Real Success Story : देश में पिछले कुछ साल में एंटरप्रेन्योर्स ने कई अनोखे स्टार्टअप शुरू किए हैं और कामयाबी की नई इबारत लिखी है. आज आपका परिचय एक ऐसी शख्सियत से कराने वाले हैं जिनका जन्म बिहार के एक छोटे से गांव में हुआ. वहां से निकलकर उन्होंने विदेश में अच्छी-खासी जॉब की. लेकिन फिर सब छोड़कर एक स्टार्टअप शुरू किया और अब हजारों हैंडीक्रॉफ्ट आर्टिस्ट्स को प्लेटफॉर्म दे रहे हैं.
यह कहानी बिहार के वैशाली जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे प्रशांत सिंह की है. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई पटना से हुई. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया. फिर 1998 में बैंफ ऑफ पंजाब ज्वाइन किया. इसके बाद आईडीबीआई बैंक और रिटेल सेक्टर में काम करने के बाद विदेश चले गए.
2013 में शुरू किया हैंडीक्रॉफ्ट फील्ड में काम
प्रशांत सिंह ने दुबई के एक बैंक करीब डेढ़ साल काम किया. इसके बाद वह मुंबई लौट आए और यहां जर्मनी के डच बैंक में काम किया. इसे बाद उन्होंने टीवीएस की रॉयल सुंदरम इंश्योरेंस कंपनी टीवीएस इंश्योरेंस कंपनी ज्वाइन किया. साल 2013 के बाद हैंडीक्रॉफ्ट के फील्ड में भी काम शुरू कर दिया और इंडिया आर्ट इन्वेस्टमेंट नाम की कंपनी शुरू की.
स्टार्टअप से जुड़े हैं 5000 कारीगर
प्रशांत सिंह के स्टार्टअप ‘हाथ का बना’ से 75 से अधिक क्रॉफ्ट के 5000 से अधिक कारीगर जुड़े हुए हैं. हाथ का बना एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है. यह देश के हस्तशिल्प और हैंडलूम कारीगरों के लिए करीब 7 लाख दिन का रोजगार रोजगार पैदा कर रहा है. यह प्लेटफॉर्म हस्तशिल्प और हैंडलूम कारीगारों केा रोजगार देने के साथ भारत की पारंपरिक लोक कला और शिल्प को बढ़ावा भी दे रहा है.
क्रिकेट से जुड़ी यादगार चीजें बनाने से की शुरुआत
प्रशांत सिंह बताते हैं कि उन्होंने क्रिकेट से जुड़ी यादगार चीजें बनाने से शुरुआत की. कला के प्रति प्यार ने उन्हें और अधिक जानने को प्रेरित किया. हालांकि उनकी प्रेरणा व्यक्तिगत रुचि तक सीमित नहीं थी. वह एक ऐसा बिजनेस भी खड़ा करना चाहते थे जो जमीनी स्तर पर लोगों का जीवन प्रभावित करे.