जांजगीर-चाम्पा. ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल, बनारी, जांजगीर में स्कूल के डायरेक्टर आलोक अग्रवाल व प्राचार्य श्रीमती सोनाली सिंह के निर्देशन में द्वितीय चरण के ओरिएंटेशन कक्षा में विश्व स्वास्थ्य संगठन के जीवन जीने के कौशलो का विषयावर प्रयोग पर सेमीनार आयोजित हुआ। इस आयोजन का नेतृत्व श्रीमती मिनी मोल थाॅमस के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के शुरूआत में उन्होंने शिक्षको को उनके विषयानुसार अंग्रेजी, हिन्दी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान समूह में विभाजित किया।
सेमीनार में अग्रेजी शिक्षिकाओं सुश्री वर्षा सिंह, श्रीमती शीतल राठौर और सुश्री प्रियंका शर्मा ने अपनी प्रस्तुति दी। इस कड़ी में सर्वप्रथम वर्षा सिंह ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के जीवन कौशल में से पहला कौशल ‘पारस्परिक संबंध’ पर चर्चा करते हुए एक कहानी के माध्यम से अंग्रेजी विषय में इस कौशल का प्रयोग करते हुए जीवन के मूल्यों को बताया। तद्पश्चात् उन्होनें दूसरे कौशल ‘आत्म जागरूकता’ के बारे में बताते हुए- स्वयं को पहचानने के गुण से अवगत कराया। इनके बाद श्रीमती शीतल राठौर ने जीवन कौशल के तीसरे कौशल ‘समानुभूति’ के बारे में बताते हुए कहा कि समानुभूति दूसरो के दृष्टि से उनके भावों को समझने का प्रयास करना होता है।
समानुभूति के प्रकार और उनके अंग्रेजी विषय में प्रयोग पर चर्चा की। तद्पश्चात् सुश्री प्रियंका शर्मा ने एक रोचक कहानी के माध्यम से चैथा जीवन कौशल ‘समस्या का समाधान’ के बारे में बताते हुए कहा कि सबसे पहले समस्या को पहचानना और उसके बाद उस समस्या का समाधान करने के लिये हर संभव प्रयास करना चाहिए। उसके बाद उनके द्वारा पाँचवे जीवन कौशल ‘निर्णय लेने की क्षमता’ पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम के अंत में श्रीमती मिनी मोल थाॅमस के द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 के बारे में चर्चा की गई उन्होंने बिल क्लिंटन के शब्दानुसार कहा कि सभी कक्षा में एक प्रतिभाशाली एवं समर्पित शिक्षक होता है। उन्होंने नई शिक्षा नीति 2020 को परिभाषित करते हुए बताया कि शिक्षा वह चाबी है जिसके द्वारा राष्ट्र का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है।