Sidhu Moosewala : पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की आज पहली बरसी, जानिए हत्याकांड की अब तक की…. पूरी कहानी

नई दिल्ली. पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या को 1 साल हो गया है. आज यानी सोमवार को मूसेवाला की पहली बरसी है. इस मौके पर मूसेवाला का परिवार और चाहने वाले उसे याद कर रहे हैं. पंजाब पुलिस सिद्धू की हत्या के मामले में 25 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. कुल 34 आरोपी नामजद हैं. हत्या का मास्टरमाइंड लारेंस विश्नोई और गोल्डी बराड़ को बताया गया है.



सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड: कौन था ‘डॉक्टर’?

आपको अब बताते हैं कि आखिर क्या हुआ था. मूसेवाला हत्याकांड के ठीक एक दिन पहले, 28 मई 2022 को सुबह ठीक 11 बजे और आखिर 29 मई को मूसेवाला हत्याकांड के ठीक पहले और फिर हत्याकांड के बाद आखिर क्या हुआ? 28 मई को सुबह ठीक 11 बजे गोल्डी बराड़ का फोन शूटर प्रियव्रत फौजी के मोबाइल नंबर पर आया. गोल्डी – ”हैलो फौजी सुन मूसेवाला की सुरक्षा हटा ली गई और अब तुमको बाकी लड़कों के साथ कल ही, यानी 29 मई हर हाल में काम को अंजाम देना है.” फौजी-जी डॉक्टर साहब काम हो जाएगा मेरी टीम तैयार है. (शूटर प्रियव्रत फौजी ने कनाडा में मौजूद गोल्डी बराड़ को कहा डॉक्टर साहब काम हो जाएगा, यानी गैंग गोल्डी बराड़ को नाम या भाई नहीं, बल्कि डॉक्टर कहकर बुलाते हैं.

29 मई को सुबह 10 बजे प्रियव्रत फौजी, अंकित, केशव, हरियाणा के कीरमारा इलाके में रुके हुए थे. वहां रुकने की जगह नवदीप नाम के एक शख्स ने उपलब्ध कराई थी. वहां से वे सभी मानसा के लिए कार से चल पड़े. 29 मई को सुबह 10.30 बजे दीपक मुंडी और कशिश रास्ते में हरियाणा की ओक्लाना मंडी हिसार में राजेन्द्र नाम के एक शख्स के ठिकाने से उनके साथ में शामिल हुए और 11.30 बजे उकालाना हरियाणा से मानसा के लिए निकल पड़े.

क्या ढाबे पर रची गई हत्या की पूरी कहानी?

गोल्डी यानी डाक्टर ने फिर फौजी, और मनप्रीत मानू को फोन किया. गोल्डी ने कहा, तुम सब मानसा के तीन किलोमीटर पहले एक ढाबे पर पहुंच जाना. 29 मई को शाम 4 बजे गोल्डी बराड़ डॉक्टर के कहने पर मानसा के तीन किलोमीटर पहले एक ढाबे पर हरियाणा साइड के शूटर पहुंच गए और ठीक 15 मिनट बाद पंजाब साइड के दोनों कुख्यात शूटर मनप्रीत मानू और जगरूप रूपा भी उसी ढाबे पर पहुंच गए. वे सभी वहां गोल्डी भाई यानी डॉक्टर के अगले आदेश का इंतजार करने लगे.

29 मई को शाम 4.30 बजे गोल्डी ने फिर शूटरों को फोन किया. गोल्डी ने शूटर्स से कहा- सुनो सिद्धू के घर का बड़ा गेट खुल गया है और तुम जल्दी उसके घर के लिए निकलो, सिद्धू निकलने वाला है. शूटरों ने कहा, तुरंत निकल रहे हैं. इसके बाद हवा से बात करती हुई शूटरों की दोनों गाड़ियां मूसेवाला के घर के लिए निकल गईं. केवल केशव उसी ढाबे पर रुक गया. प्लान के मुताबिक हत्याकांड के बाद सभी को उसी ढाबे पर मिलना था.

अपराधियों ने मूसेवाला के गाड़ी किया था पीछा

शूटरों की बोलेरो कार मानसा गांव के पहले मानसा चौक पर ही रुक गई. गोल्डी ने फिर शूटरों को फोन किया. उसने कहा- मूसेवाला घर से निकल गया है, ब्लैक कलर की गाड़ी में, बिना सुरक्षा के जल्दी जाओ. कुछ ही देर में मूसेवाला की थार ने शूटरों की बोलेरो को क्रॉस किया और फिर शूटरों की गाड़ी मूसेवाला के पीछे लग गई. मानसा चौक पर खड़ी दूसरी गाड़ी ने भी मूसेवाला की थार को फॉलो करना शुरू किया. रोज की तरह नहर रूट न लेकर मूसेवाला जवाहर गांस से सीधे आगे की ओर बढ़ ही रहे थे. फिर अगले ही कुछ सेकेंडों में तो मूसेवाला की हत्या को अंजाम तक पहुंचा दिया गया.

