रायपुर: देश भर में गुरुवार के दिन होलिका दहन होगा और शुक्रवार को रंग खेला जाएगा। वहीं होली के दिन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के लालपुर इलाके में लोग एक अनजान खौफ को मन में पाले घरों के भीतर दुबके रहेंगे। रायपुर के लालपुर इलाके में लगभग 100 साल से भी ज्यादा वक़्त से होलिका दहन नहीं किया गया है। लालपुर में मान्यता है कि अगर होलिका दहन किया गया ,तो महामारी का प्रकोप सहना पड़ सकता है।
लालपुर के ग्रामीणों के मुताबिक बरसों पहले एक बार गांव की मान्यताके खिलाफ जाकर होलिका दहन करने का प्रयास किया गया था, तब गांव में आगजनी हो गई थी। आग के चपेट में आकर किसानों के खेेत और मवेशी स्वाहा हो गए थे। गांव में जब भी किसी ने होलिका दहन करने का प्रयास किया ,तो उसके घर कोई ना कोई अनहोनी जरूर घटी ,इसलिए इस इलाके में होलिका दहन को वर्जित माना जाता है।
लालपुर के लोगों के मुताबिक उनके गांव को कुंवारीगढ़ भी कहा जाता है। सदियों पहले घूमने फिरने वाली बंजारा जाति के लोगों ने अपने प्रवास के दौरान यहां बिझवारिन देवी का मंदिर स्थापित किया था। जिसे लोग कुंवारी देवी मानकर पूजा करते हैं। गांव के लोग मानते हैं कि कुंवारी देवी उनके गांव की रक्षा करती हैं। होलिका दहन के दिन लालपुर के लोग अपनी रक्षक देवी की पूजा करके रंग और गुलाल खेलते हैं।लालपुर की महिलाओं का कहना है कि गांव में जब भी शादी,जन्मोत्सव या कोई अन्य उत्सव होता है,तो लोग सबसे पहले कुंवारी माता का आशीर्वाद लेने मंदिर जाते हैं।
गांव के बुजुर्ग बताते है कि उनके गांव के लोग होली में रंग जरूर खेलते हैं , लेकिन होलिका दहन नहीं करते। माना जाता है कि होलिका दहन करने से कुंवारी देवी नाराज हो जाती है और गांव में अनहोनी घटती है,इसलिए इस गांव में लोग होलिका दहन नहीं करते ।
बताते हैं की दीपावली में होनी वाली गौरी-गौरा की पूजा भी कुंवारी माता के मंदिर की परिक्रमा के साथ शुरू होती है। इस दौरान गांव के बुजुर्ग नई पीढ़ी को समझाते हैं कि जब होली का त्यौहार आये,तो भूलकर भी होलिका दहन न करें और यह जानकारी अगली पीढ़ी तक ले जाएं।