नगरीय प्रशासन और श्रम विभाग की 3807.66 करोड़ रुपए की अनुदान मांगे ध्वनिमत से विधानसभा में पारित, नगरीय प्रशासन एवं विकास अंतर्गत 3591.91 करोड़ और श्रम विभाग अंतर्गत 215 करोड़ 75 लाख रूपए का प्रावधान

रायपुर. नगरीय प्रशासन एवं विकास तथा श्रम विभाग की 3807.66 करोड़ रुपए अनुदान मांगे आज छत्तीसगढ़ विधानसभा में ध्वनिमत से पारित हो गयी। नगरीय प्रशासन एवं विकास तथा श्रम मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-2022 हेतु प्रस्तुत बजट अभिभाषण में कहा कि नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग अंतर्गत 3591.91 करोड़ और श्रम विभाग अंतर्गत 215 करोड़ 75 लाख का प्रावधान किया गया है।
मंत्री डॉ. डहरिया ने कहा कि हमारी सरकार जनता की आकाक्षांओं से चुनी गई है तथा अब हमारा कर्त्तव्य है कि हम उनके अनुरूप नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को जन आकांक्षाओं के अनुसार परिणाममूलक कार्य करें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में गरीबों के कल्याण और जन आकांक्षाओं को ध्यान रखकर बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है और विभाग के बजट में इन आवश्यकताओं को ध्यान रखने की पूरी कोशिश की गई है। मंत्री डॉ. डहरिया के बजट अभिभाषण के दौरान विधायक धर्मजीत सिंह, शैलेष पांडेय, केशव चन्द्रा, देवेन्द्र यादव, प्रकाश नायक, डॉ लक्ष्मी ध्रुव और श्रीमती अनिता शर्मा ने चर्चा में भाग लिया।
मंत्री डॉ डहरिया द्वारा प्रस्तुत बजट अनुदान मांगों में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अंतर्गत अलग-अलग योजनाओं के लिए राशि प्रावधानित किया गया है। जिसमें वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए राशि 3591.91 करोड़ रुपए का प्रावधान राज्य की नगरीय निकायों को सहायता उपलब्ध कराने हेतु रखा गया है। इस राशि में प्रमुख रूप से राज्य के नगरीय निकायों को चुंगी क्षतिपूर्ति खत्म करने के कारण उन्हें आर्थिक सहायता के रूप में 1048.65 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसी तरह अधोसंरचना विकास हेतु राशि 481.55 करोड़ रुपए का प्रावधान नगरीय निकायों को बुनियादी सुविधाओं के लिए की गई है। मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना एवं मुख्यमंत्री दाई दीदी क्लीनिक योजना के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने 50 करोड़ रुपए, मुख्यमंत्री मितान योजना के माध्यम से नागरिकों को शासकीय सेवा से संबंधित सुविधाओं को घर-पहुंच सेवा उपलब्ध कराए जाने हेतु 10 करोड़ रुपए, पौनी-पसारी योजना के क्रियान्वयन हेतु 30 करोड़ रुपए, टैंकर मुक्त शहर बनाने, लोगों को पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने, नल कनेक्शन व अमृत मिशन योजना के लिए 220 करोड़ रुपए, गोधन न्याय योजना के अंतर्गत 19.50 करोड़ रुपए, स्वच्छ भारत अभियान अंतर्गत 00.10 करोड़ रुपए एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु 15 करोड़, प्रधानमंत्री आवास योजना, मोर जमीन मोर मकान, मोर मकान मोर चिन्हारी हेतु 456.56 करोड़ रुपएका प्रावधान किया गया है।
श्रम विभाग के 215 करोड़ 75 लाख रूपए की अनुदान मांगे ध्वनि मत से पारित
श्रम विभाग अंतर्गत श्रमिकों के उत्थान एवं सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए वर्ष 2021-22 के लिए बजट में 215 करोड़ 75 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। इनमें श्रम आयुक्त संगठन के लिए 97 करोड़ 80 लाख रुपए, छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल के लिए 61 करोड़ 50 लाख रुपए, श्रम कल्याण मंडल के लिए 5 करोड़ रुपए, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए 6 करोड़ 93 लाख रुपए, कर्मचारी राज्य बीमा निगम सेवा के लिए 106 करोड़ 46 लाख रूपए, औद्योगिक न्यायालय के लिए 10 करोड़ 78 लाख रूपए का भी प्रावधान किया गया है।
