Chandrayaan-1 का बड़ा राज, चंद्रमा पर पृथ्‍वी की वजह से हो रहा पानी का निर्माण , जानिए क्या है माजरा..

वर्ष 2008 में, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने चंद्रमा पर अपना पहला चंद्रयान-1 मिशन भेजा था। चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का संकेत दिया था।



 

 

 

वैज्ञानिक जिन्होंने ‘चंद्रयान-1’ के रिमोट सेंसिंग डेटा का विश्लेषण किया था पाया गया कि पृथ्वी से उच्च-ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन संभवतः चंद्रमा पर पानी बना रहे हैं। अमेरिका में हवाई विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने पता लगाया है कि पृथ्वी के प्लाज्मा कंबल में मौजूद ये इलेक्ट्रॉन चंद्रमा की सतह पर मौसमी प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप कर रहे हैं। एक अध्ययन प्रकाशित हुआ जिससे पता चला कि इलेक्ट्रॉन चंद्रमा पर पानी बनाने में मदद कर सकते हैं।

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शोधकर्ताओं का कहना है कि चंद्रमा पर पानी की सांद्रता जानने के लिए यह अध्ययन महत्वपूर्ण है। यह चंद्रमा पर भविष्य के मानव मिशनों के लिए उपयोगी हो सकता है। उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी के कणों की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।  यह भारत का पहला चंद्र मिशन था, जिसे 2008 में लॉन्च किया गया था।

 

 

 

 

इस साल भारत को एक बड़ी कामयाबी तब हासिल हुई जब 23 अगस्त को इसरो के तीसरे मिशन चंद्रयान-3 ने भारत में सफल लैंडिंग की। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने करीब 15 दिनों तक चंद्रमा पर अपना प्रयोग पूरा किया. भारत चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। इतना ही नहीं, भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन गया।

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विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर फिलहाल चंद्रमा पर निष्क्रिय हैं। इसरो ने उन्हें स्टैंडबाय मोड पर रखा है और चंद्रमा के उस हिस्से तक फिर से सूरज की रोशनी पहुंचने का इंतजार कर रहा है। फिर देखेंगे कि प्रज्ञान और विक्रम ज्यादा काम कर पाएंगे या नहीं.

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