दिल्ली पुलिस ने कैमरे पर बताई थी शूटआउट की कहानी

मूसेवाला शूटआउट की कहानी ख़ुद दिल्ली पुलिस ने कैमरे पर बताई ही है. 29 मई के हत्याकांड के बाद गोल्डी ने फिर शूटर प्रियव्रत फौजी को फोन किया और कहा कि तुम लोग फतेहाबाद जाओ, जहां रामनिवास नाम का युवक तुम्हें रिसीव करेगा. रामनिवास तुम्हें एक होटल लेकर जाएगा. 29 मई को 10.30 बजे रात में शूटर सांवरिया होटल पहुंच गए.

30 मई को सचिन भिवानी, कपिल पंडित कार से सांवरिया होटल पहुंचे और फिर शुटरों ने वह होटल छोड़ा. क्रेटा सचिन भिवानी चला रहा था, जबकि अंकित, प्रियव्रत, सचिन, केशव, कशिश भी उसमें सवार थे. कुछ दूर चलने के बाद कार आई, जिसे किशन नाम का शख्स चला रहा था. कपिल पंडित उसके साथ बैठा था. फिर केशव भी उसमें शिफ्ट हो गया. दोनों गाड़ियां रोहतक हाईवे पर हांसी गांव में जाकर रुकीं. वहां रुकने का इंतजाम किशन गुर्जर ने किया था.

6 हथियार विनीत उर्फ बब्बन को सौंप देना…”

31 मई को केशव, कशिश, दीपक मुंडी, भिवानी के तोशना गांव में जाकर रुके. एक जून को केशव, कशिश, दीपक मुंडी के लिए कपिल पंडित ने एक ट्रक का इंतजाम किया, जिसमें बैठकर वे अहमदाबाद निकल पड़े. इस बीच ही गोल्डी का फिर फौजी को फोन आया. उसने कहा- सुनो फौजी तुम 6 हथियार विनीत उर्फ बब्बन को सौंप देना जल्दी. फौजी ने कहा- जी डॉक्टर साहब.

प्रियव्रत फौजी ने कुल 6 हथियार विनीत उर्फ बब्बन को सौंप दिए. गोल्डी के आदेश के मुताबिक उसके बाद प्रियव्रत फौजी, अंकित, सचिन, कपिल ने एक दूसरा ट्रक पकड़ा राजगढ़ हाईवे से और दो जून को दोनों ट्रकों से हरियाणा साइड के आरोपी शुटर अहमदाबाद पहुंच गए. फिर बस से रात 10 बजे मुंद्रा पोर्ट पहुंच गए. वहां आशीष नाम के एक शख्स ने एक फ्लैट में आरोपियों के रुकने का इंतजाम किया.

10 जून जून को आरोपी मुंद्रा के अलग-अलग फ्लैट में फिर शिफ्ट हुए. 14 जून को शूटर मध्यप्रदेश के इंदौर, विदिशा, ब्यावरा में रुके और फिर आगे निकल गए. शूटर मनप्रीत मानू, जगरूप रुपा खरड़ होते हुए लुधियाना से मानसा पहुंचे, जबकि शूटर प्रियव्रत फौजी,अंकित, कशिश, दीपक मुंडी उल्काना मंडी हिसार होते हुए फतेहाबाद से सरदुलागड़ पंजाब से मानसा पहुंचे थे.

शूटर मनप्रीत मानू, जगरूप रूपा मानसा से लुधियाना गए. फिर आज तक न गोल्डी बराड़, न सचिन विश्नोई और न ही किसी राज्य की पुलिस को पता है कि यह दोनों कुख्याय शूटर कहां छुपे हैं. शूटर प्रियव्रत फौजी,अंकित, कशिश, दीपक मुंडी मानसा से होटल फतेहाबाद में रात रुके. वहां से फिर तोशाम अगली रात रुके, पिलानी गए, ट्रक से गांधीनगर पहुंचे फिर गुजरात के मुद्रा पोर्ट पहुंचे.

प्रियव्रत फौजी ने पूछताछ किया था खुलासा

प्रियव्रत फौजी 50 किलोग्राम वर्ग में कुश्ती का खिलाड़ी रह चुका है. भारतीय सेना में स्पोर्ट्स कोटे से उसका सिलेक्शन होने वाला था. फौजी को मोनू डागर ने गोल्डी से जोड़ा था. फौजी ने फिर अंकित को गोल्डी के बारे में बताकर उसे भी अपने साथ जोड़ा. यह वह कहानी है जो प्रियव्रत फौजी ने पूछताछ में बताई और दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की जांच में सामने आई है.

