Farmer Innovative : खेती में राखड़ की उपयोग करके चार फ़ीट का उगाया धनिया, चार साल से किया जा रहा प्रयोग सफल, गोठान में लहलहा रही उन्नत किस्म का धनिया, नवाचार के लिए बहेराडीह गांव की बड़ी पहचान

जांजगीर-चाम्पा. आज से कई दशक पहले खेती में राखड़ का उपयोग करने की बात आपने जरूर सुना होगा। मगर इसे सच कर दिखाया जिले की जैविक क़ृषि ग्राम बहेराडीह के 43 साल की एक युवा कृषक दीनदयाल यादव ने। बिहान की महिला समूह के साथ मिलकर बलौदा ब्लॉक के जाटा पंचायत के आश्रित ग्राम बहेराडीह के मॉडल गौठान परिसर में पीआईएल और मड़वा तेंदुभाठा पॉवर प्लांट से निकलने वाली राखड़ में जैविक कल्चर जीवामृत का उपयोग करके चार फ़ीट ऊचाई तक का धनिया उगाया गया है। पिछले तीन साल पहले भी सिर्फ राखड़ से ही बिना खाद और दवाई के उपयोग किये बिना ही धान की खेती का प्रयोग मसालेदार फ़सल धनिया की खेती की भांति सफल रहा। वहीं अब तक कंदवर्गीय फ़सल अदरक, प्याज़, हल्दी, अरबी और कद्दू वर्गीय फ़सल में मखना का इस समय 11 किलो का उत्पादन लिया गया।



इसे भी पढ़े -  Malkharouda News : आमनदुला गांव के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में विकासखंड स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव आयोजित, उत्कृष्ट छात्र-छात्राओं को चांदी के सिक्के से किया गया सम्मानित, तिलक एवं मिठाई खिलाकर शाला में कराया गया प्रवेश, 25 छात्राओं को सायकल का किया गया वितरण

प्रयोगकर्ता युवा किसान दीनदयाल यादव ने बताया कि खेती में राखड़ का उपयोग करके कई तरह की फसलों पर प्रयोग किया किया है। मगर कुछ फसलों जैसे मुनगा, केला, बैगन, भिंडी की खेती पर सफल नहीं हुए। किन्तु अन्य फ़सलो पर किया गया प्रयोग शत प्रतिशत सफलता प्राप्त किया है। उन्होंने बताया कि बहेराडीह के गौठान परिसर को पाटने के नाम पर करीब पांच फ़ीट तक पीआईएल की राखड़ का इस्तेमाल किया गया है। उसके ऊपर करीब दो फिट मोटाई तालाब की मिट्टी डाला गया। इसके बाद इस जगह पर मड़वा तेंदुभाठा से निकलने वाली भूरे रंग की राखड़ का उपयोग करते हुए जीवामृत कल्चर की मदद से फल, फूल, धान, डलहनी, तिलहनी और सब्जी फ़सल उत्पादन हेतु प्रयोग किया जा रहा है। जिसका कुछ फसलों पर प्रयोग बिल्कुल शत प्रतिशत सफल होने लगी हैं।

इसे भी पढ़े -  Sheorinarayan Big Problem : शिवरीनारायण में लाखों की 'नाली' बनी मुसीबत, मोहल्ले-घरों में घुसा गटर का गंदा पानी, घर को छोड़ने की बेबसी, वार्ड में फैल सकती है संक्रामक बीमारी, लोग हो रहे बीमार, बदबू से जीना हुआ मुहाल...

क्या है जीवामृत कल्चर..
यह जैविक खाद है। जिसमें मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाती है।और मिट्टी में जल धारण क्षमता को तेज करती है। जिससे भूजल का स्तर बढ़ता है। इसे बनाने के लिए देशी गाय की गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेशन और बरगद पेड़ के निचे मिट्टी को सात दिनों तक पानी में घोल बनाकर तैयार किया जाता है।

इसे भी पढ़े -  JanjgirChampa Arrest : जादू-टोने के शक में महिला के घर में घुसकर गाली-गलौज करने वाले 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया

error: Content is protected !!