Janjgir News : गौ माता पर जिसको राजनीति करनी है वे करें, हमें तो उनकी सेवा करनी है : राजेश्री, गौ माताओं की इतनी ही फिक्र है तो उन्हें तब भी निरीक्षण के लिए जाना चाहिए था, जब 4 सौ से अधिक गौमातायें एक ही दिन में भूख और प्यास से काल के गाल में समा गई थी

जांजगीर-चाम्पा. जब 15 वर्षों तक वे शासन पर थे तब तो कहीं निरीक्षण के लिए नहीं गए। निरीक्षण की आवश्यकता तो तब थी, जब पूरी सड़कें गौ माताओं के क्षत-विक्षत सवों से भरा पड़ा होता था. निरीक्षण तब करनी चाहिए थी, जब गौशालाओं में सैकड़ों की तादात में गौ माताएं भूख प्यास से मर रही थी. यह बातें छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास महाराज ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही.



उन्होंने कहा कि जिस दिन मुझे गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दी, उसी दिन उन्होंने मुझसे कहा था कि महाराज जी छत्तीसगढ़ में वह काला दिवस अब कभी न आए, जो हमें दुर्ग जिले की गौशालाओं में देखने को मिला था, तब से लेकर अब तक हमने अपनी सेवा के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास किया है कि कहीं भी गौ माताओं को हमारी वजह से कोई तकलीफ न हो. यहां तक कि जब कोरोना संक्रमण काल में सभी कार्यालय बंद थे, सभी जगह ताला लग गया था, तब भी हमने समय पर सभी गौशालाओं को नियमित समय पर अनुदान पहुंचाकर गौ माताओं की सेवा करने का पूरा प्रयत्न किया।

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ग्राम भैंसो के गौठान में जिन लोगों ने 90 गौ माताओं के काल कलवित होने की बातें कही है, उनसे आप सभी पूछें कि उन्होंने किस आधार पर यह वक्तव्य दिया है? वे भविष्यवक्ता नहीं है! वैज्ञानिक नहीं है! किस पद्धति से जांच कर उन्होंने संख्या निर्धारित की? हमें बताये. स्वयं कह रहे हैं 12 कंकाल मिला है अब वे बताएं 78 कहां गए? इसका भी वे जवाब देंगे? स्वाभाविक मृत्यु को प्राप्त हुए 2-4 कंकालों के सामने फोटो खिंचवा लेने से असत्य सत्य नहीं हो जायेगा। जिन गौ माताओं को सामने रखकर उन्होंने फोटो जारी किया है, वे सभी गौ माता शरीर से स्वस्थ एवं सुंदर दिखाई दे रही हैं।

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जिस समय निरीक्षण के लिए वे गए थे, उस समय पशु चिकित्सक डॉक्टर सूर्यवंशी पामगढ़, वहां सेवारत थे, उपचार कर रहे थे! इसका उल्लेख उन्होंने अपने वक्तव्य में क्यों छुपाया? छत्तीसगढ़ में किसी भी गौठान में कोई कसाई कार्य नहीं करता। इस शब्द का प्रयोग उन्होंने कैसे किया? यह भी उनसे पूछना चाहिए! या तो वे मूल छत्तीसगढ़िया नहीं हैं या वे इस शब्द का अर्थ ही नहीं समझते हैं! हमसे जितना हो सके, हमने गौ माताओं की सेवा की है और करते रहेंगे, सेवा के क्षेत्र में राजनीति करना हमारा धर्म नहीं है! जिनको राजनीति करनी है वे करें।

आज से 15 वर्ष पहले छत्तीसगढ़ में गौ माताओं से संबंधित कोई समस्या ही नहीं थी, यह समस्या क्यों उत्पन्न हुई ? इसका भी जवाब वे लोग ही देंगे। जांजगीर-चांपा जिले में बड़े-बड़े राजनेता सभी राजनीतिक पार्टियों में हुए हैं, आज तक किसी ने भी किसी के ऊपर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की, वे किस उद्देश्य से ऐसा कर रहे हैं, इसका जवाब भी उन्हीं के पास है। राजनीति अपनी जगह है, हमें अपनी व्यक्तिगत मर्यादाओं का भी पालन करना चाहिए।

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