किया जाएगा। कोरोना संक्रमित मरीज के रहने के लिए घर में हवादार कमरा और अलग शौचालय होना अनिवार्य है। यदि घर में ऐसी व्यवस्था नहीं है तो मरीज के इलाज का प्रबंध कोविड केयर सेंटर में किया जाएगा। सामुदायिक शौचालय का उपयोग करने वाले परिवारों को होम आइसोलेशन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
होम आइसोलेटेड मरीज के घर के बाहर निर्धारित प्रारूप में लाल रंग का स्टीकर चस्पा किया जाएगा। होम आइसोलेशन की अनुमति प्रदान किए गए मरीजों से निर्धारित प्रपत्र में अंडरटेकिंग भरवाया जाएगा। होम आइसोलेशन के लिए उपयुक्त पाए गए मरीजों को उपचार के लिए दवाईयों का एक किट प्रदान किया जाएगा। होम आइसोलेशन की सम्पूर्ण अवधि के दौरान जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्त स्वास्थ्यकर्मी प्रतिदिन चिकित्सकों या उनके अटेंडेंट से फोन के माध्यम से संपर्क में रहेंगे।
वे मरीज को सांस लेने में कठिनाई, सीने में लगातार दर्द या दबाव, होंठ या चेहरे का नीला पड़ना, ऑल्टर्ड सेसोंरियम (डिस-ओरिएंटेशन) जैसे गंभीर लक्षण विकसित होने पर इसकी सूचना तत्काल कण्ट्रोल रूम में दूरभाष के माध्यम से देंगे।
स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे सभी गंभीर मरीजों के प्रबंधन एवं समन्वय के लिए कलेक्टरों को रैपिड एक्शन टीम के गठन के निर्देश दिए हैं। गंभीर मरीज की सूचना प्राप्त होने पर रैपिड एक्शन टीम मरीज को कोविड केयर सेंटर या विशेषीकृत कोविड अस्पताल आबंटित करेगा जहां मरीज अपने अटेंडेंट के साथ स्वयं के वाहन से जा सकेगा। होम आइसोलेशन के निर्देशों का मरीज तथा उनके परिजनों द्वारा अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय स्तर पर निगरानी दलों की व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
मरीजों द्वारा आइसोलेशन प्रोटोकॉल के किसी भी निर्देश की अवहेलना करने पर उन्हें तत्काल कोविड केयर सेंटर शिफ्ट करते हुए अपनी ही अंडरटेकिंग की अवहेलना करने एवं महामारी अधिनियम के उल्लंघन के लिए उन पर कार्यवाही करने कहा गया है।
होम आइसोलेशन के संबंध में मरीज के परिजनों और पड़ोसियों की भी समुचित काउंसलिंग के निर्देश दिए गए हैं जिससे कि आइसोलेशन की पूरी अवधि में वे मरीज से समुचित दूरी बनाते हुए भी उनका मनोबल बनाए रखने में सहयोग करें। होम आइसोलेशन में रह रहे मरीज के परिजन भी घर से बाहर नहीं जाएंगे तथा दैनिक वस्तुओं की उपलब्धता आवश्यकतानुसार सुनिश्चित करने के लिए जरूरी प्रबंध करेंगे।
होम आइसोलेट किए गए मरीजों की सभी जानकारी जैसे नाम, पता, संपर्क नंबर, होम आइसोलेशन की तिथि इत्यादि वार्ड या पंचायत कार्यालय में रखे जाएंगे। होम आइसोलेटेड मरीज के घर के घरेलू अपशिष्ट का संग्रहण एवं समुचित प्रबंधन जिला प्रशासन के माध्यम से किया जाएगा। जिला प्रशासन द्वारा होम आइसोलेटेड मरीजों से संबंधित सभी जानकारी प्रतिदिन राज्य की आईडीएसपी शाखा को उपलब्ध कराई जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग ने कलेक्टरों को जारी परिपत्र में होम आइसोलेशन हेतु मरीज के लिए आवश्यक शर्तों की भी जानकारी दी है। सभी मरीजों को निर्धारित प्रपत्र में अनिवार्यतः अंडरटेकिंग देनी होगी। अंडरटेकिंग की अवहलेना या महामारी अधिनियम से संबंधित प्रावधानों के उल्लंघन की स्थिति में मरीज पर कार्यवाही की जाएगी। मरीज और उनके परिजन किसी भी परिस्थिति में अपने घर से बाहर नहीं निकलेंगे और न ही बाहर से कोई परिजन या मित्र उनसे मिलने आ सकेगा। जिन मरीजों को होम आइसोलेशन की अनुमति प्रदान की जाएगी उनके घर में घरेलू कार्य में सहायता के लिए बाहर से किसी भी नौकर, माली, बाई, ड्राइवर, गार्ड इत्यादि का प्रवेश पूर्णतः वर्जित रहेगा।
जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रपत्र अनुसार मरीज को अपने स्वास्थ्य की सतत निगरानी करनी है और जिला स्वास्थ्य दल को अपने व अपने परिवार के स्वास्थ्य की अद्यतन स्थिति से अवगत कराना है। यदि कोई मरीज स्वयं के व्यय पर अपने परिचित निजी चिकित्सक की देखभाल में रहना चाहते हैं तो संबंधित चिकित्सक द्वारा मरीज की प्रतिदिन क्लिनिकल स्थिति का आंकलन करते हुए प्रपत्र में जानकारी भरा जाना है। चिकित्सक के द्वारा जांच किए जाने के लिए सहमति पत्र भी अनिवार्यतः उपलब्ध कराना है।