बस्तर जिले में बीते दो दिनों से लगातार हुई बारिश से देश के नियाग्रा से पहचाने जाने वाला चित्रकोट जलप्रपात अब अपने शबाब पर आ चुका है।
छत्तीसगढ़ के दर्शनीय स्थलों का ज़िक्र हो और चित्रकोट जलप्रपात का ज़िक्र न हो, यह असंभव है। बस्तर के 16 श्रृंगारों में से एक है चित्रकोट जलप्रपात। इंद्रावती नदी पर स्थित यह जलप्रपात 90 फीट की ऊंचाई से गिरता है। बारिश के मौसम में इसकी चौड़ाई 150 मीटर होती है।
यह देश के सबसे चौड़ा जलप्रपात है और घोड़े की नाल के समान इसका आकार है इसलिए इसे नियाग्रा फॉल के नाम से भी जाना जाता है। यह झरना इंद्रावती नदी की खूबसूरती पर चार चांद लगा देता है।
ऐसी मान्यता है कि किसी समय यहां के सुंदर वातावरण में हिरणों के झुंड रहा करते थे। इसलिए इसका नाम ‘चित्र’ पर पड़ा है, हल्बी बोली में इस शब्द का अर्थ “हिरण” होता है। इस जलप्रपात की विशेषता यह है कि वर्षा के दिनों में यह रक्त लालिमा लिए हुए होता है, तो गर्मियों की चाँदनी रात में यह बिल्कुल सफ़ेद दिखाई देता है।
राजधानी रायपुर से इसकी दूरी 273 किमी है। यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा समय मानसून का होता है। क्योंकि इन दिनों इंद्रावती नदी अपने उफान पर होती है। अलग-अलग अवसरों पर इस जलप्रपात से कम से कम तीन और अधिकतम सात धाराएँ गिरती हैं।
बाधा रूप में आने वाली चट्टानों से लड़ता, उन्हें रौंदता, वृक्ष-कुंजों के बीच से गुज़रता, विशाल जलराशि खुद में समेटे हुए उमगता, गरजता यह प्रपात आगंतुकों को रोमांच और सिहरन से भर देता है। शहर की उमस भरी गर्मी से तपते तन-मन को इसका शीतल जल ऐसी शांति देता है कि पर्यटक कुछ वक्त के लिए खुद को, अपनी तमाम परेशानियों को भूल ही जाता है।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के पास चित्रकोट जलप्रपात इंद्रावती नदी पर स्थित है, जो उड़ीसा से निकलती है, पश्चिम में बहती है और चित्रकोट में गिरती है। फिर आंध्रप्रदेश में प्रवेश करती है और अंत में गोदावरी नदी में विलीन हो जाती है।
झरने के बिलकुल नीचे तट पर एक तालाब है, जहां पर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है। जलधारा शिवजी की मूर्ति पर इस तरह गिरती है मानो उनका जलाभिषेक कर रही हो। इसके पास प्राकृतिक रूप से निर्मित गुफाएं हैं, जिन्हें पार्वती गुफाओं के नाम से जाना जाता है। जुलाई-अक्टूबर का समय पर्यटकों के यहाँ आने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
रात में इस जगह पर रोशनी का पर्याप्त प्रबंध किया गया है। ताकि यहाँ के झरने से गिरते पानी के सौंदर्य को पर्यटक रोशनी के साथ देख सकें। झरने के पास आपको नाविक मिल जाएंगें जो आपको झरने के बीचोबीच लेकर जाएंगे।
अब यहां कैंपिग की भी व्यवस्था की गई है। जिससे पर्यटक चांदनी रात में ठहरकर झरने का सौंदर्य निहार सकें और पूर्ण शांति का अनुभव कर सकें।