एक समय में की चपरासी नौकरी ,पिता बेचते थे चाय, आज अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर बने है करोड़ो की संपत्ति के मालिक

कहा जाता है पंखों से कुछ नहीं होता असली उड़ान तो हौसलों से होती है आज के अपने इस आर्टिकल में हम आपको मनोरंजन जगत की एक ऐसी हस्ती के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने जिंदगी के संघर्षों के आड़े अपने सपनों को कभी आने नहीं दिया और अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर सफलता की बुलंदियों को छुए हैं।



दरअसल हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड इंडस्ट्री के जाने-माने कोरियोग्राफर धर्मेश येलांडे यानी धर्मेश सर की जिन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है और आज वह इंडस्ट्री के एक सफल कोरियोग्राफर के तौर पर जाने जाते हैं।

आपको बता दें धर्मेश कोरियोग्राफर बनने से पहले एक समय में चपरासी की नौकरी किया करते थे और इतना ही नहीं धर्मेश एक समय में वडापाव बेचकर अपना घर परिवार चलाते थे।

आपको बता दें बॉलीवुड इंडस्ट्री के प्रसिद्ध कोरियोग्राफर धर्मेश येलांडे अपनी बेहतरीन कोरियोग्राफी से काफी ज्यादा नाम कमाया है और धर्मेश के टैलेंट को फराह खान से लेकर रेमो डिसूजा तक सलाम करते हैं। आज हम आपको धर्मेश के संघर्ष की कहानी बताने जा रहे हैं कि किस तरह से धर्मेश बड़ौदा की तंग गलियों से लेकर टेलीविजन इंडस्ट्री के बेहद पॉपुलर और लोकप्रिय डांस रियलिटी शो के जज बनने तक का सफर तय किया है तो आइए जानते हैं

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धर्मेश ने हाल ही में अपने एक इंटरव्यू के दौरान अपनी संघर्ष की कहानी बताते हुए कहा की ,” जब मेरे पिता की दुकान को नगर महापालिका ने गिरा दिया था तब मेरे पूरा परिवार मुश्किल में आ गया था और क्योंकि हमारे परिवार के आमदनी का एकमात्र जरिया हमारी दुकान ही थी इसके बाद मेरे पिता ने चाय बेचने का काम शुरू किया और चाय की दुकान से रोजाना 50 -60 रुपए की आमदनी हो जाती थी और इतने ही पैसों से हमारा परिवार चलता था लेकिन इतने कम पैसे में परिवार की सभी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थी और वही घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद भी हमारे पिता ने हमारी पढ़ाई रुकने नहीं दी और वह एक एक रुपए जोड़कर हमारे स्कूल की फीस भरा करते थे।

धर्मेश ने अपने इस इंटरव्यू में आगे बताया कि मुझे हमेशा से ही डांसर बनना था और इसीलिए मैं हमेशा टीवी के सामने बैठकर गोविंदा की फिल्में देखता था और उनकी अदाकारी और डांस मुझे बहुत पसंद आती थी| धर्मेश ने बताया कि जब मैं छठी कक्षा में था तब मैंने एक नृत्य प्रतियोगिता जीती थी और मेरे इस जीत के बाद घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद भी मेरे पिता ने मेरी भर्ती नृत्य कक्षा में करवा दी।

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धर्मेश ने यह भी बताया कि जब मैं 19 साल का था तब कम अंक आने की वजह से मैंने कॉलेज छोड़ दिया था और इसके बाद मैंने एक सैनिक के रूप में काम करना शुरू कर दिया और इस नौकरी से मुझे हर महीने 1600 रुपए की सैलरी मिलती थी और इसी पैसे से मैं अपने डांस स्कूल का फीस भरता था।

पापा आज भी चाय की दुकान चलाते हैं

धर्मेश ने बताया कि मैंने अपनी कमाई से अपने परिवार के लिए एक खूबसूरत आशियाना खरीदा है और धर्मेश ने यह भी बताया कि आज हमारे पास नाम और शोहरत की कोई कमी नहीं है लेकिन मेरे मना करने के बावजूद भी आज भी मेरे पिता अपनी चाय की दुकान चलाते हैं क्योंकि उन्हें इस काम से खुशी मिलती है| धर्मेश ने बताया कि मैंने अपने जीवन में कभी हार ना मानने की प्रेरणा अपने पिता से ही ली है।

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धर्मेश ने इंटरव्यू में बताया कि मेरी मां हमेशा मुझसे कहती थी कि डांस करने से पैसे नहीं आएंगे लेकिन मैंने कभी डांस करना नहीं छोड़ा क्योंकि डांस मेरे लिए उतना ही जरूरी था जितना सांस लेना जरूरी होता है।

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