नई दिल्ली. Premature Death: पूरी दुनिया में लोगों के बीच नमक का सेवन काफी बढ़ गया है, जो हमारे हृदय रोग, स्ट्रोक और समय से पहले मौत का खतरा बढ़ा रहा है। सोडियम सेवन में कमी पर डब्ल्यूएचओ की पहली वैश्विक रिपोर्ट से पता चलता है कि दुनिया 2025 तक सोडियम सेवन को 30% तक कम करने के अपने वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभी काफी दूर है। रिपोर्ट में पाया गया है कि डब्ल्यूएचओ सदस्य राज्यों में से केवल 5% ही अनिवार्य और व्यापक सोडियम कटौती नीतियों द्वारा संरक्षित हैं।
सोडियम जो कि शरीर में पानी और खनिजों के संतुलन को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है और नसों के तंत्रिका में भूमिका निभाता है, अत्यधिक खपत से कई पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है जिससे किसी को प्रारंभिक मृत्यु दर का खतरा हो सकता है। सोडियम का मुख्य स्रोत टेबल सॉल्ट (सोडियम क्लोराइड) है, लेकिन यह सोडियम ग्लूटामेट जैसे अन्य मसालों में भी पाया जाता है, जैसे कि फास्ट फूड, चिप्स, स्नैक्स, सूप, प्रोसेस्ड मीट, इंस्टेंट नूडल्स समेत और भी कई फूड्स में सोडियम ग्लूटामेट होता है और इन खाद्य पदार्थों का नियमित सेवन हमारे स्वास्थ्य पर कहर बरपा रहा है।
दुनियाभर में प्रति दिन औसत 10.8 ग्राम नमक का सेवन किया जा रहा है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रति दिन 5 ग्राम से कम नमक (एक चम्मच) की सिफारिश करता है और दुनिया इसके दोगुने से अधिक का सेवन कर रही है। बहुत अधिक नमक खाने से यह आहार और पोषण संबंधी मौतों के लिए शीर्ष जोखिम का कारक बनता जा रहा है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उच्च सोडियम सेवन और गैस्ट्रिक कैंसर, मोटापा, ऑस्टियोपोरोसिस और गुर्दे की बीमारी जैसी अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के बढ़ते जोखिम इसके सबूत है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस के मुताबिक, “अस्वास्थ्यकर आहार विश्व स्तर पर मृत्यु और बीमारी का एक प्रमुख कारण है और अत्यधिक सोडियम का सेवन इसके मुख्य कारणों में से एक है।”