Avatar The Way Of Water: अकल्पनीय दुनिया में ले जाती है अवतार 2, फिल्म देखने से पहले पढ़ें…पूरी कहानी

निर्देशक जेम्स कैमरून की नई फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ को सिनेमाघरों मे रिलीज होने में अब कुछ ही घंटे का समय बचा है। हॉलीवुड फिल्मों के दीवानों ने पहले दिन के लिए अभी से अपनी टिकटें बुक कर ली हैं। फिल्म की भारत में ओपनिंग एक नया रिकॉर्ड बना सकती है। 13 साल पहले रिलीज हुई फिल्म ‘अवतार’ की इस सीक्वेल को ‘अमर उजाला’ के फिल्म समीक्षक पंकज शुक्ल ने चार स्टार दिए हैं।



फिल्म की अंडर वाटर फोटोग्राफी, मोशन कैप्चर तकनीक और स्पेशल इफेक्ट्स ने दर्शकों का मन इसके टीजर और ट्रेलर रिलीज के समय से ही मोह रखा है। फिल्म की एडवांस बुकिंग में गुरुवार को और तेजी देखी गई है। अगर आप भी ये फिल्म देखने का मन बना चुके हैं तो चलिए आपको बताते हैं कि फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ आपको कैसे चौंकाने वाली है..

फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ देखना अपने आप में एक निराला अनुभव है। ये फिल्म देखने का असली मजा थ्रीडी में है और अगर आपके शहर में आईमैक्स थिएटर हो तो वहां फिल्म देखने के तो कहने की ही क्या। फिल्म में जब कहानी समंदर तक पहुंचती है तो अथाह पानी वाले समंदर की लहरें आपको एक अलग अनुभव कराती हैं।

और, फिल्म के किरदार जब पानी की गहराइयों में संवाद करते हैं तो वह बिल्कुल अलग अनुभव है। फिल्म के जलीय जंतुओं को देखना, समझना और उनसे रिश्ता बनाना बहुत सहज तरीके से होता जाता है।

फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ बिल्कुल किसी भारतीय फिल्म जैसी है। तीन घंटे से भी ज्यादा लंबी और कहानी पारिवारिक मूल्यों, मानवीय संबंधों और सामाजिक अवधारणाओं की। कहानी उसी पैंडोरा की है जहां पिछली फिल्म में धरती के इंसानों को एक बेशकीमती खनिज की तलाश थी। फिल्म ‘अवतार’ में दिखाया गया था कि पैंडोरा के भीतर जाने के लिए वैज्ञानिक वहां के निवासियों जैसा शरीर तैयार करते हैं और उसमें असली इंसानों की सोच, भावनाएं और प्रतिक्रियाएं कृत्रिम तरीकों से स्थानांतरित कर देते हैं।

इसी को अवतार कहते हैं। ये कुछ कुछ वैसा ही है जैसे वीडियो गेम खेलते समय हम अपने अवतार चुनते हैं और फिर वीडियो गेम की दुनिया में जाकर दुश्मनों का सफाया करते हैं। पिछली फिल्म में इन अवतारों को प्रयोगशाला से नियंत्रित किया जाता था।

अवतारों की ये कहानी 10 साल आगे आ चुकी है। पिछली फिल्म के आखिर तक आते आते जेक सली का अवतार अपने मूल इंसानी शरीर से अलग हो जाता है और वह पैंडोरा के वासियों यानी कि नावी की दुनिया का हिस्सा बन जाता है। जेक सली का विवाह नेतिरी से हो चुका है और उसके परिवार में चार सदस्यों का इजाफा हो चुका है।

उधर, धरती इंसानों के रहने लायक नहीं बची है और तलाश है एक ऐसे ग्रह की जहां इंसानों की बस्तियां बसाई जा सकें। जेक सली और उसकी नावी प्रेमिका नेतिरी के परिवार के लिए खतरा बनकर आता है कर्नल माइल्स जो भले पिछली फिल्म में मर गया हो लेकिन उसकी यादों और उसके डीएनए से उसका भी अवतार बनाया जा चुका है।

‘अवतार’ सीरीज की कुल पांच फिल्में हैं। कहानी अभी सिर्फ दूसरी फिल्म तक पहुंची है। और, भारतीय दर्शकों को तो ये काफी कुछ अपनी सी भी लग सकती है। भारतीय मूल की आश्रिता कामथ का कला निर्देशन इसकी बड़ी वजह है। कैमरून ये फिल्म साल 2015 में रिलीज करने वाले थे लेकिन इस फिल्म का कैनवस इतना विशालकाय है कि इसे परदे पर पेश करने में उन्हें सात साल और लग गए।

बीच में कोरोना ने भी दो तीन साल तक काम की गति धीमे रखी। करीब 2000 करोड़ रुपये की लागत से बनी फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ में एक कहानी एक विशालकाय व्हेल मछली और जेक सली के बेटे की दोस्ती की भी है।

जेम्स कैमरून की फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ के सिनेमैटोग्राफर रसेल कारपेंटर हैं। कैमरून के साथ वह इसके पहले ‘ट्रू लाइज’ और ‘टाइटैनिक’ में भी काम कर चुके हैं। किर्क क्रैक ने फिल्म के कलाकारों को पानी में मुक्त होकर गोता लगाने, पानी के ऊपर आने और पानी के भीतर सांसें थामकर रुके रहने की ट्रेनिंग दी है।

कम लोगों को ही पता हो कि केट विंस्लेट ने फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ की शूटिंग के दौरान एक दृश्य में पूरे सात मिनट तक पानी के भीतर सांस रोके रखी हैं। सिनेमा के इतिहास में किसी दृश्य को पानी के भीतर फिल्माने का ये सबसे लंबा रिकॉर्ड है।

फिल्म ‘अवतार’ के संगीतकार जेम्स होमर की साल 2015 में एक हवाई दुर्घटना में हुई मौत के बाद जेम्स ने उनके अनुयायी साइमन फ्रैंगलेन को फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ का संगीत रचने की जिम्मेदारी सौंपी। फ्रैंगलेन ने अपना पूरा संगीत पानी की लहरों औरइसकी गहराई में मिलने वाली शांति के साथ साथ इसके रौद्र रूप को भी ध्यान में रखते हुए रचा है।

error: Content is protected !!