देश की महिलाएं आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्नति कर रही हैं। खेल से लेकर तकनीक और सेना से लेकर राजनीति में महिलाओं की सहभागिता बढ़ रही है। महिलाएं समाज निर्माण और देश का मान बढ़ाने की दिशा में पुरुषों के समान ही योगदान दे रही हैं लेकिन आज भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर का सम्मान नहीं मिलता। कई मामलों और क्षेत्रों में ‘यह तो औरत है’ कह कर पीछे धकेल दिया जाता है या आगे नहीं बढ़ने दिया जाता। समाज में महिलाओं को सम्मान और सुरक्षित वातावरण देने के लिए भारतीय संविधान में कुछ अधिकार दिए गए हैं।
कई महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में पता नहीं होता, जिसके चलते उन्हें कई बार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है जो उन्हें कानूनी तौर पर नहीं करना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर यहां कुछ खास महिला अधिकारों के बारे में बताया जा रहा है, जिसके बारे में हर महिला को पता होना चाहिए।
समान वेतन का अधिकार
मजदूरी हो या कार्यालय हो, कई जगहों पर देखने को मिलता है कि समान काम के लिए पुरुष और महिला के वेतन में अंतर होता है। महिलाओं को कई बार पुरुषों से कम वेतन दिया जाता है। लेकिन हर महिला को पता होना चाहिए कि समान पारिश्रमिक अधिनियम के तहत, वेतन या मजदूरी में लिंग के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता। समान काम के लिए पुरुषों और महिलाओं को समान वेतन दिए जाने का प्रावधान है।
नाम और पहचान गोपनीय रखने का अधिकार
भारत में यौन उत्पीड़न के मामले में महिला के नाम को न छापने देने या पहचान गोपनीय रखने का अधिकार होता है। कोई भी महिला यौन उत्पीड़न होने पर गोपनीयता की रक्षा के लिए अकेले अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में दर्ज करा सकती है। चाहें तो जिलाधिकारी के सामने भी वह अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है। इस बाबत उसका नाम पुलिस, अधिकारी और मीडिया को जाहिर करने का अधिकार नहीं होता।
मातृत्व से जुड़े लाभ का अधिकार
कामकाजी महिलाओं को मातृत्व संबंधी लाभ व सुविधा लेने का अधिकार होता है। मातृत्व लाभ अधिनियम के अंतर्गत, महिला के प्रसव के बाद उन्हें 6 महीने तक छुट्टी मिल सकती है और इस दौरान उनके वेतन में भी कोई कटौती नहीं की जाती। बाद में महिला फिर से काम पर वापस लौट सकती हैं।
रात में गिरफ्तारी न होने का अधिकार
किसी भी महिला को सूरज डूबने यानी शाम होने के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। अगर महिला का अपराध गंभीर हो या कोई खास मामला हो तो भी बिना प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना पुलिस महिला को शाम से लेकर सूरज निकलने तक गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार
यौन शोषण व बलात्कार की शिकार महिला को मुफ्त में कानूनी मदद पाने का अधिकार होता है। इसके लिए पीड़ित महिला को थाने के एसएचओ को जानकारी देनी होती है और एसएचओ विधिक प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करते हैं।