स्वर्ण मंदिर में सोने का कुल वजन है 500 किलोग्राम से भी अधिक, कुछ ऐसी ही दिलचस्प बातों से जुड़ा है ये मंदिर

अमृतसर में मौजूद स्वर्ण मंदिर देश के सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक केंद्रों में से एक है। गोल्डन टेम्पल सबसे अधिक देखे जाने वाले गुरुद्वारों में भी शामिल है, जिसे देखने के लिए और दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। भारतीय पर्यटक ही नहीं, आप यहां विदेशी पर्यटकों को भी घूमते हुए देख सकते हैं। श्री हरमंदिर साहिब या स्वर्ण मंदिर ने पंजाब के स्वर्णिम इतिहास में एक अभिन्न भूमिका निभाई है। चलिए आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ मजेदार और रोचक बातें बताते हैं, जानने के बाद आप भी शायद हैरान रह जाएंगे।



पांचवें सिख गुरु ने बनवाया मंदिर – 

मंदिर का निर्माण सिखों के पांचवें गुरु, जिन्हें गुरु अर्जन के नाम से जाना जाता है, के प्रयासों से किया गया था। असल में, उन्होंने ही पूरे मंदिर का डिजाइन करवाया था। मंदिर के निर्माण से पहले, पहले सिख गुरु, गुरु नानक यहां ध्यान किया करते थे। उन्होंने श्री हरमंदिर साहिब की पूरी वास्तुकला को भी डिजाइन किया। निर्माण 1581 में शुरू हुआ और काम पूरा करने में लगभग आठ साल लग गए।

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मंदिर की डिजाइनिंग में इस्तेमाल किया गया है 24-कैरेट सोना –

मंदिर को स्वर्ण मंदिर इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यहां 24 कैरेट की परत का इस्तेमाल किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि मंदिर शुरुआत में सुनहरा नहीं था। 1762 में, इस्लामी शासकों द्वारा विरासत स्थल को नष्ट कर दिया गया था। बाद में सिख शासक महाराजा रणजीत सिंह ने 1809 में संगमरमर और तांबे में पूरी जगह का पुनर्निर्माण किया और 1830 में गर्भगृह को सोने की पन्नी से ढक दिया।

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500 किलोग्राम से भी ज्यादा सोने का किया गया है इस्तेमाल –

आपको बता दें, 90 के दशक में इसे 500 किलोग्राम से भी अधिक सोने के साथ पुनर्निर्मित किया गया था। अगर आप आज के टाइम में 140 करोड़ से भी अधिक इस सोने की कीमत है।
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मंदिर के अंदर ही बाबा दीप सिंह की हुई मौत

बाबा दीप सिंह सिख धर्म के सबसे पवित्र शहीदों में से एक हैं। उन्होंने स्वर्ण मंदिर में अपनी अंतिम सांस लेने की कसम खाई थी और 1757 में, उन्होंने 5000 पुरुषों की अपनी सेना के साथ अफगान आक्रमणकारी जहान खान के साथ बहादुरी से लड़ाई लड़ी। अंतिम सांस तक भी वो अपने दुश्मनों को मारते रहे और बाद में मंदिर पहुंचकर उनकी वहां मृत्यु हो गई।

यहां चार प्रवेश द्वार का मतलब –

स्वर्ण मंदिर एक ऐसा धार्मिक स्थल है जो सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला रहता है। शायद आप ये बात न जानते हो, तो हम आपको बता दें, गुरुद्वारे की आधारशिला एक प्रसिद्ध सूफी संत मियां मीर ने रखी थी। इस नियम की शुरुआत सभी धर्मों को एक साथ जोड़ने के लिए किया गया था। यहां के चार प्रवेश द्वार इस तथ्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।

मंदिर के पवित्र तालाब में हैं औषधीय गुण –

स्वर्ण मंदिर के आसपास के तालाब को अमृत सरोवर कहा जाता है जिसका अर्थ है अमर होने के लिए अमृत पूल। इसे भक्तों द्वारा अत्यंत पवित्र माना जाता है और उनका मानना है कि सरोवर के पवित्र जल में स्नान करने से उनके कर्म शुद्ध हो जाएंगे। ऐसा भी कहा जाता है कि सरोवर में डुबकी लगाने से बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं।

पहले चढ़ाई गई थी 7-9 परत –

महाराजा रणजीत सिंह ने स्वर्ण मंदिर पर परत चढाने में केवल 7 से 9 परतों का ही इस्तेमाल किया था। लेकिन धीरे-धीरे नवीनीकरण के दौरान मंदिर में 24 परतें चढ़ाई गई।

दुनिया की सबसे बड़ी रसोई –

स्वर्ण मंदिर में कभी लंगर सेवा नहीं रूकती, जिस वजह से दुनिया की सबसे सामुदायिक रसोई है। यहां सभी को खाना परोसा जाता है। रिकॉर्ड के अनुसार, मंदिर में प्रतिदिन 50000 से अधिक भोजन परोसा जाता है! और किसी खास मौके पर या किसी धार्मिक आयोजन में यह संख्या एक लाख या उससे ज्यादा तक पहुंच जाती है।

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