कॉमेडियन से मुख्यमंत्री तक… कुछ ऐसा रहा भगवंत मान का सियासी सफर

चंडीगढ़: हास्य कलाकार से लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री पद तक का सफर भगवंत मान ने महज एक दशक लंबे अपने राजनीतिक करियर में पूरा किया है। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मान ने बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने राज्य के एसबीएस (शहीद भगत सिंह) नगर जिले में स्थित शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में आयोजित समारोह में मान को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। आप ने पंजाब विधानसभा चुनाव में 117 सीटों में 92 पर जीत दर्ज कर प्रचंड बहुमत हासिल किया है। राज्य में मान किस तरह से शासन चलाते हैं, इसका प्रभाव आने वाले दिनों में राष्ट्रीय फलक पर पार्टी के अपना जनाधार बनाने की कोशिशों पर भी देखने को मिलेगा।



इस बार विधानसभा के लिए पहली बार निर्वाचित होने से पहले संगरूर संसदीय सीट से दो बार सांसद निर्वाचित हुए थे। उन्होंने संसद की सदस्यता से सोमवार को इस्तीफा दे दिया। पंजाब का 1966 में पुनर्गठन होने के बाद से वह राज्य का मुख्यमंत्री बनने वाले प्रथम गैर-कांग्रेस और गैर-अकाली नेता हो गये हैं। अपने शपथ ग्रहण समारोह में पंजाब के लोगों को आमंत्रित करते हुए मान ने उनसे कहा कि यह उनकी (जनता की) सरकार होगी।

 

चुनाव की तारीख से कुछ हफ्ते पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नीत आप ने मान को ‘जनता चुनेगी अपना सीएम (मुख्यमंत्री)’ कार्यक्रम में उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था। आप की प्रदेश इकाई के प्रमुख इस कार्यक्रम के तहत कॉल करने वाले 21 लाख लोगों में 90 प्रतिशत से अधिक की पहली पसंद थे। मान ने अपने संगरूर संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली धुरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और 58,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की।

 

मान का जन्म, 1973 में संगरूर के सतोज गांव में हुआ था। उन्होंने इसी जिले में सूनाम स्थित शहीद उधम सिंह गवर्नमेंट कॉलेज में बीकॉम में दाखिला लिया था। वह पाठ्यक्रम पूरा नहीं कर सकें, लेकिन कॉलेज ने उन्हें कई युवा उत्सवों में भाग लेने का अवसर दिया। बाद में उन्होंने कॉमेडी वीडियो और संगीत अलबम बनाया, जिनमें ‘जुगनु मस्त-मस्त’ और ‘कुल्फी गरमा गरम’ शामिल हैं। ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ में उनका शामिल होना, मनोरंजन करने वाले कलाकार के तौर पर उनके करियर का शिखर बिंदु था।

मान का राजनीतिक करियर 2011 में मनप्रीत सिंह बादल नीत पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ऑफ पंजाब के साथ शुरू हुआ,लेकिन बाद में पीपीपी का कांग्रेस में विलय हो गया। अगले साल, मान ने पीपीपी के उम्मीदवार के तौर पर संगरूर के लेहरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रजिंदर कौर भट्टल से शिकस्त का सामना करना पड़ा। मान,2014 में आप में शामिल हो गये और दिग्गज अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींढसा के खिलाफ संगरूर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। मान, दो लाख से अधिक मतों से जीत गये और आप ने पंजाब में चार लोकसभा सीट अपने नाम की।

मान ने, 2017 में जलाला बाद सीट पर शिअद के सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें शिकस्त मिली। हालांकि, आप ने पंजाब विधानसभा में 20 सीटों पर जीत दर्ज की और राज्य विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई। मान को पार्टी की प्रदेश इकाई का प्रमुख बनाया गया। मान ने 2019 के लोकसभा चुनाव में संगरूर सीट पर एक लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। अपने राजनीतिक करियर के दौरान मान पर ये आरोप लगाये जाते रहे, कि उन्हें शराब की लत है। मान ने 2019 में बरनाला में एक रैली के दौरान केजरीवाल और मां की उपस्थिति में शराब छोड़ने का संकल्प लिया था।

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