लखनऊ. बालेश्वर की तरह वर्ष 2014 का गोरखधाम एक्सप्रेस का चुरेब का हादसा हो या फिर हरचंदपुर में 2018 का न्यू फरक्का एक्सप्रेस की दुर्घटना। इन हादसों की जांच के बाद रेल संरक्षा आयुक्त ने फुलप्रूफ सिग्नल व्यवस्था पर सवाल उठाए। रेलवे के एक वरिष्ठ अफसर ने तीन महीने पहले ही बोर्ड को पत्र लिखकर किसी हादसे की आशंका जताते हुए तत्काल सुधार करने की बात कही थी, लेकिन उसे अनसुना कर दिया गया।
अब उनका तीन महीने पहले का पत्र प्रसारित हो रहा है तो रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वयं उनसे बात कर पूरे प्रकरण को रविवार को जाना है। भारतीय रेल परिवहन प्रबंधन संस्थान (इरिटेम) के महानिदेशक हरिशंकर वर्मा करीब तीन साल तक दक्षिण पश्चिम रेलवे में तैनात रह चुके हैं। हरिशंकर वर्मा जब वहां प्रिंसिपल चीफ आपरेशनल मैनेजर (पीसीओएम) बने तो उनके सामने ट्रेन के गलत लाइन पर जाने के कुछ मामले आए।
पहले तो स्टेशन मास्टर को चार्जशीट जारी हुई। बाद में वह खुद ही स्टेशनों की नान इंटरलाकिंग की जांच के लिए पहुंच गए। बीते आठ फरवरी को बेंगलुरु-नई दिल्ली संपर्कक्रांति एक्सप्रेस मेन लाइन का सिग्नल देने पर भी गलत ट्रैक पर लोको पायलट की सतर्कता से जाते-जाते बची।
हरिशंकर वर्मा ने इंटरलाकिंग के लिए बनाए गए सिस्टम को बाईपास करके लोकेशन बाक्स में हुई छेड़खानी का मामला पकड़ा और रेलवे बोर्ड को इस पर तत्काल रोक लगाने के लिए पत्र लिखा। उनके पत्र के बाद भी बोर्ड ने अलर्ट जारी नहीं किया और बालेश्वर हादसा हो गया।