हत्याकांड का मोटिव बदला लेना था

सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड का मुख्य मोटिव यूथ अकाली लीडर विक्की मिड्डू खेड़ा की हत्या का बदला और गैंगवार था. मुख्य गैंगस्टर आज भले जेल में हैं, लेकिन उनके साथी और गुर्गे बाहर हैं, जो अपराध को अंजाम देते रहते हैं. कनाड़ा में बैठा गोल्डी बराड़ इस हत्याकांड की लगातार मॉनीटरिंग कर रहा था और हत्या के निर्देश दे रहा था.

साल पहले बनी थी मूसेवाला की हत्या की योजना

सिदधू मूसेवाला की हत्या की योजना पिछले एक साल से चल रही थी, लेकिन अगस्त 2021 के बाद मूसेवाला को मारने के लिए काम तेज हो गया था. लगातार उनकी रेकी की जा रही थी. कई बार पहले भी उनको मारने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई न कोई कारण के चलते हत्यारों ने पहले वारदात नहीं की.

हत्याकांड के लिए पूरा रैकेट काम कर रहा था

सिद्धू मूसेवाला की हत्या के लिए एक पूरा रैकेट काम कर रहा था. जिसमें कुछ लोग सिद्धू मूसेवाला की रेकी कर रहे थे तो कुछ लोग शूटरों की तलाश में लगे थे. शूटर तय होने के बाद एक रैकेट ने उनको हथियार मुहैया कराया तो दूसरे रैकेट ने वाहन उपलब्ध कराया. इसके बाद कुछ लोगों ने हत्यारों को वारदात को अंजाम देने के बाद सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने का काम किया. यहां सबसे बड़ी रोचक बात यह थी कि इस हत्याकांड में लगे लोग एक दूसरे को पहचानते तक नहीं थे. सारा कंट्रोल गोल्डी बराड़ के फोन से होता था. हथियार लेने और देने वाले एक दूसरे से कोई पहचान नहीं पूछते थे.

गया था फर्जी नाम से पासपोर्ट

सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस के 2 आरोपियों जगरूप रूपा और मनप्रीत उर्फ मन्नू को पुलिस ने अमृतसर के पास एक गांव में एनकाउंटर में ढेर कर दिया था. वहीं मूसेवाला हत्याकांड की जिम्मेदारी लेने वाले लॉरेंस के बेहद करीबी गैंगस्टर सचिन बिश्नोई हत्या से पहले 21 अप्रैल 2022 तक तक भारत में था. लेकिन उसके बाद उसने फर्जी नाम से पासपोर्ट बनाया और भारत से फरार हो गया. जांच में पता चला है कि उसका पासपोर्ट दिल्ली के रीजनल पासपोर्ट दफ्तर से बना था.

फर्जी पासपोर्ट में सचिन विश्नोई का नकली नाम तिलक राज टुटेजा था

सचिन विश्नोई का फर्जी पासपोर्ट दिल्ली के संगम विहार इलाके के एक पते पर बनाया गया था. इस फर्जी पासपोर्ट में सचिन विश्नोई का नकली नाम तिलक राज टुटेजा लिखा गया है. पिता का नाम भीम सिंह, हाउस नंबर 330, ब्लॉक एफ 3 संगम विहार नई दिल्ली लिखा गया है. उसने मूसेवाला हत्याकांड का सारा खाका तैयार किया. हत्याकांड में इस्तेमाल शूटरों के रहने, खाने, शेल्टर, पैसे, गाड़ियों का इंतजाम किया और फिर इस फर्जी पासपोर्ट के जरिए भारत के किसी एयरपोर्ट से वह दुबई भाग गया. इसके बाद वह दुबई से अजरबेजान चला गया.

इस हत्याकांड में अब तक 25 गिरफ्तारी

पंजाब पुलिस ने इस हत्याकांड के मामले में 25 से ज्यादा आरोपी गिरफ्तार किए हैं जबकि 34 आरोपी नामजद हैं. पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है. 29 मई ,2022 को मानसा में सिद्दू की थार कार पर 2 कारों में सवार शूटरों ने 30 राउंड से ज्यादा फायरिंग की थी, जिसमें सिद्धू मूसेवाला को 19 गोलियां लगी थीं. नाबालिग शूटर ने मूसेवाला को 6 गोलियां मारी थीं. इस मामले में विदेश में बैठे गैंगस्टर सचिन विश्नोई और गोल्डी बराड़ अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं.

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