Hima Das: ग्लोबल ट्रैक इवेंट में गोल्ड लाने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं हिमा दास, लंबी दौड़ से मिली सफलता

देश की बेटियां जब न केवल ऊंची उड़ान भरती हैं, बल्कि अपने पंखों से पूरा आसमान ढक लेती हैं, तो ये उनके बुलंद हौसले को दिखाता है। वहीं जब पूरी दुनिया के लोग सिर उठाकर उस बेटी की उड़ान को देखते हैं और सराहना करते हैं, तो ये पूरे भारत के लिए गर्व की बात बन जाती है। ऐसी ही एक उड़ान असम की रहने वाली एक बेटी ने भरी, जो आज काफी दूर तक पहुंच गई है। इस भारतीय होनहार बेटी का नाम है हिमा दास। हिमा दास ने मात्र 20 साल की उम्र में जो कर दिखाया, वह हर किसी के बस की बात नहीं होती। एक महीने में पांच गोल्ड मेडल लाने वाली हिमा दास की सफलता पूरे भारत की सफलता और कामयाबी बन गई। हिमा दास भारत की उड़न परी के नाम से मशहूर हैं। उनकी कामयाबी के बल पर आज 20 साल की उम्र में वह असम में डीएसपी के पद पर नियुक्त हैं। चलिए जानते हैं कौन हैं हिमा दास, भारत की उड़न परी की सफलता की कहानी?



कौन हैं हिमा दास

हिमा दास असम के नागौर जिले की रहने वाली हैं। असम के छोटे से धींग गांव में 9 जनवरी 2000 में हिमा दास का जन्म हुआ था। हिमा के परिवार में 17 लोग हैं और उनके जन्म के समय पूरा परिवार धान की खेती पर आश्रित था। हिमा का बचपन भी परिवार की मदद करते हुए खेतों में बुआई करते बिता। हिमा के पिता का नाम रंजीत और मां का नाम जोनाली है। हिमा के पांच भाई बहन है, जिसमें वह सबसे छोटी हैं।

हिमा दास के करियर की शुरुआत

हिमा बचपन से ही फुटबॉलर बनना चाहती थीं। वह स्कूल में फुटबॉल खेलती थीं। उनकी फुर्ती और खिलाड़ी बनने की चाह को स्कूल के एक टीचर ने भाप लिया और हिमा को एथलेटिक्स में करियर बनाने की सलाह दी। हिमा ने भी टीचर की सलाह को मानते हुए रेस को अपने करियर के तौर पर चुना। स्थानीय स्तर पर एथलेटिक्स प्रतियोगिता में हिमा ने हिस्सा लिया और कोच निपोन दास की देखरेख में अच्छा प्रदर्शन किया। बाद में हिमा ने गुवाहाटी में स्टेट चैंपियनशिप में भी प्रतिभाग किया। जिसमें कांस पदक मिला। हिमा ने हार नहीं मानी और जूनियर नेशनल चैंपियनशिप की तैयारी की। बिना अधिक तैयारी और अनुभव के भी हिमा 100 मीटर की रेस के फाइनल तक पहुंची। हालांकि उन्हें मेडल नहीं मिल सका लेकिन उनके रेस करियर की शुरुआत हो गई।

3 वक्त के खाने के लिए पिता ने भेजा ट्रेनिंग पर

हिमा के पिता ने गुवाहाटी में उन्हें ट्रेनिंग लेने के लिए भेज दिया। पिता को इस बात की खुशी थी कि अब बेटी को तीन वक्त का खाना अच्छे से मिल सकेगा। हिमा रोजाना गांव से बस लेकर 140 किलोमीटर दूर गुवाहाटी जाती और रात 11 बजे तक घर आती। घर वाले चिंता करने लगे तो हिमा का स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के बगल में ही रहने का इंतजाम कराया गया। बेटी की मेहनत और एक एथलेटिक्स के तौर पर हिमा की जरूरतें पिता को भी दिख रही थी। उन्होंने गुवाहाटी पहुंचकर अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा बेटी के लिए जूते खरीदने के लिए लगा दिया। एक गरीब पिता के लिए 1200 के वह कीमती जूते उन्होंने अपनी बेटी को दिए। ये हिमा की मेहनत ही है कि साल 2018 में हिमा जूते के उसी कंपनी की एंबेसडर बन गईं।

एक महीने में जीते 5 गोल्ड मेडल

हिमा दास ने मात्र 19 साल की उम्र में 5 गोल्ड मेडल जीते। हिमा पहली भारतीय महिला एथलीट हैं, जिन्होंने पांच गोल्ड मेडल जीते। आईएएएफ विश्व अंडर 20 चैंपियनशिप में 51.46 सेकंड में यह उपलब्धि अपने नाम की।

हिमा दास की उपलब्धि

एथलेटिक्स हिमा दास ने फिनलैंड के ताम्पेर में वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में हिमा ने भारत के लिए नया इतिहास रचा। 400 मीटर की रेस में हिमा ने 51.46 सेकंड का समय लेकर रेस जीता। विश्व स्तर की इस तरह की प्रतियोगिता में ये पहला गोल्ड मेडल था। इसके बाद हिमा ने ओलंपिक में क्वालीफाई करने के लिए मेहनत की। उनकी काबिलियत और मेहनत के लिए असम राज्य ने भी उन्हें सम्मानित किया। साल  2021 में हिमा दास को असम के डीएसपी पद पर नियुक्त किया गया।

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