Amitabh Bachchan Film: निर्देशक मनमोहन देसाई की 1979 में आई फिल्म सुहाग अमिताभ बच्चन और शशि कपूर की जोड़ की शानदार फिल्मों में थी. सुहाग से पहले दोनों फिल्म दीवार (1975) में भाई बने थे और उनकी मां का रोल निरुपा रॉय ने निभाया था. सुहाग में भी अमिताभ-शशि भाई बने थे और निरुपा रॉय उनकी मां के रोल में थीं. फिल्म उस साल की सबसे बड़ी फिल्मों में शामिल थी और सुहाग में अमिताभ बच्चन द्वारा खलनायकों की पिटाई के लिए चप्पल हाथ में उठाने का अंदाज बड़ा फेमस हुआ था. आज भी यह फिल्म देखी जाती है और 40 साल से ज्यादा गुजर गए, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के संगीत में तैयार इसके गाने खूब सुने जाते हैं.
खतरे में पड़ी जान
फिल्म का मुहूर्त मनमोहन देसाई ने 12 जनवरी 1976 को किया था. आम तौर कई निर्देशक फिल्मों के क्लाइमेक्स पहले फिल्मा लेते थे, जिससे कि अगर बीच में कुछ बदलाव करने पड़ें तो वे हो जाएं. अंत न बदलना पड़े. मनमोहन देसाई का भी यही इरादा था. मगर क्लाइमेक्स सीन के लिए उन्हें हेलीकॉप्टर की जरूरत थी. परंतु वह दौर इमरजेंसी का था. प्राइवेट हेलीकॉप्टर भी नहीं मिला करते थे. हर चीज पर सरकार का नियंत्रण था. ऐसे में मनमोहन देसाई ने क्लाइमेक्स शूट करने के लिए सरकार से हेलीकॉप्टर की डिमांड की. मगर इस मांग को ठुकरा दिया गया. नतीजा यह कि उन्हें क्लाइमेक्स को शूट करने के लिए सिंगापुर जाना पड़ा. इस क्लाइमेक्स में शशि कपूर ने खुद अपने स्टंट किए थे, जिसमें एक मौका ऐसा आया, जब उनकी जान खतरे में पड़ गई.
पता चला अमिताभ को…
फिल्म की कुछ शूटिंग लंदन में भी की गई. फिल्म पूरी होकर रिलीज होने पर भले ही सुपर हिट रही, लेकिन मनमोहन देसाई खुश नहीं थे क्योंकि उन्हें लग रहा था कि सुहाग और बेहतर बन सकती थी. दर्शकों के बीच फिल्म का रेस्पॉन्स देखने के लिए अमिताभ बच्चन और शशि कपूर इंग्लैंड के एक थियेटर में बिना किसी को खबर किए पहुंच गए. जहां सुहाग चल रही थी. वे दर्शकों को सरप्राइज देना चाहते थे. जैसे ही दर्शकों ने उन्हें देखा, वे खुशी के मारे जोरों से चीखने-चिल्लाने लगे. उनकी तरफ लपके. दोनों एक्टरों के साथ कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं था. वे इक्का-दुक्का स्पॉन्सरों के साथ थियेटर में गए थे. स्थिति बिगड़ने तो बड़ी मुश्किल से उन्हें वहां से निकाला गया. बाद में अमिताभ बच्चन ने कहा कि पहली बार उन्हें एहसास हुआ कि विदेश में उनकी जबर्दस्त फैन फॉलोइंग है.