पैगंबर विवादः बीजेपी के लिए कहीं खतरे की घंटी तो नहीं नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल से जुड़ा विवाद, पढ़िए

नई दिल्लीः बीजेपी के एक सूबा प्रधान कहते हैं कि खाड़ी देशों के दबाव में सरकार या पार्टी ने नुपुर या नवीन के खिलाफ एक्शन नहीं लिया बल्कि संघ या बीजेपी का कभी ये एजेंडा नहीं रहा कि पैगंबर मोहम्मद या फिर जीसस क्राइस्ट का अपमान किया जाए।



 

 

चुनावी राज्य गुजरात में 12 मई को पीएम नरेंद्र मोदी ने जब हिंट दिया कि वो तीसरी पारी के लिए तैयार हैं तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जो सपना उन्होंने देखा था उसका 100 फीसदी पूरा हो तभी उनका काम पूरा होगा। वेलफेयर स्कीमों पर जोर देते हुए उनका कहना था कि अभी आराम का वक्त नहीं है। बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल के मामलों में सरकार व पार्टी के स्टैंड को देखा जाए तो साफ है कि पार्टी अपने मिशन के रास्ते में कोई रोड़ा नहीं देखना चाहती। यानि वो विकास का एजेंडा लेकर ही आगे बढ़ने की इच्छुक है।

 

 

बीजेपी शासित सूबे के एक सीएम कहते हैं कि भाजपा विस्तार की तरफ देख रही है। अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है। काशी मथुरा के मामले कोर्ट से सुलझने की उम्मीद है। अब हम यूनिफार्म सिविल कोड की तरफ बढ़ रहे हैं। ऐसे में पैगंबर की बेईज्जती होने से एक गलत संदेश लोगों के बीच जा रहा है। ये बीजेपी की छवि के साथ ठीक नहीं बैठता। आप मुस्लिमों को एक्सपोज कर सकते हैं। टेरेरिज्म पर तीखा हमला कर सकते हैं लेकिन पैगंबर पर हमला यानि खतरे की लकीर पार करना है।

 

 

सीएम का कहना है कि नुपुर और नवीन ने सारी सीमाएं क्रॉस कर डालीं। उनका कहना है कि पीएम खुद इस बात को कह चुके हैं कि पार्टी के नेता ऐसा कोई काम न करें जिससे सरकार का एजेंडा पटरी से उतरे। या फिर सरकार या पार्टी को लोगों के बीच रक्षात्मक होना पड़े। सीएम कहते हैं कि यही वजह रही कि मोदी ने गीता को स्कूलों में जबरन थोपने से रोका। उनका मानना था कि गीता विशुद्ध हिंदू ग्रंथ है। अगर कोई राज्य सरकार जबरन पाठ्यक्रम में इसे शामिल करती है तो इसका गलत संदेश जाएगा। तभी फैसले को रुकवा दिया गया था।
बीजेपी के एक सूबा प्रधान कहते हैं कि खाड़ी देशों के दबाव में सरकार या पार्टी ने नुपुर या नवीन के खिलाफ एक्शन नहीं लिया बल्कि संघ या बीजेपी का कभी ये एजेंडा नहीं रहा कि पैगंबर मोहम्मद या फिर जीसस क्राइस्ट का अपमान किया जाए। कभी किसी नेता ने ऐसा करने की जरूरत नहीं की। अब ऐसा हो रहा है जो पार्टी की छवि को धूमिल करता है तो उस पर सख्त एक्शन होना लाजिमी है। नुपुर शर्मा ने जो भाषा बोली वो कपिल शर्मा स्टाइल की थी। तभी पार्टी ने उन्हें फ्रिंज करार दिया। उन्हें इस चीज का एहसास होना चाहिए कि वो फ्रिंज हैं।

 

 

मप्र के प्रधान वीडी शर्मा एक वीडियो का उदाहरण देकर कहते हैं कि एक वर्कर ने कोल्ड ड्रिंक्ंस को अल्कोहल की तरह से पेश करके वीडियो बनाया। इससे विपक्ष को हमारी छवि धूमिल करने का मौका मिला। नुपुर और नवीन पर एक्शन में देरी पर वो कहते हैं कि हमें यकीन था कि विवाद अपने आप खत्म हो जाएगा। उनका कहना था कि पीएम मोदी से किसी वक्तव्य की अपेक्षा करना इस मामले में बहुत ज्यादा है। पीएम नरेंद्र मोदी बोलेंगे लेकिन समय और परिस्थिति के हिसाब से।

 

एक नेता कहते हैं कि खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत भी कह चुके हैं कि आक्रमणकारियों से भारतीय मुसलमानों की तुसना गलत है। उनका यहां तक कहना था कि मस्जिदों में शिवलिंग तलाश करने मत जाएं। यहां तक कि संघ ऐसे मुस्लिम चिंतकों की सूची भी तैयार कर चुका है जो देश हित में बोलते हैं। संघ ये साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है कि वो मुस्लिम विरोधी नहीं है। लेकिन सबसे आखिर में पीएम का जापान में दिया वो भाषण है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें मक्खन में लकीर खींचने में मजा नहीं आता। वो तो पत्थर पर लकीर खींचने में यकीन रखते हैं। यानि वो चुनौती के लिए तैयार हैं।

 

हालांकि ये देखना बाकी है कि नुपुर और नवीन ने जो लकीर देखी वो मक्खन पर थी या फिर पत्थर पर। ये तो आने वाले समय में ही पता लग सकता है। चुनावी समर इसके लिए तैयार है। एक नेता थोड़ा कहकर भी बहुत कुछ इशारा कर देते हैं कि कभी कभी पैर पीछे खींचने में ही समझदारी होती है। हर बार लड़ाई नहीं लड़ी जाती। कभी लड़ाई से पीछे हटने में बड़ा फायदा होता है। दोनों को ये बात समझनी चाहिए थी।

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