प्रदेश के हाई एवं हायर सेकंडरी स्कूलों में की संवर्गान्तर्गत 2013 व ई संवर्गान्तर्गत 2016 से प्राचार्य के पद पर पदोन्नति नहीं हुई है। समूचे प्रदेश में प्राचार्य के 3266 पद रिक्त हैं। उन 3266 विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था विगत दस वर्षों से बगैर मुखिया के प्रभारी प्राचार्यो के भरोसे संचालित हो रही है । शिक्षा पर सरकार कितना संवेदनशील है आप स्वयं आकलन कर लिजिए। छत्तीसगढ़ में शिक्षा के गुणवत्ता पर इसका प्रतिकुल प्रभाव पड़ रहा है ।इसके लिए मौजूदा कांग्रेस सरकार ही जवाबदा नहीं है
भारतीय जनता पार्टी की पिछली सरकार ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया, जिसका सीधा असर छत्तीसगढ़ के किशोरों पर दिखाई दे रहा है । प्रदेश के वरिष्ठ व्याख्याताओं के द्वारा इस ओर शासन का ध्यान आकृष्ट कराया जा रहा है शासन सुनने को तैयार ही नहीं है। संचालक स्तर के अधिकारी पहले तो दबी जबान से कहते थे कि यह मंत्रालय स्तर की बात है अब तो खुले आम रह कह रहें है कि संचालनालय इस संदर्भ में कुछ नहीं कर सकता है। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को इस विषय में कोई रुचि नहीं है । इस बीच प्रदेश के सैकड़ों व्याख्याता पात्रता के बावजूद बगैर प्राचार्य बने सेवानिवृत्त हो गये, कुछ काल कवलित भी ,कुछ बड़े अधिकारी सेवानिवृत्त के पश्चात भी कुर्सी से चिपके हुए हैं किन्तु शिक्षा विभाग में पात्रता होने के पश्चात भी वरिष्ठों को न्याय नहीं मिल रहा है यह छत्तीसगढ़ की विडम्बना ही है ।
विभिन्न संगठनों के द्वारा समय समय पर इस हेतु आंदोलन भी किया जाता रहा है पर सरकार पर इसका कोई असर ही नहीं हो रहा है । वर्ष 2021 में वरिष्ठ व्याख्याता मोर्चा के बेनर तले प्रदेश के व्याख्याता गण लाम बंद होकर प्राचार्य पदोन्नति की मां किते थे ।पक्ष और प्रतिपक्ष के लगभग दो दर्जन से भी अधिक विधायकों ने मुख्यमंत्री जी से लिखित में यह मांग किया था कि रिक्त पदों पर पदोन्नति किया जावे । विधायकों के निवेदन पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। वरिष्ठ व्याख्याता मोर्चा के संचालक मंडल में अरूण कुमार तिवारी, विश्वनाथ सिंह परिहार, विकास नायक, गणेश साहू, रिखी राम साहू नलेशवर साहू, हेमंत टांकसले, रमेश शर्मा एस एन शिव,आर के तिवारी आदि थे । इसी संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश में प्राचार्य पदोन्नति मोर्चा का गठन किया गया जिसका संघर्ष वर्तमान में प्रचलन में है ।
इसके अलावा राज्य कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़ आरंभ से ही पदोन्नति के लिए संघर्षरत हैं वर्ष 2016 में वरिष्ठ व्याख्याताओं के नाम छोड़ कर कनिष्ठ व्याख्याताओं को नियम लागू पदोन्नत किया गया था संगठन तब आज तक नियम विरुद्ध पदोन्नति का विरोध कर रहा है । व्याख्याता संघ के राकेश शर्मा, फेडरेशन के अध्यक्ष कमल वर्मा सहित अधिकांश संगठनों ने शासन को पत्र लिखा है । पूर्व शिक्षा मंत्री प्रेम सिंह टेकाम ने भी प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा को पत्र लिखकर शिक्षा सत्र से पूर्व प्राचार्य पदोन्नति आदेश जारी करने का निर्देश दिया था किन्तु शिक्षा मंत्री के आदेश को हवा में उड़ा दिया गया ऐसे में प्रतिपक्ष के नेता नारायण चन्देल का पत्र भी बेअसर रहा ।