बजट अभिभाषण में मंत्री डॉ. डहरिया ने कहा कि श्रम विभाग द्वारा विभिन्न श्रम अधिनियमों के प्रावधान अनुरूप श्रमिकों के सामाजिक एवं आर्थिक हितों का संरक्षण किया जाता है तथा संगठित क्षेत्र एवं असंगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों के कल्याण के लिए विभाग के अधीन गठित भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल, सामाजिक सुरक्षा मंडल एवं श्रम कल्याण मंडल के माध्यम से निर्माण श्रमिकों, असंगठित कर्मगारों एवं संगठित श्रमिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए 68 योजनाएं संचालित की जा रही हैं। मंत्री डॉ. डहरिया ने सदन में बताया कि तीनों मंडलों के अंतर्गत अब तक 37.52 लाख श्रमिकों का पंजीयन किया जा चुका है। मंडल द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के तहत वर्ष 2020 में लगभग 2.64 लाख पंजीकृत श्रमिकों को लगभग 48.69 करोड़ रूपए से लाभान्वित किया गया है। उन्होंने सदन में यह भी बताया कि शहीद वीर नारायण श्रम अन्न योजना के अंतर्गत असंगठित एवं निर्माण श्रमिकों को मात्र 5 रुपए में और संगठित श्रमिकों को केवल 10 रुपए में गरम भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण उत्पन्न लॉकडाउन की स्थिति में श्रमिकों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए राज्य एवं जिला स्तरीय कंट्रोल रूम हेल्पलाइन नंबर स्थापित की गई। श्रमिकों को तत्काल राशन, भोजन एवं अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल द्वारा 3.90 करोड़ रुपए आबंटित की गई।
लॉकडाउन अवधि में अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के 3 लाख से अधिक श्रमिकों को सीधे लाभ पहुंचाया गया। साथ ही अन्य राज्य में फंसे संकटापन्न श्रमिकों में से 17 हजार 677 श्रमिकों के खातों में 66.29 लाख रुपए जमा कराई गई। मंत्री डॉ. डहरिया ने बताया कि भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा श्रमिकों को अपने गृह राज्य में वापस लाने हेतु 48 श्रमिक स्पेशल ट्रेन एवं 29 बस चलाने के लिए लगभग 5 करोड़ 22 लाख की राशि व्यय की गई। श्रमिक हितों के संरक्षण हेतु वर्ष 2020 में विभिन्न श्रम अधिनियमों के तहत 1042 संस्थानों का निरीक्षण किया गया। इनमें दोषी पाए गए 157 दोषी संस्थानों के विरूद्ध अभियोजन श्रम न्यायालय में दायर किया गया तथा 455 प्रकरणों में 1397 श्रमिकों को 1.86 करोड़ रुपए का भुगतान कराया गया।
कारखानों में मजदूरों के हेल्थ एवं हाईजिन के पर्यवेक्षण हेतु राज्य में इंडस्ट्रीयल हाईजिन लैब की स्थापना की गई है। हाईजिन लैब को पूरे राज्य में स्थित खतरनाक कारखानों के 55 हजार 419 मजदूरों के सामयिक चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त हुए हैं। कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएं द्वारा श्रमिकों एवं उनके परिवारों के सदस्यों को भी चिकित्सा लाभ उपलब्ध कराने के लिए 42 औषधालय संचालित की जा रही है, जिसमें 5 लाख 2 हजार से अधिक बीमित व्यक्ति और उनके परिवार को लाभ मिल रहे हैं।
मंत्री डॉ. डहरिया ने अभिभाषण में कहा कि रायपुर और कोरबा में 100 बिस्तरयुक्त अंतः रोगी चिकित्सालय का निर्माण हो चुका है। बिलासपुर तथा बलौदाबाजार के हितग्राहियों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए बिलासपुर में 100 बिस्तरयुक्त एवं बलौदाबाजार में 30 बिस्तरयुक्त चिकित्सालय आरंभ करने कर्मचारी राज्य बीमा सेवा को प्रस्तात प्रेषित किया गया है। इसके अतिरिक्त मंडलों में पंजीकृत निर्माण, असंगठित और संगठित श्रमिकों को योजनाओं की जानकारी देने, उनकी समस्याओं का निराकरण करने तथा प्रदेश के अन्य राज्यों में कार्यरत प्रवासी श्रमिकों की ऑनलाइन सहायता प्रदान करने के लिए राज्य स्तरीय हेल्पलाइन सेंटर की स्थापना किए जाने नई पहल की जा रही है। श्रमिकों एवं उनके परिवार के सदस्यों को शासन के जनकल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित करने हेतु प्रवासी श्रमिक नीति 2020 बनायी गयी, जिसे कैबिनेट से अनुमोदन प्राप्त हो चुका है। अनुदान मांगों पर चर्चा में पक्ष-विपक्ष के सदस्यों ने हिस्सा लिया।



error: Content is protected !!